आस्था के साथ जलसंरक्षणः यहां जलाभिषेक से बढ़ाया जा रहा भूजल स्तर
श्री बाला जी सालासर धाम मंदिर में आस्था के साथ भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने में मदद मिल रही है। मंदिर में शिवालय के साथ बोरवेल किया हुआ है।
जेएनएन, सिरसा। जल के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है। इसके बाद भी जल की बर्बादी नहीं रुक रही है। भूमिगत पानी का भी जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। श्री बाला जी सालासर धाम मंदिर में आस्था के साथ भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने में मदद मिल रही है। मंदिर में शिवालय के साथ बोरवेल किया हुआ है। इससे जैसे ही श्रद्धालु मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं तो पानी भूमि में चला जाता है।
बता दें कि जिले में बीते 15 साल के दौरान भू-जल स्तर गिरने की रफ्तार बढ़ती जा रही है। जिले का रानियां खंड तो डार्क जोन में जा चुका है। जिस रफ्तार से सिरसा खंड में गिरावट हो रही है, उससे लगता है कि अब बारी सिरसा की है। डेढ़ दशक के दौरान सिरसा खंड में लगभग 24 मीटर जलस्तर गिरा है।
सावन माह में सबसे अधिक जलाभिषेक
मंदिर में शिवालय के साथ वर्ष 2001 में बोरवेल किया गया। भगवान शिव का भक्त जब जलाभिषेक करते हैं तो यह जल बोरवेल में चला जाता है। सालासर धाम मंदिर में शिवालय पर सुबह शाम शहरवासी जलाभिषेक करते हैं। सावन माह में सबसे अधिक जलाभिषेक किया जाता है। सावन माह में प्रतिदिन 700 लीटर पानी शिवालय पर चढ़ाया जाता है। मंदिर में सावन के अतिरिक्त प्रतिदिन 300 लीटर पानी चढ़ाया जाता है।
विभाग के पास संसाधन की कमी
भूजल स्तर पर निगरानी रखने के लिए भू-जल कोष विभाग का कार्यालय तो जिला स्तर पर बना दिया गया है पर विभाग में संसाधनों की कमी के कारण विभाग गिरते भू-जल स्तर पर रोक लगाने में कुछ योगदान नहीं दे पा रहा है। विभाग में कर्मचारियों की कमी भी काम को प्रभावित कर रही है।
श्रीबालाजी सालासर धाम मंदिर के प्रबंधक संजय शर्मा का कहना है कि मंदिर में शिवालय के साथ बोरवेल किया गया। मंदिर में शिवालय पर जैसे ही जलाभिषेक किया जाता है उसी के साथ पानी बोरवेल में चला जाता है। इससे भूजल स्तर में सुधार होगा और वहीं पानी भी व्यर्थ नहीं बहता है।
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