गांव में संगठनों और पंचायतों के सहयोग से आगे बढ़ेगा नशा मुक्त अभियान
नशे के खिलाफ पुलिस के अभियान को और अधिक मजबूती देने के लिए अब इ
जागरण संवाददाता, सिरसा : नशे के खिलाफ पुलिस के अभियान को और अधिक मजबूती देने के लिए अब इस कार्य में जन संगठनों की भी भागीदारी होगी। भागीदारी पंचायत की हो या गांव के क्लब की, सभी अपनी जिम्मेवारी निभाएंगे और इसका पाठ खुद पुलिस अधीक्षक गांव में नशे के खिलाफ आयोजित कार्यक्रम में पढ़ाएंगे। पुलिस अधीक्षक का कार्यक्रम जल्द ही तय होगा और वे पंचायत के बीच में ही जन संगठनों के साझी कमेटियां बनवाने पर बल देंगे।
जिले की अनेक पंचायतों ने नशे के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिए है और इस प्रस्ताव को पुलिस प्रशासन को उपलब्ध करवा दिया है। ऐसे ही प्रस्ताव अन्य पंचायतें भी देगी। पंचायतों से तालमेल पुलिस के अधिकारी कर रहे हैं। पंचायतों के प्रस्ताव के बाद पुलिस उन लोगों की सूची भी बना रही है, जो लोग नशा छोड़ना चाहते हैं और छोड़ नहीं पा रहे हैं।
फरियाद किसी भी चीज की हो, नशे के बारे में जरूर पूछते एसपी
पुलिस अधीक्षक के समक्ष आने वाले शिकायतकर्ता ज्यादातर गांव से संबंध रखते हैं। पुलिस अधीक्षक उनसे यह पूछना नहीं भूलते कि उनके गांव में नशा किस कदर फैला है। किस तरह का नशा है। हालांकि नशे से जुड़े कुछ और सवाल भी पूछते हैं लेकिन उनका मकसद ग्राम स्तर पर सूचनाएं एकत्रित करना है। एक दो शिकायतकर्ताओं से वह यह भी पूछते हैं कि ग्राम पंचायत या क्लब नशे के खिलाफ अभियान चला रहा है या नहीं। गांव में कोई व्यक्ति नशे के खिलाफ आवाज उठा रहा हो। ग्रामीणों की इस फीडबैक को पुलिस के अभियान के लिए आवश्यक मानते है और कहते हैं कि इसी के सहारे तो लोगों को जोड़ते हैं। पहली बार इतने सेशन ट्रायल
पुलिस अधीक्षक हामिद अख्तर ने बताया कि नशे की मात्रा कम हो, तो केस जूनियर अदालत में चलता है और यदि मात्रा अधिक है तो केस सेशन ट्रायल में जाएगा। सिरसा में इस वक्त सेशन ट्रायल के मामले 341 के आंकड़े को पार कर गए हैं। जबकि जूनियर डिविजन में केस कम है। पुलिस ने उन लोगों की हिस्ट्री भी खंगाली है जो बार बार एनडीपीएस एक्ट में जेल जाते हैं और बाहर आते ही फिर से इसी धंधे में जुट जाते हैं।