फौजी पति को बचाने के लिए छोटे भाई और पत्नी ने दी किडनी, नहीं सुधरी हालत, निधन
जागरण संवाददाता रोहतक फौज में तैनात बड़े भाई को बचाने के लिए चार साल पहले छोटे भाई न
जागरण संवाददाता, रोहतक : फौज में तैनात बड़े भाई को बचाने के लिए चार साल पहले छोटे भाई ने अपनी किडनी दी और एक सप्ताह पहले पत्नी ने भी अपनी किडनी पति की जिदगी के लिए दे दी। लेकिन किडनी खराब होने के कारण लंबे समय से भर्ती जवान का उपचार के दौरान चंडीगढ़ के आर्मी हास्पिटल में निधन हो गया। सेना के अधिकारी और जवान पार्थिव शरीर को लेकर शुक्रवार को रोहतक पहुंचे और गमगीन माहौल में अंतिम विदाई दी गई। हैरानी की बात यह है कि सूचना देने के बाद भी अंतिम संस्कार के समय कोई भी पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी वहां पर नहीं पहुंचा।
मूलरूप से पश्चिमी बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले 38 वर्षीय नितेश कुमार चौबे सेना में हवलदार के पद पर कार्यरत थे, जो फिलहाल में चंडीगढ़ में तैनात थे। नितेश कुमार की शादी हिसार की रहने वाली इंदू शर्मा के साथ हुई थी। इंदू शर्मा शहर के एक स्कूल में शिक्षिका है। शादी के बाद से नितेश कुमार का परिवार रोहतक की सनसिटी में रहता है। उनकी दो साल की बेटी स्वाति भी है। नितेश कुमार के भाई विकास कुमार और अशोक कुमार ने बताया कि वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। करीब चार साल पहले विकास कुमार ने अपनी एक किडनी उन्हें दी थी, जिससे उनकी जिदगी बच सके। इसके बाद कुछ दिनों तक उनकी हालत में सुधार हुआ, लेकिन फिर से हालत बिगड़ गई। करीब एक सप्ताह पहले उनकी पत्नी ने भी अपनी किडनी उन्हें दी थी। फिर भी वह उनकी जिदगी नहीं बचा सके। इंफेक्शन के कारण बृहस्पतिवार को आर्मी हास्पिटल में उनका निधन हो गया। शुक्रवार दोपहर के समय सेना के अधिकारी बीरेंद्र सिंह व अन्य जवान उनके पार्थिव शरीर को लेकर रोहतक पहुंचे, जिसके बाद शीला बाईपास स्थित श्मशान घाट में उन्हें अंतिम विदाई दी गई। छोटे भाई विकास कुमार ने चिता को मुखाग्निी दी। परिजनों का कहना है कि जवान के अंतिम संस्कार की सूचना पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को पहले ही दे दी गई थी। फिर भी कोई अधिकारी अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचा। इससे लोगों में रोष है। अंतिम संस्कार के बाद पहुंचे सहकारिता मंत्री
जिस समय अंतिम संस्कार किया जा रहा था कि उसी समय पता चला कि सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर भी अंतिम दर्शन के लिए आ रहे हैं। इस वजह से करीब पांच मिनट तक सहकारिता मंत्री का इंतजार किया गया और फिर मुखाग्निी दे दी गई। इसके बाद सहकारिता मंत्री वहां पहुंचे और जवान के परिजनों को सांत्वना दी।