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कब पूरी होंगी ये घोषणाएं

मुख्यमंत्री का दौरा घोषणाओं के नाम पर रहता है। प्रत्येक विधानसभा

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 11:56 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 06:12 AM (IST)
कब पूरी होंगी ये घोषणाएं
कब पूरी होंगी ये घोषणाएं

जागरण संवाददाता, सिरसा : मुख्यमंत्री का दौरा घोषणाओं के नाम पर रहता है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने जनहितैषी कार्यो की घोषणाएं की। घोषणाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी संबंधित विभाग व जिला प्रशासन की रहती है। सिरसा का उल्लेख करें तो अनेक घोषणाएं सिरे नहीं चढ़ी। कई घोषणाएं वर्षों बाद अधूरी हैं तो कुछ में अभी लंबा वक्त लगने के आसार बने हुए हैं।

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तीन मुख्यमंत्रियों द्वारा सिरसा में डेयरी शिफ्टिग की घोषणा सिरे नहीं चढ़ी। भाजपा के प्रथम शासनकाल में घोषित पुराना सदर थाना की जगह शॉपिग माल बनाने, शहर में मल्टीपर्पज पार्किंग बनाने व रेलवे रोड पर अंडरब्रिज बनाने की मांग आज भी धरातल पर कहीं भी नहीं दिख रही। मुख्यमंत्री की एक बड़ी घोषणा मंडी शिफ्टिग भी अभी अधूरी है और इसमें जमीन का भी चयन नहीं हो पाया। सिरसा शहर के अलावा ऐलनाबाद, कालांवाली, डबवाली व रानियां में भी कई घोषणाएं अभी भी अधूरी हैं।

केस नंबर- 1

तहसील नहीं बन सका गोरीवाला

25 अगस्त 2018 को सीएम मनोहर लाल रैली को संबोधित करने डबवाली पहुंचे थे। सीएम ने गोरीवाला उपतहसील को तहसील बनाने की घोषणा की थी। घोषणा आज तक सिरे नहीं चढ़ी है। करीब पांच माह पूर्व पंचायत से दो एकड़ जमीन का प्रस्ताव लिया गया था। वर्ष 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिद्र सिंह हुड्डा ने गोरीवाला को उपतहसील का दर्जा दिया था। केस नंबर- 2

तीन साल बाद भी नहीं बना मिल्क चिलिग सेंटर

17 दिसंबर, 2016 को सीएम मनोहर लाल पहली बार डबवाली आए थे तो उन्होंने गांव डबवाली में मिल्क चिलिग सेंटर बनाने की घोषणा की थी। पंचायत विभाग ने जमीन अलॉट करनी थी। सिरसा हाईवे पर 5 कनाल छह मरले जमीन अलॉट कर दी। सितंबर 2019 के दूसरे सप्ताह जमीन की रजिस्टरी हरियाणा डेयरी डेवेल्पमेंट को-ऑपरेटिव फेडरेशन के नाम करवा दी। दो साल 9 माह तक मामला जमीन में उलझा रहा। अब जब जमीन की रजिस्टरी हो गई है तो भी सीएम घोषणा पूरी नहीं हुई है। केस नंबर - 3

उपमंडल बना, इमारत तीन साल बाद भी नहीं

मुख्यमंत्री द्वारा अगस्त 2016 में घोषणा के बाद कालांवाली में उपमंडल कार्यालय तो शुरू हो गया हो लेकिन तीन वर्ष बाद भी कार्यलय के भवन के लिए जगह चयनित नहीं हो पाई। वर्तमान में उपमंडल कार्यालय एक संस्था के भवन में चल रहा है। भवन के निर्माण को लेकर ग्राम पंचायत तारूआना द्वारा कई एकड़ भूमि देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था लेकिन किन्हीं कारणों के चलते इस स्थान को सरकार ने नामंजूर कर दिया। इसके अलावा प्रशासन ने कार्यालय के निर्माण के लिए अनेक स्थानों की फाइलें सरकार को भेजी है परंतु आज तक कोई जगह तय नहीं हुई। केस नंबर - 4

लक्कड़ व सब्जी मंडी की घोषणा भी अधर में

दिसंबर 2018 में मल्लेका में विकास रैली में सीएम ने ऐलनाबाद में लक्कड़ व सब्जी मंडी बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए मार्केटिग बोर्ड ने मंडी के लिए 29 किला जमीन अधिकृत कर ली लेकिन मंडी बनाने का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। मंडी के लिए चयनित जगह पर नगर पालिका द्वारा कूड़ा-कचरा डाला जाता है। सवा साल भी मंडी बनाने की घोषणा फाइलों में ही नजर आती है। मार्केट कमेटी चेयरमैन अमीर चंद मेहता का कहना है कि घोषणा के तुरंत बाद मंडी की जमीन खरीद ली गयी। अभी हाल ही में वहां से पेड़ों को हटा कर साफ सफाई का काम शुरू कर दिया है। केस नंबर - 5

चार साल में डले केवल पत्थर

ठोबरिया से हारणी को जोड़ने वाली सड़क के पुनर्निर्माण की घोषणा वर्ष 2016 में सीएम ने अनाजमंडी में हुई रैली में की थी। चार साल बीतने के बाद भी सड़क का निर्माण अधर में लटका हुआ है। विभाग को अवगत करवाने पर एक बार खानापूर्ति के तौर पर काम शुरू कर दिया जाता है। काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है सिर्फ पत्थर डालकर छोड़ रखे है जिससे समस्या कम नहीं हुई बल्कि बढ़ गई। पीडब्ल्यूडी विभाग के एसडीओ वेद प्रकाश के अनुसार पहले तो टेंडर देरी से हुए। उसके बाद खराब मौसम निर्माण में बाधा बन गया। अब जल्द काम ही सड़क का काम शुरू कर दिया जाएगा। केस नंबर - 6

मुआवजे के अंतर से लटका रानियां-कुत्ताबढ़ पुल निर्माण

वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री द्वारा घोषित रानियां से कुत्ताबढ़ गांव का घग्गर नदी का पुल मंजूरी के बावजूद भी अधर में लटका हुआ है। पुल निर्माण का कार्य अधर में लटने का मुख्य कारण इसके लिए अधिग्रहित भूमि का मुआवजा है। प्रशासन अधिग्रहित भूमि के कम रेट दे रहा है तो ग्रामीण अधिक मांग रहे हैं। इस पुल के निर्माण से रानियां से गांव की दूरी आधी हो जाएगी।


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