बार्डर पर खुशी की लहर, संशय बरकरार
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के साथ शुक्रवार को कुंडली बार्डर पर जश्न शुरू हो गया। आंदोलनरत किसानों ने एक-दूसरे को गले मिलकर बधाई दी लेकिन आंदोलन समाप्त करने पर अभी संशय बरकरार है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के साथ शुक्रवार को कुंडली बार्डर पर जश्न शुरू हो गया। आंदोलनरत किसानों ने एक-दूसरे को गले मिलकर बधाई दी, लेकिन आंदोलन समाप्त करने पर अभी संशय बरकरार है। आंदोलनरत किसान और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अभी इस घोषणा को अधूरा बता रहे हैं। उनका कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी के अलावा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी पर भी कानून बनाना भी उनकी प्रमुख मांग है। इस पर फिलहाल प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं बोला है। यही नहीं, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोग और इस दौरान दर्ज हुए मुकदमों की वापसी पर बात होनी बाकी है। इसको लेकर शनिवार को कुंडली बार्डर पर होने वाली मोर्चा की बैठक में चर्चा के बाद ही आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने इस संबंध में बयान जारी कर निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से इस घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा की जाएगी। मोर्चा के वरिष्ठ नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डा. दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, हन्नान मौल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है यह आंदोलन केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए नहीं है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है। किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकि है। मोर्चा सभी घटनाक्रमों पर संज्ञान लेकर जल्द ही अपनी बैठक करेगा और आगे के निर्णयों और रणनीति की घोषणा करेगा। बार्डर पर कम है संख्या, गुरुपर्व मनाने गए हैं प्रदर्शनकारी :
जीटी रोड पर कुंडली बार्डर से लेकर रसोई गांव तक करीब छह किलोमीटर में लगे टेंट और झोपड़ियों में फिलहाल प्रदर्शनकारियों की संख्या कम है। शुक्रवार को गुरुपर्व होने के कारण प्रदर्शनकारी अपने घर चले गए हैं। साथ ही 26 नवंबर को आंदोलन के एक साल पूरे होने पर दोबारा लोगों को बार्डर पर लाने के लिए के लिए मोर्चा के नेता और पंजाब के जत्थेबंदियों के नेता भी पंजाब में हैं। सिंघु बार्डर पर भी किसानों की संख्या कम ही है। यहा पर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (पंजाब) की ओर से धरना दिया जा रहा है।
सभी आंदोलनकारियों को बधाई। सभी का धन्यवाद, लेकिन अभी तक सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई बात नहीं की है, जो हमारी प्रमुख मांगों में से एक है। इसी तरह आंदोलन के दौरान हरियाणा में 48 हजार से ज्यादा किसानों पर दर्ज हुए मुकदमे को लेकर भी कोई बात नहीं कही गई और न ही बिजली बिल को लेकर कोई बयान आया। इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। कानून रद करने संबंधी बिल संसद में पास होने तक इंतजार भी करना पड़ सकता है। बैठक में ही आंदोलन को लेकर आगे की प्रक्रिया तय की जाएगी।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी, अध्यक्ष, भाकियू (चढ़ूनी)।
ये किसानों की एकजुटता की जीत है। एक साल से हमने जो लड़ाई लड़ी, उसने यह माहौल बनाया। प्रधानमंत्री ने गुरुनानक जयंती पर तीनों कृषि कानून रद किए हैं। यह पहली बार हुआ है। किसानों की एकता को बधाई। आने वाले दिनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर लड़ाई जारी रहेगी। जल्द ही संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक कर तय करेंगे कि आंदोलन को किस तरह से चलाना है।
डा. दर्शनपाल, वरिष्ठ सदस्य, संयुक्त किसान मोर्चा।