ग्रीष्मकालीन अवकाश में सक्षम प्लस परीक्षा को लेकर कक्षाएं लगाने का फरमान
जागरण संवाददाता सिरसा सरकारी व निजी स्कूलों में मेगा सक्षम प्लस परीक्षा को लेकर कक्षाएं
जागरण संवाददाता, सिरसा:
सरकारी व निजी स्कूलों में मेगा सक्षम प्लस परीक्षा को लेकर कक्षाएं लगाने के निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। जिले में सक्षम मेगा परीक्षा 6 खंडों में जुलाई माह में आयोजित होनी है। जिसके तहत सिरसा, ओढ़ा, चौपटा, ऐलनाबाद, रानियां व डबवाली खंड में परीक्षा आयोजित होगी। जिसे तहत चौथी, छठी व आठवीं कक्षा अंग्रेजी विषय की परीक्षा होगी। इस परीक्षा के बाद खंड सक्षम प्लस माना जाएगा। मेगा सक्षम प्लस की परीक्षा बड़ागुढ़ा खंड में 17 मई को आयोजित हो चुकी है। जिसका अभी परिणाम आना शेष है। गौरतलब है कि सरकारी व निजी स्कूलों में शिक्षा विभाग ने 1 जून से 30 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित किया हुआ है।
-- शिक्षकों में रोष
सक्षम प्लस परीक्षा को लेकर शिक्षकों में रोष फैल गया है। अवकाश को लेकर पहले ही शिक्षकों ने घूमने या निजी कार्य के लिए प्लान बनाया हुआ है। स्कूल लेक्चरार एसोसिएशन के प्रांतीय मीडिया प्रधान प्रमुख गुरदीप सैनी ने कहा कि पिछले कई दिनों से तापमान काफी बढ़ा हुआ है। इस गर्मी के मौसम में कक्षाए लगाना बच्चों पर अत्याचार करने जैसा है। यह बिल्कुल गलत है। शिक्षा विभाग सक्षम परीक्षाएं बंद करें। इससे अच्छा पांचवीं व आठवीं कक्षा में बोर्ड की परीक्षा आयोजित करवाए।
-- अध्यापकों को कक्षाएं लगाने के लिए बाध्य नहीं किया गया है। अध्यापकों की मर्जी है वह कक्षाएं लगाए या नहीं। किसी भी अध्यापक पर कोई दबाव नहीं।
राजेश चौहान, जिला शिक्षा अधिकारी, सिरसा
प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी जताया विरोध
सिरसा। शिक्षा विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान अतिरिक्त कक्षाए लगाए जाने के तुगलकी फरमान को गलत ठहराते हुए राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ सिरसा ने इसका पुरजोर विरोध करता है। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मीडिया प्रभारी गोविल सिसोदिया ने जारी बयान में कहा कि विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश इसलिए किए जाते हैं कि बच्चे इस प्रचंड गर्मी की चपेट में आकर उनका स्वास्थ्य खराब न हो लेकिन विभाग की दोहरी नीति नौनिहालों पर भारी पड़ती दिख रही है। सिसोदिया ने बताया कि इस वक्त तापमान 46 डिग्री तक पहुंच चुका है ऐसी स्थिति में छोटे बच्चे किस तरह सक्षम कक्षाएं लगा पाएंगे जबकि इस मौसम में बिजली व पानी की भयंकर किल्लत होती है।
सिसोदिया ने बताया कि शिक्षकों ने पहले भी जिले को सक्षम बनाने में अपना तन, मन व धन से विशेष योगदान दिया है। उन्होने बताया कि इस गर्मी में अगर बच्चे बीमार हो जाते हैं तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा। इस गर्मी में जहां बड़े भी घर से निकलने से गुरेज कर रहे हैं और ऐसे में छोटे बच्चों को विभाग द्वरा स्कूलों में आने के लिए बाध्य करना सरासर गलत है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप