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पहले खुद बचाई पराली, अब दूसरों को भी जागरूक कर रहा है गुरमंगत

गांव चक्क साहिबा निवासी किसान गुरमंगत सिंह ने पिछले साल अपने खेत में

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 12:13 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 06:38 AM (IST)
पहले खुद बचाई पराली, अब दूसरों को भी जागरूक कर रहा है गुरमंगत
पहले खुद बचाई पराली, अब दूसरों को भी जागरूक कर रहा है गुरमंगत

जागरण संवाददाता, सिरसा : गांव चक्क साहिबा निवासी किसान गुरमंगत सिंह ने पिछले साल अपने खेत में धान की पराली को जलाने की बजाय उसे काटकर गांठे बनाने लगा। 20 एकड़ जमीन में पराली काटकर उसे जमीन में मिला दिया। जिससे फसल का झाड़ भी बढ़ा। काटी गई पराली की गांठे बनाई जोकि गुजरात से आए व्यापारी 150 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद कर ले गए। पराली बचाने का यह सौदा गुरमंगत के लिए फायदे वाला साबित हुआ। एक तो पराली मिलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ी साथ ही वायु प्रदूषण भी नहीं हुआ और आर्थिक तौर पर भी लाभ हुआ।

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गुरमंगत सिंह का कहना है कि इसके बाद आसपास के किसानों ने भी उससे संपर्क किया। जिसके बाद वे भी पराली जलाने की बजाय उसे धरती में मिलाने व गांठें बनाने के लिए आगे आए। गुरमंगत ने बताया कि पराली को धरती में मिलाने से गेंहूं का झाड़ तो बढ़ता ही है साथ ही पौधा में अंतिम समय तक हरापन रहता है। पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति व मित्र कीटों का खात्मा हो जाता है।

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गुरमंगत सिंह ने बताया कि उसकी गांव बालासर में 20 एकड़ जमीन पर तथा चक्का साहिबा में 40 एकड़ जमीन पर धान की फसल उगाई है। इसमें से 20 एकड़ पराली को वह धरती में मिला देगा तथा शेष पराली की गांठे बना देगा।अगर गुजरात से व्यापारी आ गए तो पराली उन्हें दे देगा, जिसे वे सामान पैंकिग में इस्तेमाल करते है। अगर व्यापारी नहीं आए तो पराली को गोशाला में दे देगा, जिससे गउओं के लिए चारे का प्रबंध होगा।


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