महज विषय नहीं, जीवन पद्धति है मनोविज्ञान : प्रो. पूनिया
जागरण संवाददाता, सिरसा : वर्तमान दौर में हमें जिन मूल्यों से दो-चार होना पड़ रहा है उसमे
जागरण संवाददाता, सिरसा :
वर्तमान दौर में हमें जिन मूल्यों से दो-चार होना पड़ रहा है उसमें मनोविज्ञान विषय को महज एक ऐच्छिक विषय के रूप में न लेकर इसको एक जीवन पद्धति के तौर पर अपनाना होगा। समाज में परिवर्तन निश्चित व अनिवार्य है। उक्त उद्गार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के पूर्व कुलपति प्रो. बिजेंद्र कुमार पूनिया ने शनिवार को राजकीय महिला कॉलेज में कालेज प्रशासन व उच्चतर शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित मनोवैज्ञानिक परीक्षण एवं कौशल विकास पर राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि नई खोज प्रवृत्तियों, परिवर्तन व स्थिरता इत्यादि संकल्पों की जानकारी की आज नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज में जर-जोरू-जमीन संबंधी मानसिकता को यदि अच्छी तरह से जान लिया जाए तो ऐसी कुप्रवृत्तियों से आसानी से पीछा छूट सकता है। शोध कार्य से मिलती है नई जानकारी
कार्यवाहक प्राचार्य डा. के के डूडी ने कहा कि ऐसी कार्यशाला में शोध पत्र से नई जानकारी मिलती है। ऐसी कार्यशालाओं का समय-समय पर आयोजन होना चाहिए। उन्होंने आयोजन के लिए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष व कार्यशाला के संगठिक निदेशक डा. दलजीत ¨सह व उनकी सहयोगी टीम की विशेष सराहना की। कार्यशाला के प्रथम दिन तकनीकी सत्रों में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के सेवानिवृत्त प्रो. राजबीर हुड्डा व प्रो. राधेश्याम ने रिसोर्स पर्सन के तौर पर ज्ञानवर्धक किया। इस अवसर पर इग्नू सिरसा के निदेशक एचके लाल, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा. रविंद्र पुरी, डा. अविनाश कंबोज, डा. गुरनाम ¨सह, डा. नवीन मक्कड़, डा. बलदेव ¨सह, जगदीप ¨सह, श्यामलाल फुटेला, भूषण मोंगा, सीमा, मंजू मेहता, मंजू कंबोज, डा. प्रीत मौजूद थी।