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इंस्पेक्टर जयभगवान की विभागीय जांच की जगह दर्ज होगी एफआइआर

अपराध पुलिस करे या आम आदमी न्याय की परिभाषा में दोनों के खिलाफ ए

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 06:14 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 06:36 AM (IST)
इंस्पेक्टर जयभगवान की विभागीय जांच की जगह दर्ज होगी एफआइआर
इंस्पेक्टर जयभगवान की विभागीय जांच की जगह दर्ज होगी एफआइआर

जागरण संवाददाता, सिरसा:

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अपराध पुलिस करे या आम आदमी न्याय की परिभाषा में दोनों के खिलाफ एक कार्रवाई बनती है। आम आदमी हाथ उठाए तो केस दर्ज, पुलिस के अधिकारी पर भी तो कार्रवाई वही बनती है जो आम आदमी के लिए है। मारपीट की बात रिकॉर्ड में है तो अर्जुन अवॉर्डी बॉक्सर इंस्पेक्टर जयभगवान के खिलाफ एफआइआर की जाए। उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग की यह तल्ख टिप्पणी पुलिस की उस फाइल को लेकर आई जिसमें विभागीय जांच की अनुमति मांगी गई थी। फाइल का अवलोकन करने के बाद उपायुक्त ने एफआइआर दर्ज करने के निर्देश जारी किए हैं। बॉक्सर जयभगवान ने लंदन ओलंपिक में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व किया था और राष्ट्रमंडल खेलों में भी वह पदक जीत चुके हैं। खेल करियर में उनके नाम कई पदक हैं। यह था मामला

इंस्पेक्टर जयभगवान ने अनाज मंडी स्थित होटल में एक कमरा बुक करवाया था। रात्रि को इंस्पेक्टर एक महिला के साथ होटल पहुंचा। होटल संचालक ने आइडी मांगी तो इंस्पेक्टर जयभगवान ने अपनी आइडी दे दी। महिला की आइडी मांगने पर विवाद हो गया। एक साइड की फोटोकॉपी देकर वापस ले ली और इसके बाद इंट्री रजिस्टर में कटिग कर दी। गत 16 जून की रात्रि का यह मामला सुबह शिकायत के साथ एसएसपी के संज्ञान में आ गया और उन्होंने जांच बैठा दी। आरंभिक जांच डीएसपी आर्यन चौधरी ने की और मारपीट से संबंधित सीसीटीवी फुटेज भी देखी। उनकी जांच के बाद एसएसपी ने इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर कर दिया। अर्जुन अवॉर्डी इंस्पेक्टर जयभगवान ने इस मामले में अपना तर्क दिया कि उसका भाई तथा उसका परिवार अमृतसर से आ रहा था। ऑनलाइन उन्हीं के लिए कमरा बुक करवाया गया था। आइडी भी दे दी थी लेकिन उन्हें जानबूझकर कमरा नहीं दिया जा रहा था। जब किराये के 800 रुपये मांगें तो होटल मैनेजर ने उसके साथ बदतमीजी की। इस मामले में इंस्पेक्टर जयभगवान को लाइन हाजिर कर दिया गया। एफआइआर डिलीट मामले में भी केस दर्ज के हुए थे आदेश

उपायुक्त इससे पहले बड़ागुढ़ा थाना में आरोपित के फरार होने के बाद एफआइआर डिलीट करने के मामले में भी विभागीय जांच की बजाय पुलिस अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दे चुके हैं। तब भी पुलिस प्रशासन ने विभागीय जांच की अनुमति मांगी थी। इस मामले में अभी तक एफआइआर दर्ज होने की जानकारी नहीं है। मामले के अनुसार बड़ागुढ़ा पुलिस ने 7 ग्राम हेरोइन के साथ युवक को पकड़ा था। लघु शंका के बहाने युवक फरार हो गया था। ऑनलाइन दर्ज हो चुकी एफआइआर को पोर्टल से डिलीट करवाए जाने के लिए डीएसपी की संस्तुति बिना उनकी जानकारी के थाना प्रभारी ने ही कर दी। मामला सामने आया तो एसएसपी ने पूरा स्टाफ बदल दिया। आइओ को सस्पेंड कर दिया तथा चार के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए।


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