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किसानों को मुआवजे के लिए करना पड़ा संघर्ष, तभी बीमा कंपनियों की खुली तिजौरी

वर्ष 2016 में किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फार्म भरा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 11:28 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 11:28 PM (IST)
किसानों को मुआवजे के लिए करना पड़ा संघर्ष, तभी बीमा कंपनियों की खुली तिजौरी
किसानों को मुआवजे के लिए करना पड़ा संघर्ष, तभी बीमा कंपनियों की खुली तिजौरी

महेंद्र सिंह मेहरा, सिरसा :

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वर्ष 2016 में किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फार्म भरा। किसानों ने बीमा राशि बैंक में भी जमा करवाई। किसानों द्वारा बिजाई की गई कपास की फसल खराब हो गई। इसके बाद जिले के पांच गांवों के किसानों को 11 करोड़ रुपये की राशि मिली। इससे किसानों की उम्मीद टूट गई। क्योंकि कंपनी मुआवजा चार या पांच किसानों को यूनिट मानकर दे रही थी। इस पर किसानों ने संघर्ष किया। सिरसा से शुरू हुआ किसान आंदोलन राज्य के अन्य जिलो में भी पहुंच गया। किसानों पूरे गांव को यूनिट में रखने की मांग रखी। इसके बाद सरकार जागी। लेकिन योजना का लाभ किसानों को समय पर नहीं मिला पाया। किसानों को संघर्ष व आंदोलन किया। इसके बाद ही पिछले चार सालों में फसल बीमा योजना के तहत जिले में 596 करोड़ रुपये की राशि मिली।

- 2016 में पांच गांवों को मिला बीमा

खरीफ 2016 में किसानों ने फसल बीमा योजना करवाया। योजना के तहत जिले के पांच गांव रोड़ी, जोधकां, गिदड़ा, शक्करमंदोरी व पन्नीवाला मोरिका के किसानों को 11 करोड़ रुपये की राशि मिली। जिस पर किसानों ने आंदोलन शुरू किया। फसल खराब होने पर किसानों ने चार किसानों की यूनिट न मानकर गांव को यूनिट मानने की मांग रखी। इस पर सरकार ने इसमें बदलाव गांव को यूनिट मानकर मुआवजा जारी किया गया।

-संघर्ष के बाद मिला मुआवजा

वर्ष 2017 में किसानों की फसल खराब हो गई। जिले के 162 गांवों का फसल बीमा योजना के तहत 170 करोड़ रुपये मंजूर हुए। जिस पर किसनों ने 43 दिन तक लघु सचिवालय के सामने वर्ष 2018 में प्रदर्शन किया। अगस्त माह में पांच किसान गांव रूपावास में पेयजल केंद्र की डिग्गी पर चढ़ गये। किसानों के संघर्ष बाद ड्रोन सिस्टम से सर्वे करवाया गया। इस पर किसानों की 338 करोड़ रुपये की राशि मंजूर हुई। किसानों ने मुआवजा मिलने पर राहत की सांस ली।

-इस साल भी धरने के बाद ही 143 करोड़ रुपये मंजूर

फसल बीमा योजना के तहत किसानों को वर्ष 2018 में खरीफ व रबी फसल का मुआवजा नहीं मिला। किसानों ने जनवरी माह में 42 दिन तक धरना दिया। इसके बाद मुआवजा राशि मंजूरी हुई। 20 अप्रैल तक किसानों के खाते में 143 करोड़ रुपये की राशि डाली जा चुकी है। आंदोलन के बाद किसानों को फसल बीमा की राशि रास आने लगी है। अगर किसानों को समय पर बीमा मिलता तो इससे किसानों को काफी फायदा मिलता।

नियमों में भी उलझे किसान

फसल बीमा योजना में जान बूझकर ऐसे नियम बनाए गये। जिससे किसान को नुकसान हो और बीमा कंपनी के फायदा हो। सबसे पहला नियम यह है कि जिन किसानों ने लोन लिया हुआ है। उन किसानों का बिना अनुमति के बीमा कर दिया गया। जिससे किसान ने लोन लेते समय धान की फसल दिखाई। इसके बाद किसान द्वारा किसान कपास की बिजाई की है। जिसमें बीमा धान की फसल का ही दिखाया गया है। किसानों को समय पर कभी मुआवजा नहीं मिला। जब किसानों ने संघर्ष किया तो किसानों के खाते में राशि डाली जाती है। बीमा योजना के तहत 500 रुपये किसान व 1500 रुपये केंद्र सरकार कंपनी को राशि देती है। इससे सीधे तौर पर कंपनी को फायदा पहुंचाया जा रहा है। अगर ये राशि किसान को दे दी जाए तो बीमा की आवश्यकता ही नहीं है। किसान की अपने आप आर्थिक स्थित मजबूत हो जाएगी।

विकल पचार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, स्वामी नाथन संघर्ष समिति


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