तालाब से निकली जल संरक्षण की धार, 96 तालाब करेंगे रिचार्ज का काम
वर्षों पुरानी तालाब बनाने की परंपरा फिर से जिदा हुई है। चार साल
जागरण संवाददाता, सिरसा : वर्षों पुरानी तालाब बनाने की परंपरा फिर से जिदा हुई है। चार साल पहले राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर तालाबों के सुधारीकरण का बीड़ा उठाया और पंचायतों से नए तालाबों की सूची भी मांगी। सरकार का यह बीड़ा तब सामने आया जब दैनिक जागरण जल संरक्षण की मुहिम तालाबों को गोद लेने और उनके सुधारीकरण के लिए अभियान चलाने लगा। इस अभियान में नहर विभाग की भी बड़ी भूमिका सामने आई है। विभाग ने पंचायतों के 96 तालाबों की 150 एकड़ भूमि के सुधारीकरण का फैसला लिया है।
पुराने वक्त में जब संसाधन कम थे और पानी की उपलब्धता की पूर्ति के लिए तालाब और कुएं प्रमुख स्त्रोत रहे। धीरे-धीरे यह परंपरा विलुप्त होती गई और तालाबों पर कब्जा होते गया। या उसमें घरों से निकला गंदा पानी डाला जाने लगा। तब दैनिक जागरण ने तालाब संरक्षण को लेकर मुहिम चलाई और सूखे तालाबों का पंचायतों के सहयोग से सुधारीकरण का बीड़ा उठाया। हर जिले में इस अभियान से जल संरक्षण की एक नई तस्वीर दिखाई देने लगी। सामाजिक संगठन भी अभियान से जुड़ गए। इस बार सिरसा में नहर विभाग ने तालाबों की खुदाई का फैसला लिया है। रिचार्ज होगा भूजल
नहर विभाग के अधिकारियों के अनुसार 96 तालाबों की सूची गत वर्ष बनाई गई थी लेकिन इनकी खुदाई का कार्य इस वर्ष किया जा रहा है। साढ़े 450 घन मीटर अतिरिक्त पानी इन तालाबों में होगा और इससे भूजल रिचार्ज होगा। तालाबों में बरसात का पानी डाला जाएगा और अति आवश्यकता हुई तो इन तालाबों में नहरी पानी भी डाल दिया जाएगा ताकि मवेशी भी पानी पी सके। लेकिन मुख्य लक्ष्य बरसाती पानी के भंडारण का है। पानी बचत के लिए किए थे रिचार्ज
प्रशासन ने कई विभागों के सहयोग से गत दो वर्षों में पानी के व्यर्थ बहने से रोकने के लिए नहरों के साथ-साथ रिचार्ज बोर किए गए और इसका उद्देश्य नहरी व बरसाती पानी जो एक स्थान पर एकत्रित होकर रह जाता है उसे रिचार्ज बोर से जमीन में उतारना था। गत वर्ष तो केंद्र सरकार के प्रयास भी सार्थक दिखे और सभी विभागों को पानी की बचत को लेकर एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया। कुएं से लेकर तालाबों के अभियान से जुड़ते गए संगठन
दैनिक जागरण के इस अभियान में आम आदमी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। पंचायतों ने जहां तालाबों के सुंदरीकरण और कब्जे हटाने का अभियान चलाया वहीं अनेक संगठन इस अभियान से प्रेरित होकर जल बचाव की मुहिम से जुड़ गए। अनेक गांवों में व्यर्थ पेयजल को रोकने के लिए सामाजिक संगठनों ने भी काम किया। कुछ संगठनों ने खुद के खर्च पर टोंटी लगवाई तो कुछ ने पाइप भी ठीक करवाई। जन स्वास्थ्य विभाग से जुड़े संगठन ने गांवों में व्यर्थ बहते पानी को रोकने के लिए घर-घर सर्वे किया और लोगों को जागरूक करने का भी काम किया।