व्यक्तित्व में बदलाव लाने में सक्षम है मनोविज्ञान : जांगड़ा
जागरण संवाददाता, सिरसा : मनोविज्ञान का महत्व किसी एक विषय तक सीमित नहीं है। मनोविज्ञान की
जागरण संवाददाता, सिरसा :
मनोविज्ञान का महत्व किसी एक विषय तक सीमित नहीं है। मनोविज्ञान की समझ व्यक्तित्व में आमूल-चूल बदलाव लाने में सक्षम है। उक्त विचार उच्चतर शिक्षा निदेशालय, हरियाणा द्वारा प्रायोजित व राजकीय महिला महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की ओर से मनोवैज्ञानिक परीक्षण पर कौशल विकास के लिए आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र में मुख्यातिथि के तौर पर कालेज प्राचार्य डा. राम कुमार जांगड़ा ने अपने संबोधन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान जीवन, शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में सफलता अर्जित करने की प्रारंभिक सीढ़ी है। संगीत के प्राध्यापक याद¨वदर ¨सह के निर्देशन में महाविद्यालय की छात्रा मोनिका, मैना, पूजा व रेणु ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कार्यवाहक प्राचार्य व कार्यशाला के संरक्षक डा. केके डूडी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में अति-रोचक, व्यवहारिक व व्यक्तिगत प्रसंग सुनाते हुए मनोविज्ञान के महत्व को दृढ़ किया। उन्होंने इस आयोजन के लिए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष व कार्यशाला के संगठन निदेशक डा. दलजीत ¨सह, सह संगठन सचिव प्रो. शिखा की विशेष सराहना की।
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अवसाद से बचने के लिए जीवन शैली बदलें
कार्यशाला के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में डा. रविन्द्र पुरी ने शोर से संगीत की ओर विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि व्यक्तियों में व्याप्त उदासी के कारण वह समाज से दूरी बना लेते हैं और अवसाद में चले जाते हैं जो अति खतरनाक रुझान है। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन लाना चाहिए। प्रो. संदीप राणा ने परामर्श कौशल में बातचीत में महत्व स्पष्ट करते हुए कहा कि कुछ समझाने से पहले स्वयं समझना जरूरी है। डा. तरलोचन ¨सह ने तर्क शक्ति के महत्व को उदाहरणों सहित स्पष्ट किया। डा. पवित्र ¨सह ने आश्चर्यजनक सम्मोहन विधि को प्रायोगिक स्तर पर करके दिखाया और विस्तार से समझाया।
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यह रहे मौजूद
इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य इंद्रजीत धींगड़ा, रामकुमार, डा. शत्रुजीत ¨सह इत्यादि के अलावा राजकीय महिला महाविद्यालय के स्टाफ सदस्यों व छात्राओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। कार्यशाला के समापन सत्र का संचालन डा. विक्रमजीत ¨सह व डा. दलजीत ¨सह ने किया।