न दर्शक, न मेला, कोरोना ने छीनी रामलीला की रौनकें
कोरोना संक्रमण का असर त्योहारों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। स
जागरण संवाददाता, सिरसा : कोरोना संक्रमण का असर त्योहारों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। संक्रमण के चलते इस बार शहर की गली मुहल्लों में होने वाली रामलीलाएं मंचित ही नहीं हो रही है। वहीं शहर की दो बड़ी रामलीलाएं भी मात्र औपचारिकता पूर्ण कर रही है। इसी कड़ी में शुक्रवार रात को जनता भवन रोड स्थित रामलीला मैदान में श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामलीला मंचन शुरू किया गया तो वहीं दूसरी तरफ विष्णु क्लब द्वारा सुरतगढि़या चौक पर रामलीला ग्राउंड में रामलीला मंचित की गई। रामा क्लब द्वारा आयोजित रामलीला में गणेश पूजन हुआ व विष्णु भगवान की आरती की गई। विष्णु भगवान का किरदार निभा रहा कलाकार तो पूरी ड्रेस में था जबकि अन्य पात्रों ने सामान्य कपड़ों में ही अपने किरदार निभाए। क्लब के सदस्यों सहित 40-50 लोग ही लीला को देखने पहुंचे। क्लब के महासचिव गुलशन गाबा ने बताया कि 1950 से रामलीला मंचन कर रहे हैं। इस बार कोरोना के चलते रामलीला मंचन की औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। हालांकि सुबह के समय मंच पर रामायण पाठ होता है, जिसमें क्लब के सदस्य व पदाधिकारी श्रद्धाभाव से भगवान राम का पूजन कर रहे हैं। --------- विष्णु क्लब द्वारा मंचित की जा रही रामलीला के दौरान क्लब के दोनों तरफ के गेट बंद रखे गए तथा अंदर आने की पाबंदी संबंधित पोस्टर चस्पा किए गए थे। क्लब के अंदर कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया। जिसमें रावण शिव संवाद, रावण वेदवती संवाद इत्यादि मंचित किए गए। रामलीला मैदान में एक भी दर्शक नहीं था, मात्र कलाकार व क्लब से जुड़े सदस्य मौजूद रहे। रामलीला का फेसबुक, यू ट्यूब व स्थानीय केबल पर प्रसारण किया गया। क्लब के प्रधान अजय ऐलाबादी ने बताया कि सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक मंचन कर रहे हैं। दर्शकों को आने की मनाही है, रामलीला का ऑनलाइन प्रसारण कर रहे हैं। -------------- हर वर्ष लगता था मेला
रामलीला मंचन के समय हर वर्ष मेले का सा माहौल होता था। रामा क्लब व विष्णु क्लब दोनों ही रामलीलाओं में बड़ी संख्या में दर्शक आते थे। बाहर की तरफ मूंगफली, खाने पीने की वस्तुओं की रेहड़ियां लगती थी। विष्णु क्लब में बाहर से महिला कलाकार बुलाई जाती थी, जिनका डांस देखने के लिए लोग आते थे उधर रामा क्लब में सात्विक भाव से रामचरित मानस के श्लोकों पर आधारित रामलीला मंचन होता था, जहां बड़ी उम्र के लोग, महिलाएं अधिक संख्या में आते थे।