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बारिश से जलभराव के बाद अब उखेड़ा से फसल हो रही खराब

पिछले दिनों हुई बारिश के बाद अब कपास फसल में उखेड़ा रोग तेजी से बढ़ रहा है। उखेड़ा से खराब हो रही कपास की फसल ने किसानों को संकट में डाल दिया। कृषि विभाग की दस टीमों ने जिले में खराब हुई फसलों का पता करने के लिए सर्वे कार्य शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 09:50 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 09:50 PM (IST)
बारिश से जलभराव के बाद अब उखेड़ा से फसल हो रही खराब
बारिश से जलभराव के बाद अब उखेड़ा से फसल हो रही खराब

जागरण संवाददाता, सिरसा : पिछले दिनों हुई बारिश के बाद अब कपास फसल में उखेड़ा रोग तेजी से बढ़ रहा है। उखेड़ा से खराब हो रही कपास की फसल ने किसानों को संकट में डाल दिया। कृषि विभाग की दस टीमों ने जिले में खराब हुई फसलों का पता करने के लिए सर्वे कार्य शुरू कर दिया है। जिले में 5500 किसानों ने फसल खराब होने पर कृषि विभाग के पास आवेदन कर मुआवजा मांगा है। इसमें सबसे ज्यादा चौपटा क्षेत्र के 4000 हजार किसानों ने आवेदन किए हैं। प्रदेश में कपास की करीब छह लाख हेक्टेयर में बिजाई होती है। जिसमें सबसे अधिक सिरसा जिला में दो लाख हेक्टेयर से बिजाई होती है।

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फसल पर जड़ गलन रोग का प्रभाव देखा जा रहा है जो मौसम में तापमान अचानक गिरने व बढ़ने कारण पैदा होता है। वहीं उखेड़ा रोग का भी प्रकोप काफी देखा जा रहा है। इन रोगों के कारण किसानों की काफी फसल बर्बाद हो रही है। किसान फसल को बचाने के लिए कीटनाशकों का भी प्रयोग कर रहे हैं। इसके बाद भी फसल नहीं बच पा रही है। किसान दूनी राम, विरेंद्र सिंह व जाकिर सिंह ने बताया कि फसल पहले अधिक बारिश से खराब हुई अब उखेड़ा रोग से खराब हो रही है। इससे किसानों को काफी आर्थिक रूप से नुकसान हुआ है। जिला प्रशासन खराब फसलों की स्पेशल गिरदावरी करवाने का कार्य करें जिससे किसानों को मुआवजा मिल सके। चौपटा क्षेत्र में सबसे अधिक नुकसान

बारिश से कपास की फसल में सबसे ज्यादा नुकसान चौपटा क्षेत्र में हुआ है। चौपटा क्षेत्र के 4000 किसानों ने फसल खराब होने पर कृषि विभाग के पास मुआवजा के लिए आवेदन किए हैं। क्षेत्र के कई गांव में सेम की समस्या है। जिनमें सबसे ज्यादा नुकसान है। इनमें नाथूसरी कलां, दड़बा कलां, मानकदिवान, रूपाना खुर्द, माखोसरानी, शाहपुरिया, शक्करमंदोरी, नहराना, नारायणखेड़ा, कैंरावाली, लुदेसर, गंजा रूपाना, रूपाना बिश्नोईया, गुडियाखेड़ा व बकरियांवाली शामिल है। ऐसे करें बचाव

कृषि विज्ञान केंद्र के सीनियर कोर्डिनेटर डा. देवेंद्र जाखड़ ने बताया कि उखेड़ा के लक्षण दिखाई देते ही 24 घंटे के अंदर एक ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। एनपीके एक किलो को 100 लीटर पानी में मिलाकर भी छिड़कें। इससे फसल को उखेड़ा रोग से बचाया जा सकता है। 5500 किसानों ने फसल खराब होने पर आवेदन किए

जिले में अभी 5500 किसानों ने फसल खराब होने पर आवेदन किए

कपास की फसल में बारिश से जलभराव व उखेड़ा रोग से फसल खराब होने का सर्वे कार्य किया जा रहा है। इसके लिए खंड कृषि विकास अधिकारी व कृषि विकास अधिकारियों की टीम सर्वे करने में लग गई है। जिले में अभी 5500 किसानों ने फसल खराब होने पर आवेदन किए हैं।

डा. बाबूलाल, कृषि उपनिदेशक, सिरसा


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