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संसदीय चुनाव जीतने के बाद अब निगाहें नप प्रधान की कुर्सी पर

सिरसा में पहली बार संसदीय चुनाव में कमल खिलाने के बाद भाजपा काय

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 11:37 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 06:33 AM (IST)
संसदीय चुनाव जीतने के बाद अब निगाहें नप प्रधान की कुर्सी पर
संसदीय चुनाव जीतने के बाद अब निगाहें नप प्रधान की कुर्सी पर

जागरण संवाददाता, सिरसा :

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सिरसा में पहली बार संसदीय चुनाव में कमल खिलाने के बाद भाजपा कार्यकर्ता जोश में है। जीत से उत्साहित भाजपा हाईकमान की निगाहें एक बार फिर से सिरसा नगर परिषद सीट के प्रधान पद पर लग गई है। यूं तो सिरसा नगर परिषद सीट पर भी भाजपा का बहुमत था और प्रधान भी भाजपा की ही चुनी गई थी परंतु कुछ अपने ही पार्षदों ने खेल बिगाड़ दिया और प्रधान पद पर कांग्रेस समर्थित रणधीर सिंह को कार्यकारी प्रधान के रूप में बैठा दिया। संसदीय चुनाव जीतने के बाद एक बार फिर से भाजपा नेता प्रधान पद पर काबिज होने की तैयारियों में लग गए है। अपनों ने ही बिगाड़ा खेल

दिसंबर 2016 में सिरसा नगर परिषद का गठन हुआ था। महिला आरक्षित प्रधान पद की सीट पर पहली बार भाजपा को बहुमत मिला था और सेतिया गुट की शीला सहगल प्रधान बनी थी। इस चुनाव में भाजपा समर्थित 16 पार्षद चुने गए थे जबकि कांग्रेस व कांडा के पांच- पांच, इनेलो के दो व तीन आजाद पार्षद चुने गए थे। शहर में विकास कार्यों को लेकर भाजपा के ही कुछ बागी पार्षदों ने खेल बिगाड़ा दिया और कांग्रेस और कांडा समर्थक पार्षदों के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव ले आए। 2018 जुलाई माह में अविश्वास प्रस्ताव में प्रधान के खिलाफ बहुमत आया और पार्षदों ने मिलकर कांग्रेस के रणधीर सिंह को कार्यकारी प्रधान चुन लिया। महिला आरक्षित सीट होने के बावजूद पिछले दस महीनों से रणधीर सिंह कार्यकारी प्रधान के रूप में काम कर रहे है। सुगबुगाहट हुई तेज

शीला सहगल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले 22 पार्षद भी अब एकजुट नजर नहीं आते। वहीं भाजपा द्वारा संसदीय चुनाव जीतने के बाद पार्टी जोश में है और भाजपा नेता सक्रिय हो गए है कि नगर परिषद के प्रधान पद की सीट पर भी भाजपा का ही कब्जा हो। पार्टी की जीत के बाद असंतुष्ट पार्षद भी खेमा बदल सकते है। नगर परिषद में प्रधान पद को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सुनीता दुग्गल के रूप में भाजपा को मिला एक और सशक्त नेता

सिरसा में सुनीता दुग्गल के सांसद बन जाने के बाद पार्टी को एक और सशक्त नेता मिल गया है साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नहीं चाहती कि शहर के विकास का श्रेय उन्हें न मिले। ऐसे में पार्टी अभी से जुगत बैठाने में जुट गई है। पार्टी के खफा पार्षदों की मान मनोव्वल का दौर शुरू हो गया है। भाजपा नेता सभी गुटों के नेताओं से संपर्क साधने में जुट गए हैं। पार्टी को उम्मीद है कि जल्द ही प्रधान पद को लेकर भी बात बन जाएगी।


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