क्वालिटी पर दिया ध्यान, पंजुआना के शक्करपारा व भुजिया ने बनाई पहचान
महेंद्र सिंह मेहरा सिरसा। अच्छी क्वालिटी का शक्करपारा व भुजिया का स्वाद चखना है तो लोगों
महेंद्र सिंह मेहरा, सिरसा।
अच्छी क्वालिटी का शक्करपारा व भुजिया का स्वाद चखना है तो लोगों की जुबान पर एक ही नाम है गांव पंजुआना। गांव पंजुआना में तैयार किए गए शक्करपारा व भुजिया के खाने से ही लोगों के दिन की शुरूआत होती है। सुबह चाय के साथ प्लेट में शक्करपारे व भुजिया की ही डिमांड होती है। ये दोनों उत्पाद हरियाणा के दूसरे शहरों में खासे प्रसिद्ध है। गांव में पीढ़ी दर पीढ़ी शक्करपारा व भुजिया बनाने का कार्य करते आ रहे हैं। गांव में इस कारोबार से परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से 200 से अधिक लोग जुड़े हुए है। करीब छह हजार की आबादी वाले इस गांव में थोक की दस से अधिक दुकानें है जिनमें प्रतिदिन औसतन एक से दो लाख रुपये तक शक्करपारा, भुजिया व बालूशाही की बिक्री होती है। शक्करपारा 100 रुपये व भुजिया 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मार्केट व गांव में बेचते हैं। दूसरों के लिए मिसाल बना गांव
गांव के बस स्टैंड पर शक्करपारा व भुजिया की अनेक दुकानें है। यहां से शहर व दूसरे गांव के लोग शक्करपारा व भुजिया बेचने के लिए लेकर जाते हैं। हाथ से बनाए गये शक्करपारा व भुजिया लोगों की पसंद बने हुए हैं। यहां के शक्करपारा को शहर में भी कई जगह पर स्टालें लगती है। इसी के साथ फेरीवाले भी गांव-गांव जाकर पंजुआना के शक्करपारा व भुजिया की आवाज लगाते हुए देख जा रहे हैं।
परिवार के सदस्य घर पर करते हैं तैयार
शक्करपारा व भुजिया तैयार करने के लिए महाराष्ट्र से सायोबीन का तेल मंगवाया जाता है। शक्करपारा व भुजिया में अच्छी क्वालिटी का बेसन व मैदा इस्तेमाल करते हैं। शक्करपारा बनाने का कार्य घरों में करते हैं। संबंधित कारोबारी परिवार की महिलाएं भी इसमें हाथ बंटाती है। महिलाएं ही पैकिग करने का कार्य करती है।
पीढ़ी दर पीढ़ी कर रहे हैं कार्य
आत्मप्रकाश कामरा ने वर्ष 1974 में गांव में शक्करपारा व भुजिया बनाने का कार्य शुरू किया था। इसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी शक्करपारा व भुजिया बनाने का कार्य कर रहे हैं। इससे जहां खुद को रोजगार मिला हुआ है वहीं दूसरे लोग भी शक्करपारा व भुजिया उनसे खरीद कर बेच रहे हैं। इससे उनको भी रोजगार मिल रहा है।
इंद्रसेन कामरा, गांव निवासी शक्करपारा व भुजिया बनाने में अच्छी क्वालिटी का मैदा, बेसन, सायोबीन का तेल इस्तेमाल करते हैं। इसी के साथ बनते समय साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। शक्करपारा व भुजिया का स्वाद इसी के कारण लोगों की जुबान पर आया है। लोगों को पंजुआना के शक्करपारा व भुजिया पर पूरा विश्वास हो गया है। इसी के कारण ही गांव के शक्करपारा व भुजिया को प्रसिद्धि मिली है।
कर्मचंद, गांव निवासी