शिक्षक राजाराम ने विदेश में जाकर भी पढ़ाया शांति का पाठ
महेंद्र ¨सह मेहरा, सिरसा शिक्षक राजाराम विदेश में जाकर भी शांति का पाठ पढ़ा चुके है
महेंद्र ¨सह मेहरा, सिरसा
शिक्षक राजाराम विदेश में जाकर भी शांति का पाठ पढ़ा चुके हैं। राजाराम ने सेना में एजुकेशन हवलदार के पद पर कार्यरत रहते समय सोमालिया में 1993-94 भारतीय शांति सेना में गये। उस समय वहां पर ग्रह युद्ध चल रहा था। जिसमें बहुत से लोगों की मौत हो गई। गांव दड़बा कलां निवासी राजाराम धायल मौजूदा समय में शाह सतनाम ¨सह चौक के समीप राजकीय प्राथमिक स्कूल नंबर 2 में शिक्षक के पद पर कार्यरत है। हमेशा जुड़े रहे शिक्षा से
राजाराम धायल ने वर्ष 1986 में सेना में एजुकेशन हवलदार भर्ती हुए। सेना में मध्यप्रदेश के पंचमढ़ी में प्रशिक्षण लेने के बाद असम, उतराचंल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, बिहार व अन्य प्रदेश में कार्यरत रहे। इसके बाद वर्ष 1993-94 के अंदर सोमालिया में भारतीय शांति सेना में गये। इसके लिए उन्हें यूएनओ ने मेडल देकर सम्मानित किया। वर्ष 1999 के अंदर कारगिल युद्ध के दौरान उनकी ड्यूटी सेक्टर में हुई। राजाराम ने युद्ध के अंदर भी अपनी भूमिका निभाकर देश सेवा करने का कार्य किया। इसके बाद वर्ष 2002 में सेना से रिटायर्ड हो गये। 2004 में अलीमोहम्मद स्कूल में मिली नियुक्ति
शिक्षा विभाग के अंदर राजाराम धायल को वर्ष 2004 में जेबीटी पद के अंदर नियुक्ति हुई। उन्होंने गांव अलीमोहम्मद के राजकीय स्कूल में कार्यभार संभाला। इसके बाद रंधावा स्कूल में कार्यरत रहे। राजाराम की वर्ष 2016 में सिरसा के राजकीय प्राथमिक स्कूल नंबर 2 में कार्यभार संभाला। स्कूल में ज्यादातर गरीब बच्चे ही पढ़ने के लिए कम संख्या में आ रहे थे। स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ने के लिए राजाराम ने अध्यापकों से सहयोग लेकर विशेष अभियान चलाया। जिसके तहत झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले परिवारों के बच्चों को स्कूल में लाकर शिक्षित करने का कार्य किया। जब खर्च कर स्कूल का बढ़ाया सौंन्दर्य
राजाराम ने स्कूल के भवन का काफी लंबे समय से रंग रोगन नहीं हुआ था। उन्होंने खुद के पैसे रंग रोगन करवाया। वहीं पूरी परिसर को हराभरा कर दिया। उनसे पढ़कर छात्र आगे बढ़ रहे हैं।
-- मेरा सपना बचपन से ही शिक्षक बनने का था। जब मेरी शिक्षक के तौर पर नियुक्ति हुई। मुझे बहुत खुशी मिली। भारतीय सेना में रहकर कार्य किया। वहीं अब शिक्षा विभाग में कार्य कर रहा हूं। बच्चों का भविष्य शिक्षक ही बना सकता है।
राजाराम, शिक्षक