खुले आसमान तले पड़ा है अरबों का गेहूं, ढकने के लिए तिरपाल तक नहीं
इस बार गेहूं खरीद प्रबंधों पर लापरवाही का साया है। कभी बारदाना सम
डीडी गोयल, डबवाली :
इस बार गेहूं खरीद प्रबंधों पर लापरवाही का साया है। कभी बारदाना समय पर उपलब्ध नहीं हुआ तो कभी उठान में देरी हुई। अरबों रुपये का अनाज खुले आसमान तले पड़ा है। बारिश में भीगकर अनाज खराब हो सकता है लेकिन खरीद एजेंसियों को इसकी परवाह तक नहीं। हालात यह हैं कि किसानों से खरीदे गए अनाज को बचाने के लिए तिरपाल तक उपलब्ध नहीं है।
मंगलवार को संवाददाता ने डबवाली से सकताखेड़ा का दौरा कर स्थिति जानी। रिपोर्ट में सामने आया कि सोमवार रात को तेज बारिश होती तो अरबों रुपये का अनाज खराब हो जाता। सवाल उठता है कि खराब अनाज का जिम्मेदार कौन होता। जांच में यह बात भी सामने आई कि तिरपाल तो दूर गेहूं बैग के स्टैग रखने के लिए एजेंसियों के पास कैरेट तक उपलब्ध नहीं है। जबकि मंडियों में करीब 20 फीसद से ज्यादा अनाज उठान की इंतजार कर रहा है।
लाइव रिपोर्ट :
सुबह 8.30 बजे हैं। सोमवार रात को हुई हलकी बारिश के बाद मौसम में ठंडक है। चौटाला हाईवे पर गेहूं बैग से भरे ट्रक संगरिया की ओर जा रहे हैं। हम इन ट्रकों का पीछा करते हुए जैन मंदिर के नजदीक पहुंच गए हैं। ट्रक एक ओपन प्लींथ में प्रवेश कर गए हैं। यहां करीब ढाई सौ स्टैग (साढ़े सात लाख बैग) में गेहूं लगा हुआ है। चार-पांच स्टैग पर तिरपाल नजर आ रही है। शेष बगैर तिरपाल के हैं। बताते चले यहां जो अनाज पड़ा है उसकी कीमत करीब 70 करोड़ रुपये है। साथ सटी ओपन प्लंथ में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने करीब 150 स्टैग (साढ़े 4 लाख बैग) गेहूं लगाया हुआ है। एक भी स्टैग ढका नहीं हुआ है। यहां रखे अनाज की कीमत करीब 42 करोड़ रुपये है। चौटाला हाईवे पर ही आगे बढ़ते हैं तो ट्रक वडिगखेड़ा रोड से पहले एक गोदाम में जा रहे हैं। पीछा करते-करते हम हरियाणा स्टेट वेयर हाउसिग कॉर्पोरेशन के गोदाम में जा पहुंचे हैं। यहां भी करीब 42 करोड़ रुपये का गेहूं 150 स्टैग में लग चुका है। तिरपाल यहां भी नहीं है। यहां से बाहर निकलकर गांव चौटाला की ओर कुछ दूरी तय करते हैं तो गांव सकताखेड़ा स्थित हैफेड का फीड प्लांट नजर आता है। यहां कई वाहनों से गेहूं उतारा जा रहा है। करीब 250 स्टैग (साढ़े 7 लाख बैग) पड़े हैं। सबसे ज्यादा गेहूं खरीद करने वाली एजेंसी हैफेड के पास भी अनाज सुरक्षित रखने के संसाधन मौजूद नहीं है। अभी तक नहीं आई तिरपाल
मौका पर मिले खरीद एजेंसी हैफेड, वेयर हाउस, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक तिरपाल की कीमत 20 हजार रुपये है। ठेका चंडीगढ़ से छूटता है। अभी तक सरकार ने तिरपाल उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। कब बरसात हो जाएं, इसका पता नहीं। इस समय बारिश हो गई तो अनाज बर्बाद हो जाएगा। पिछले वर्षों की जो कटी फटी तिरपाल हैं, वह मंगवाई गई हैं। इसे ढकने की ड्यूटी उठान ठेकेदार की होती है। वह भी लेबर उपलब्ध नहीं करवा रहा। इस वजह से गेहूं के स्टैग नहीं ढके जा रहे।
20 फीसद गेहूं का उठान शेष
मार्केट कमेटी डबवाली के आंकड़ों पर गौर करें तो सभी खरीद केंद्रों पर करीब 31.60 लाख क्विंटल गेहूं की खरीद हो चुकी है। इसमें से 24.77 लाख क्विंटल गेहूं का उठान हो चुका है। जोकि 78 फीसद आंका गया है। करीब 22 फीसद गेहूं अभी भी उठान का इंतजार कर रही है। हालांकि गेहूं खरीद अंतिम दौर में है। इसके बावजूद गेहूं तेजी से मंडियों में आ रही है। रोजाना करीब 10 से 15 हजार क्विंटल गेहूं मंडियों में पहुंच रही है। :::::खुले आसमान तले भंडारित गेहूं की सुरक्षा होनी चाहिए। लकड़ी के कैरेट या फिर तिरपाल की व्यवस्था खरीद एजेंसियों के पास होनी चाहिए। यह गंभीर विषय है। इस संबंध में जल्द एजेसियों की बैठक कॉल करके खाद्य सुरक्षा के प्रबंध करने की हिदायत दी जाएगी। जो अधिकारी या कर्मचारी हिदायतों का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
-ओमप्रकाश देवराला, एसडीएम, डबवाली