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करंट के लिए तीन विभाग दोषी, जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

नटार गांव के 16 वर्षीय छात्र रोहित की मौत के बाद उपायुक्त द्वारा गि

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 06:23 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 06:23 PM (IST)
करंट के लिए तीन विभाग दोषी, जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
करंट के लिए तीन विभाग दोषी, जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

जागरण संवाददाता, सिरसा :

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नटार गांव के 16 वर्षीय छात्र रोहित की मौत के बाद उपायुक्त द्वारा गठित कमेटी ने करंट लगने के मामले में तीन विभागों को गैरजिम्मेदार माना है। एडीसी की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय कमेटी ने आरंभिक रिपोर्ट उपायुक्त को भेज दी है। रिपोर्ट में पहली गलती बिजली निगम की तो नगर परिषद की मानी गई है। कमेटी के सवालों के घेरे में जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलभराव नहीं होता तो करंट आने की संभावना नहीं थी। जलभराव क्यों हुआ, इस पर भी कमेटी ने सवाल करते हुए रिपोर्ट कर दी है।

बता दें कि नटार गांव के दो छात्र स्कूल से छुट्टी के बाद बाइक से घर लौट रहे थे। सूरतगढि़या चौक पर दो फीट से अधिक जलभराव था। सामने से वाहन आने की स्थिति में छात्रों का बाइक बंद हो गया और उनका हाथ हाईमास्क पोल से टकरा गया। पोल में करंट प्रवाहित था और दोनों छात्र करंट की चपेट में आ गए। इनमें से रोहित की मौत हो गई जबकि दूसरे को दुकानदारों ने बचा लिया।

एलटी लाइन से ही मिला करंट

सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि सूरतगढि़या बाजार में बिजली निगम ने 10:55 पर लाइट बंद की थी और दोपहर साढ़े 12 बजे सप्लाई शुरू की गई। हाई मास्क लाइट की सप्लाई स्ट्रीट लाइट के तार से है जिसे 6 बजे बंद कर दिया गया था। साढ़े 12 बजे जैसे ही बिजली निगम ने बिजली आपूर्ति बहाल की तो हाईमास्क पर लगी 6 में एक लाइट नष्ट हो गई। टीम ने माना कि हाई मास्क पोल को करंट बिजली निगम की एलटी लाइन से मिला तभी एक लाइट नष्ट हुई। पोल में आ रहे इस करंट की वजह से 12 बजकर 35 मिनट पर ही एक छात्र की जान चली गई। करंट बिजली लाइन से आने का एक कारण यह भी माना गया है कि जब दुकानदारों द्वारा फोन करने के बाद सप्लाई बंद की गई तो यहां उसके बाद करंट नहीं था। हाई मास्क पोल की अर्थिंग होती तो नहीं लगता करंट

रिपोर्ट में नगर परिषद की लापरवाही भी सामने आई है। नगर परिषद ने हाई मास्क पोल तो स्थापित कर दिया लेकिन उसकी अर्थिंग नहीं करवाई। अर्थिंग करवाई होती तो करंट प्रवाहित होने की संभावना नहीं थी और एक छात्र की जान नहीं जाती। नगर परिषद के अधिकारी जांच में यह तर्क तो दे रहे थे कि उनकी लाइन सुबह 6 बजे बंद हो जाती है। यदि उनकी लाइन चल रही थी तो स्ट्रीट लाइटें जलती या हाई मास्क पोल की लाइट जरूर जलती जो कि बंद थी। लेकिन अर्थिंग के बारे में जवाब नहीं दे पाए।

10 से ज्यादा मीटिग हुई तो पानी क्यों भर गया

इस मामले में अतिरिक्त उपायुक्त ने नगर परिषद, बिजली निगम के अलावा जन स्वास्थ्य विभाग को भी उतना ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन बार-बार बैठकें कर पानी निकासी के पुख्ता प्रबंधों पर जोर देता रहा तब भी विभाग के अधिकारी संभले नहीं। यदि वहां पानी नहीं होता यह हादसा ही नहीं होना था। आज भी सूरतगढि़या बाजार में पानी मिलेगा। ऐसी व्यवस्था को दुरुस्त किया जाना सबसे जरूरी है। बिजली तारों के बीच नहीं थे सुरक्षा उपाय

टीम ने डाकघर से लेकर सूरतगढि़या चौक व उससे आगे जा रही बिजली की लाइन का निरीक्षण किया। अधिकारियों के अनुसार बिजली की लाइनों के बीच कुछ दूरी पर तार आपस में टकराए इसके लिए सुरक्षा उपाय किए जाते हैं लेकिन यहां बैटन गार्डिंग नहीं की गई थी। इससे कहीं न कहीं तारों में टकराव का अंदेशा जताया गया है जिसकी वजह से करंट हाई मास्क पोल तक प्रवाहित हो गया। उपायुक्त को भेज दी रिपोर्ट

जांच कमेटी ने मौके का निरीक्षण किया। सभी हालात की जानकारी ली। जो खामियां सामने आई उसकी रिपोर्ट दे दी है। तीन विभागों की कमियां मिली हैं जो इस हादसे के लिए किसी न किसी रूप में जिम्मेवार हैं। रिपोर्ट उपायुक्त कार्यालय को भेज दी गई है।

मनदीप कौर, एडीसी, सिरसा।

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