शिक्षा की जोत जला रही है नीलम
स्कूल में ड्यूटी पर जाते समय चौपटा अनाज मंडी में झुग्गी झोपड़ी के
जागरण संवाददाता, सिरसा : स्कूल में ड्यूटी पर जाते समय चौपटा अनाज मंडी में झुग्गी झोपड़ी के पास गरीब बच्चों को खेलते हुए देखा। इसके बाद इन बच्चों को पढ़ाने की ठानी और परिवारों को शिक्षा के लिए जागरूक किया। इसके बाद चार बच्चे स्कूल आने लगे। इसके बाद प्रतिवर्ष बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। इससे मुझे बहुत खुशी मिली। अपनी खुशी बरकरार रखने के लिए गरीब बच्चों से जुड़ी हुई है। ये कहना है रिटायर्ड मुख्याध्यापिका चौपटा निवासी नीलम का। नीलम रिटायर्ड होने के 8 साल बाद भी गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए मदद कर रही है।
शिक्षा विभाग में चौपटा निवासी नीलम रानी ने 29 जनवरी 1986 को अध्यापिका के पद पर नौकरी मिली। नियुक्ति मिलने के बाद कैंरावाली के राजकीय स्कूल में तैनाती हुई। इसके बाद नवंबर 2011 को मुख्य अध्यापिका के पद पर पदोन्नति मिली। नीलम ने बताया कि चौपटा के राजकीय स्कूल में जब तैनात थी। स्कूल में जाते समय झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले परिवारों के बच्चों को पढ़ाने का फैसला लिया। अभिभावकों को जागरूक कर बच्चों को पढ़ाने का कार्य शुरू किया।
--- रिटायर्ड होने के बाद भी जोड़ रही है शिक्षा से
शिक्षा विभाग से नीलम रानी वर्ष 2012 में रिटायर्ड हो गई। इसके बाद भी हौसला कम नहीं हुआ। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले परिवारों के बच्चों को पुस्तकें, कॉपी, स्टेशनी व अन्य सामान उपलब्ध करवा रही है। इसी के साथ जो बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं उनके परिजनों को शिक्षा के महत्व बताते हुए स्कूल से जोड़ने का कार्य करती है।
--- सभी का फर्ज बनता है
मुझे बहुत खुशी मिलती है कि रिटायर्ड होने बाद भी शिक्षा से जुड़ी हुई हुं। गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षित करना हमारा फर्ज बनता है। गरीब बच्चों को स्कूल जाते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी मिलती है।
- नीलम रानी, रिटायर्ड मुख्याध्यापिका