देवी कात्यायनी की महिमा का किया गुणगान
संवाद सहयोगी गन्नौर नगरपालिका रोड पुष्प वर्ल्ड स्कूल के निकट चल रही नौ दिवसीय नवदुर्गा अम
संवाद सहयोगी, गन्नौर :
नगरपालिका रोड पुष्प वर्ल्ड स्कूल के निकट चल रही नौ दिवसीय नवदुर्गा अमृत कथा के छठे दिन कथा वाचक राकेश उपाध्याय ने मां दुर्गा के देवी कात्यायनी स्वरूप की महिमा व धूम्रलोचन वध की कथा का वर्णन किया। राकेश उपाध्याय ने बताया कि महर्षि कात्यायन ने देवी आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी। इसके परिणामस्वरूप उन्हें देवी उनकी पुत्री के रूप में प्राप्त हुई। देवी का जन्म महर्षि कात्यान के आश्रम में हुआ था। इनकी पुत्री होने के चलते ही इन्हें कात्यायनी पुकारा जाता है। देवी का जन्म जब हुआ था, उस समय महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था। तब देवी ने महिषासुर का अंत किया था। इसके बाद शुम्भ और निशुम्भ ने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर इंद्र का सिंहासन भी छीन लिया था और नवग्रहों को भी बंधक बना लिया था।
उन्होंने अग्नि और वायु का बल भी अपने कब्जे में कर लिया था। स्वर्ग से अपमानित कर असुरों ने देवताओं को निकाल दिया। तब सभी देवता देवी के शरण में गए और उनसे असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। इसके बाद शुम्भ का दूत बन कर देवी के पास धुम्रलोचन पहुंचा और शुम्भ के बारे में बखान करने लगा। उसने देवी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो देवी ने कहा कि अपने स्वामी से कहो, पहले मुझे युद्ध में जीत लें, इसके बाद विवाह का विचार किया जाएगा। यह सुनकर धूम्रलोचन भड़क गया और देवी कर तरफ आगे बढ़ा तो देवी ने वक्र ²ष्टि से उसकी ओर देखा और उनके नेत्रों से निकली क्रोधाग्नि में वह भस्म हो गया। इसके बाद देवी ने शुम्भ और निशुम्भ का भी वध कर देवताओं को उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।