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190 साल पहले भूमि से निकला था मीठा पानी, जिससे गांव का नाम पड़ा मिठड़ी

जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर व तहसील मुख्यालय डबवाली से 19 किलोमीटर

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 06:09 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 06:09 PM (IST)
190 साल पहले भूमि से निकला था मीठा पानी, जिससे गांव का नाम पड़ा मिठड़ी
190 साल पहले भूमि से निकला था मीठा पानी, जिससे गांव का नाम पड़ा मिठड़ी

संवाद सहयोगी, डबवाली :

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जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर व तहसील मुख्यालय डबवाली से 19 किलोमीटर दूर बसा गांव मिठड़ी करीब 190 साल का इतिहास समेटे हुए है। करीब 2700 की आबादी वाले इस गांव का रकबा करीब 4000 एकड़ है। डबवाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस गांव में करीब 1800 मतदाता हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जब ये गांव उत्पत्ति में नहीं आया था तो उस वक्त वर्ष करीब 1833 में सूचांवाली पंजाब से गुलाब सिंह सूच नामक व्यक्ति यहां आया था। जिसके साथ मिठी फूलो पंजाब से हीरा सिंह व वजीरा सिंह अपने तीन भाइयों के साथ आया। जिसके बाद गांव में पंडित, सुथार, हरिजन व रमदासिया सहित अन्य कई बीरादरियों के लोग यहां आए और इस प्रकार ये गांव अस्तित्व में आया। गांव में दो पत्तियों का गठन किया गया जिसे सूच व मलकाना पत्ती नाम दिया गया।

बुजुर्गों के अनुसार उस समय गांव में पानी की बड़ी किल्लत थी जिसके चलते लोग दूर दराज क्षेत्रों से ऊंटों पर पानी लाते थे। बाद में गांव में कुएं खुदवाए गए जो पूरे गांव कि प्यास बुझाते थे। बुजुर्गों के अनुसार गांव में धरती के निचले हिस्से का पानी खारा था जिसके लिए गुलाब सिंह आदि बुजुर्गों ने कई जगह मीठे पानी कि तलाश की तो एक जगह पानी मीठा निकला जिसके बाद इस गांव का नाम मिठड़ी पड़ा। इस गांव को पूर्व में सूचांवाली व कर्म सिंह वाली मिठड़ी भी पुकारा जाता था, लेकिन बाद में धीरे धीरे ये गांव मिठड़ी के नाम से प्रचलित हो गया जो आज भी इसी नाम से जाना जाता है।

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चनण सिंह बने पहले सरपंच :

1953 में चनण सिंह सूच को गांव का सरपंच व महासिंह को नम्बरदार चुना गया। जिसके बाद लाल सिंह सिधु को सरपंच चुना गया। इसके बाद जग्गर सिंह ने करीब 9 वर्ष तक गांव की सरपंची संभालते हुए शिक्षा क्षेत्र में कदम बढ़ाकर गांव में प्राथिमक स्कूल की स्थापना करवाई लेकिन स्कूल के लिए कोई जगह न मिलने के चलते गांव में स्थित एक धर्मशाला में शिक्षा आरंभ की गई जो इस समय भी गांव के मुख्य चौंक में स्थित है जिसके बाद करीब 1959 में सरपंच लाल सिंह ने 6 बीघा पंचायती जमीन का प्रस्ताव पारित कर शिक्षा को आगे बढ़ाने में सहयोग दिया। वर्ष 1980 में स्कूल को दसवीं का दर्जा मिला तो वहीं वर्ष 2012 में इसे वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का दर्जा मिला।

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तीन दर्जन से ज्यादा ग्रामीण सरकारी सेवा में

शिक्षा क्षेत्र की बात करें तो इस गांव में करीब तीन दर्जन लोग सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं, जिनमें से अधिकतर अधिवक्ता हैं। जिसके चलते इस गांव को वकीलों वाली मिठड़ी भी कहा जाता है। इस गांव से सरदार मग्घर सिंह व भगवान सिंह आजाद हिद फौज के सिपाही रहे हैं। मौजूदा समय में गांव के करीब एक दर्जन युवाओं ने देश सेवा में भागीदारी निभाते हुए फौज की नौकरी को चुना है। गांव के सेवानिवृत आईएएस आफिसर हरभजन सिंह व आर्मी से नायब सूबेदार पद से सेवानिवृत हुए सुरजीत सिंह सूच का नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है

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धार्मिक आस्था ::

गांव में मंदिर, गुरुद्वारा व अन्य धार्मिक स्थल हैं जिनमें हाइवे के किनारे बना श्रीचंद उदासीन आश्रम डेरा साहिब बड़ा अखाड़ा काफी प्राचीनतम और लोगों की धार्मिक आस्था का केन्द्र है। इसे 1964 में बाबा वकील दास ने बनवाया था। हर वर्ष की 15 अगस्त को यहां पर धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।


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