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पेयजल संकट से परेशानी, महिलाएं ढो रहीं पानी

जैसे ही पारा 40 पार पहुंचा कई कॉलोनियों और गांवों में पेयजल संकट गहरा गया। कई गांव ऐसे हैं जहां हर साल गर्मी में जलसंकट छा जाता है। कई गांव तो ऐसे हैं जहां पेयजल सप्लाई तीन-चार दिन में एक बार होती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 09:02 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:20 AM (IST)
पेयजल संकट से परेशानी, महिलाएं ढो रहीं पानी
पेयजल संकट से परेशानी, महिलाएं ढो रहीं पानी

जागरण टीम, सोनीपत : जैसे ही पारा 40 पार पहुंचा कई कॉलोनियों और गांवों में पेयजल संकट गहरा गया। कई गांव ऐसे हैं जहां हर साल गर्मी में जलसंकट छा जाता है। कई गांव तो ऐसे हैं जहां पेयजल सप्लाई तीन-चार दिन में एक बार होती है। लू के थपेड़ों के बीच ग्रामीण महिलाओं को सिर पर मटकों में नलकूपों से पेयजल ढोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पंचायत प्रतिनिधि और ग्रामीण पेयजल समस्या को लेकर कई बार जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है। कुछ गांवों में ऑपरेटरों की लापरवाही के चलते भी पेयजल नहीं मिल पा रहा है। गांव कथूरा में तीन दिन में एक बार होती है पेयजल आपूर्ति

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गांव कथूरा में जनस्वास्थ्य विभाग के दो जलघर होने के बावजूद ग्रामीणों को तीन दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई मिल रही है। विभाग ने इस गांवों को 28 जोन में बांट रखा है। सुबह व शाम दो-दो जोनों में पेयजल की सप्लाई दी जाती है और दिन में जब बिजली आती है तब चार जोनों में पेयजल सप्लाई दी जाती है। इस तरह से ग्रामीणों के घरों में तीसरे दिन पेयजल की सप्लाई पहुंच रही है। ग्रामीणों को मजबूरी में पानी के टैंकर किराए पर मंगवाने पड़ते हैं। अधिकतर ग्रामीण और महिलाएं कहैल्पा मार्ग पर लगे नलकूपों और ट्यूबवेलों से पानी ढोते हैं। महिलाएं करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से मटकों में पानी लेकर आती हैं। चार-पांच दिन में सिर्फ 20 मिनट पानी

गांव बरोदा में कई सालों से पेयजल की समस्या है। इस गांव में भी दो जलघर और दो ट्यूबवेल होने के बावजूद पेयजल की समस्या बनी रहती है। ग्रामीण ज्योति, बबीता, आशा, कृष्णा, अनीता, अशोक, चरण सिंह ने बताया कि गांव में बीच में स्थित बस स्टैंड के आसपास के क्षेत्र में चार से पांच दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई आती है। जब भी सप्लाई आती है तो मुश्किल बीस मिनट के लिए पानी आता है। महिलाओं ने कहा कि उन्हें मजबूरी में खेतों में ट्यूबवेलों से पानी ढोना पड़ता है। गांव की आबादी अधिक है, कुछ हिस्सों में पानी नहीं पहुंच पाता है। कई बार ऑपरेटर भी लापरवाही करते हैं। जब भी ग्रामीणों की शिकायत मिलती है तब ऑपरेटर को बुलाकर समस्या का समाधान करवा दिया जाता है। गांव में जलघर में एक अतिरिक्त टैंक बनवाने की मांग की गई है। अगर टैंक बन जाएगा तब पानी भंडारण की क्षमता बढ़ जाएगी।

--विजय खासा, सरपंच गांव बरोदा ठुठान

जलघर के टैंक भरने का इंतजार

गांव भंडेरी में भी जलघर होने के बावजूद ग्रामीण पेयजल किल्लत से जूझने पर मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जलघर के टैंक से बीस दिन में ही पानी खत्म हो जाता है। जब तक दोबारा जलघर के तालाब नहीं भरते हैं तब तक ग्रामीणों को ट्यूबवेलों से पानी जुटाना पड़ता है। पंचायत द्वारा एक ट्यूबवेल लगाकर आबादी क्षेत्र के निकट एक जगह कई नल लगवाए गए हैं और अधिकतर ग्रामीण यहां से ही पानी जुटाते हैं। जलघर के टैंक की क्षमता कम है। जनस्वास्थ्य विभाग के पास एक अतिरिक्त डीप ट्यूबवेल लगाने की मांग भेजी गई है। ट्यूबवेल लगने पर जलघर के टैंकों को भरा जा सकेगा, जिसके बाद समस्या नहीं रहेगी।

- कुलदीप, सरपंच, गांव भंडेरी

गर्मी में ग्रामीणों को नियमानुसार पेयजल की पूरी सप्लाई देने की पूरी कोशिश रहती है। अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे ग्रामीणों की शिकायतों का तुरंत समाधान करवाएं। अगर किसी गांव के ग्रामीणों को पेयजल को लेकर समस्या है तो सीधे उनके कार्यालय आकर मिलें। कभी-कभी बिजली सप्लाई प्रभावित होने या लाइन क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हो जाती है।

- विक्रम सिंह, कार्यकारी अभियंता, गोहाना जनस्वास्थ्य विभाग

एमपी माजरा में पाइप लाइन बिछाने का काम 10 साल बाद भी अधूरा

संस, गन्नौर : एमपी माजरा गांव में पिछले 10 साल से पेयजल लाइन बिछाने का काम अधूरा पड़ा है। गांव में केवल 60 प्रतिशत हिस्से में ही लाइन बिछाई गई है। बाकी गांव में पानी की व्यवस्था करने के लिए ग्रामीणों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। गांव की सरपंच कई बार जनस्वास्थ्य विभाग में लाइन बिछाने की मांग कर चुकी हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है।

ग्रामीण महिला सरोज, सुनीता, विमला, कुसुम ने बताया कि उनके घर कई साल से पानी नहीं आ रहा। उन्हें गर्मी में दूर-दूर से पानी भरने के लिए जाना पड़ता है। गांव की सरपंच सीमा रानी का कहना है कि जनस्वास्थ्य विभाग को लाइन बिछवाने के लिए कई साल पहले रेजोल्यूशन दिया था लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। 60 प्रतिशत लोगों के घरों तक तो पाइप लाइन बिछवाकर पानी पहुंचा दिया गया है लेकिन अभी भी गांव के 40 प्रतिशत हिस्से में पानी नहीं पहुंच रहा है।

जनस्वास्थ्य विभाग के ग्रामीण एसडीओ करण बहल ने बताया कि अब मामला उनके संज्ञान में आया है। विभाग ने गांव में 1400 मीटर पाइप लाइन बिछवाने के लिए एस्टीमेट भेज रखा है। यह फाइल कहां अटकी है, इस बारे में जल्द ही पता करवाकर मंजूरी दिलवा दी जाएगी।


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