शाम तक मतदान केंद्र तलाशते रहे वोटर, तमाम लोग नहीं डाल सके वोट
रोहतक : निकाय चुनाव से पहले जून में हुई वार्डबंदी का असर मतदान के दौरा
जागरण संवाददाता, रोहतक : निकाय चुनाव से पहले जून में हुई वार्डबंदी का असर मतदान के दौरान दिखा। हालात यह रहे कि तमाम मतदाता वोट देने से वंचित रह गए। कई मतदाता ऐसे भी रहे जो देर शाम तक मतदान केंद्र तलाशते रहे। कई मतदाता ऐन मौके पर मतदान करने पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारियों तक शिकायतें पहुंचीं, लेकिन अफसरों ने भी हाथ खड़े कर दिए। वहीं, मतदान से पहले बीएलओ ने पर्ची नहीं पहुंचाई, यह भी परेशानी का कारण रहा।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी ने दावा किया कि उनका नाम वोटर लिस्ट में 1991 से है। तभी से लगातार विधानसभा और लोकसभा व दूसरे सभी चुनाव में मतदान किया। अंतिम बार 2014 के विधानसभा चुनाव में मतदान किया, लेकिन इस बार निकाय चुनाव में वोटर लिस्ट में नाम गायब मिला। इनका यह भी दावा कि कुछ दिन पहले चुनाव आयोग की ओर से वोट रजिस्टर्ड होने का मैसेज भी आया था। फिर भी वोट डालने से वंचित रहने का मलाल रहा। इन्होंने यह भी कहना है कि मदवि कैंपस वार्ड-12 में आता है। संबंधित वार्ड की वोटर लिस्ट में नाम नहीं था। सुनित मुखर्जी की बहन का भी वोटर लिस्ट से नाम गायब था। इनके अलावा पीजीआइ के कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों व मदवि के कई अधिकारियों व कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों के वोटर लिस्ट से नाम गायब मिले। पूरी गली का वोट वार्ड-6 में और व्यापारी नेता के घरवालों के वार्ड-5 में
वार्डबंदी में ऐसा बंटवारा हुआ कि कालोनियों की छोड़िए घर तक एक से दूसरे वार्ड में पहुंच गए। पालिका बाजार के प्रधान गुलशन निझावन ने बताया कि उनका घर पालिका बाजार के निकट ही है। इसी गली के सभी घरों के वोट वार्ड-6 में हैं। इसलिए सभी वोटर वार्ड-6 में वोट डालने गए। गुलशन निझावन की मां राजरानी, बड़े भाई विनोद कुमार, भाभी अर्चना, पत्नी प्रोमिला व दो अन्य वोट शाम तीन बजे तक पता ही नहीं चले कि किस वार्ड व बूथ पर हैं। हालांकि कड़ी मशक्कत के बाद पता चला कि इनके वोट वार्ड-5 स्थित जींद रोड पर बनाए गए बूथ नंबर-1 पर हैं। ये लोग शाम करीब 3.45 बजे बमुश्किल वोट डाल सके।