Move to Jagran APP

राम रहीम के शिकार हुए साधु बोले- विश्वास है अब माहौल बदलेगा, अच्छे दिन आएंगे

राम रहीम को सीबीआइ कोर्ट द्वारा रामचंद्र छत्रपति हत्‍या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने से उसके शिकार बने साधुओं को भी राहत मिली है। उनका कहना है कि अब माहौल बदलेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 08:32 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 08:32 AM (IST)
राम रहीम के शिकार हुए साधु बोले- विश्वास है अब माहौल बदलेगा, अच्छे दिन आएंगे
राम रहीम के शिकार हुए साधु बोले- विश्वास है अब माहौल बदलेगा, अच्छे दिन आएंगे

सिरसा, जेएनएन। Ram Rahim को रामचंद्र छत्रपति हत्‍या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने से उन साधुओं को भी राहत और खुशी मिली है जो उसके शिकार बने। उनका कहना है कि अब विश्‍वास है माहौल बदलेगा अौर अच्‍छे दिन आएंगे। खट्टा सिंह, रामचंद्र छत्रपति और रणजीत सिंह के परिवार के साथ डेरे के पूर्व साधु हंसराज भी गुरमीत के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। हंसराज साधुओं को नपुंसक बनाने मामले में डेरे की धमकियों की परवाह किए बगैर कानूनी लड़ाई लडऩे से पीछे नहीं हटे। अब उन्हें विश्वास है कि डेरे के सब राज बेपर्दा होंगे, किसी को माफी मांग कर दिन नहीं बिताने पड़ेंगे।

loksabha election banner

साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में लड़ाई लड़ रहे हंसराज हकीकी बोले, न्याय पालिका पर दृढ हुआ विश्वास

जागरण से विशेष बातचीत में हंसराज हकीकी ने कहा कि खराब समय बीत चुका है। दिन अच्छे की ओर आए हैं और यह सब न्याय पालिका की बदौलत हो पाया है। उन्होंने कहा कि अंतररात्मा जागी तो वे भी डेरा प्रमुख के खिलाफ खड़े हो गए। उसके घिनौने कृत्य बताने लगे तो घमंड में चूर डेरा धमकियों पर उतर आया, लेकिन उन्हें बदल नहीं सका।

हंसराज बोले, अब विश्वास है कि माहौल बदलेगा और डेरे का विरोध करने के बावजूद उन्हें रोजी-रोटी का संकट नहीं आएगा। हकीकी ने कहा कि डेरे के खिलाफ आवाज उठाया तो उसके लिए तो रोजगार के रास्ते ही बंद हो गए। डेरे के डर से संगीत जानने के बाद भी न तो स्कूल कॉलेज में काम मिला और न ही किसी कंपनी ने रोजगार दिया। वे तो सच्चाई की कीमत चुका रहे हैं।
--------------
गायब हो गया वो नूर, सब समय का फेर

हकीकी ने कहा कि सब कुछ करने का क्रेडिट लेने वाले डेरा प्रमुख के चेहरे पर वो नूर नहीं है। नूर गायब हो गया, चेहरा मुरझा गया है। नहीं पता था डेरा के खिलाफ न्याय के खिलाफ लड़ाई इस मुकाम तक भी जाएगी। खैर, रामरहीम ने जो किया है वो तो भुगतना होगा, न्यायपालिका ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।

---------

माफी के बावजूद वैर रखता था गुरमीत, पलपल बदलता था उसका चेहरा : खट्टा सिंह

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में डेरा प्रमुख को सजा दिलाने में खट्टा सिंह की भी अहम भूमिका रही है। कभी राम रहीम के खास रहे खट्टा सिंह ने 1996 से लेकर आज तक उसके कई चेहरे देखे हैं। वह 1996-97 से अप्रैल 2007 तक डेरा प्रमुख का ड्राइवर रहा है। इन दस सालों में उसने उसके कई रूप देखे। बकौल खट्टा सिंह डेरे में संत मत तो रहा नहीं। सच मानिये, लाखों लोगों की भावनाओं के साथ विश्वासघात हुआ है। अंतर्रात्मा जबाव दे गई। पांव डेरे की ओर बढऩे से रुकने लगे तो मैने डेरा छोड़ दिया। निडर होकर लड़ा हूं और बाबा के कई रूप देखे हैं।
-------------
माफी तो दिखावा थी, अंदर से माफी नहीं

खट्टा सिंह ने बताया कि पल-पल में बाबा का चेहरा बदलता था। आदमियों को देखकर बात करता था। बाबा को गुस्सा बहुत आता था, चेहरा लाल हो जाता था। लोग गिड़गिड़ाते थे, माफी मांगते थे क्योंकि बाबा की हैसियत बहुत ऊपर चली गई थी लेकिन दिखावे की माफी होती थी। अंदर से बाबा ने किसी को माफ नहीं किया और न ही दोबारा किसी को नजदीक लगने दिया।
----------

यशोगान का मुरीद था गुरमीत

खट्टा सिंह ने कहा, बाबा को प्रशंसा सुनना अच्छा लगता था। यशोगान में ही बाबा के कई लोग नजदीक भी आए। जिसने बात सही नहीं माना उसके लिए गुरमीत के दरवाजे बंद थे। वह सारे फैसले खुद करता था। मैनेजमेंट सिर्फ नाम का होता था। कुछ भी सही हो तो खुद ने कर दिया और गलत हो गया तो मैनेजमेंट ने कर दिया, यही वहां की रीति थी। 
-------------
कौन कहता है दुनियादारी से दूर था राम रहीम

खट्टा सिंह ने कहा कि पहले बाबा सत्संगों में यह जरूर कहता था कि वह दुनियादारी से दूर है। कहां, क्या घट रहा है, उसे इसकी जानकारी नहीं होती, लेकिन यह झूठ था। सच यह है कि तब भी बाबा फोन पर बतियाता था। उसके पास अपना फोन था। वर्षों पहले जब गुरुसर मोडिया में मकान बना रहा था तब सेटेलाइट फोन का जिक्र होता था, लेकिन वह इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते।
------------
मनाने की बात आई लेकिन मैने विश्वास नहीं किया

खट्टा सिंह ने कहा, मुझे मनाने के प्रयास भी हुए, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी। मैने सीबीआइ के अधिकारियों को बहुत कुछ बताया और उनसे आग्रह किया कि मेरे नाम को सार्वजनिक न किया जाए, नहीं तो मेरे व मेरे परिवार को डेरा नुकसान पहुंचा सकता था। बहुत सी जानकारियां मैने सीबीआइ से सांझा की थी। मुझे यकीन था कि देर हो सकती है लेकिन सच सच रहेगा।
----------------
गुरमीत को व्यवस्था में छेद पर भरोसा था, इसलिए नहीं टूट रहा था गुरुर

डेरे से ही जुड़े एक प्रमुख व्यक्तित्व ने कहा कि डेरे का नेटवर्क दूर तक फैल चुका था। सरकार नतमस्तक होती थी और लाखों करोड़ों अनुयायियों की भीड़ दिखाकर डेरा व्यवस्था से टकराने का कोशिश करता रहा। डेरे का नेटवर्क इस कदर फैला था कि कदम कदम पर हर जगह उसके आदमी थे। व्यवस्था में हुए इसी छेद पर उसे भरोसा था। लेकिन यह छेद सूचनाओं के लिए तो हो सकता है डेरे के काम आ गए हों, लेकिन व्यवस्था के खिलाफ इनका रोल नहीं था। पूर्व के इस पदाधिकारी के अनुसार डेरे को कभी लगा ही नहीं कि फैसले अचानक ऐसे उलटे पड़ जाएंगे। पंजाब से जब टकराव की बात आई तब भी उसके रणनीतिकार अपनी जीत मान बैठे थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.