बड़े सपने साकार करने के लिए सख्त परिश्रम करें युवाः उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने भारतीय प्रबंधन संस्थान सुनारिया में आयोजित सातवें दीक्षांत समारोह में बच्चों को डिग्री दी। इस दौरान उन्होंने युवाओं को कड़ी मेहनत करने का पाठ पढ़ाया।
जेएनएन, रोहतक। उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कहा कि युवाओं को जीवन में ऊंचे इरादों के साथ बड़े सपने साकार करने के लिए सख्त परिश्रम करना चाहिए, तभी वे बुलंदियों को छू सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज और देश को नेतृत्व देने के लिए उच्च विचारों के साथ कार्य करेंगे तो सफलता उनके कदमों की ओर अग्रसर होगी।
उपराष्ट्रपति भारतीय प्रबंधन संस्थान सुनारिया में आयोजित सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने 155 स्नात्तकोत्तर विद्यार्थियों को डिग्री वितरित की। इसके अलावा तीन विद्यार्थियों को डाक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्होंने आईआईएम के भवन का भी लोकार्पण किया।
लगभग 200 एकड़ में बने इस आइआइएम पर अब तक 215 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जा चुकी है। केंद्र सरकार द्वारा 309 करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान किया गया है। उत्तर भारत का यह पहला प्रबंधन संस्थान है, जहां विद्यार्थियों को प्रबंधन के विषय में स्नातक व स्नातकोत्तर को डिग्रियां प्रदान की जा रही हैं।
खुशी से उछलते डिग्री हासिल करने वाले छात्र।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं को सामाजिक कार्य अपनी पूरी तन्मयता, क्षमता व विश्वसनीयता के साथ करनी चाहिए। युवाओं को अपनी असीम ऊर्जा का प्रयोग सार्थकता की ओर करना हमारे भारत देश की पहचान है। उन्होंने कहा कि संस्कारों के साथ जुड़ाव करके बढ़ोतरी और विकास को ध्येय मानते हुए क्रान्ति के साथ आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेषकर सामाजिक रूप से बदलाव लाने के लिए सार्थक पहल करनी चाहिए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए सुदृढ़ संस्कार और विचार रखने चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे देश की पहचान बेहतरीन संस्कृति और विविधता में एकता को दर्शाने वाली है, इसीलिए भारत को प्राचीन समय में विश्वगुरू का दर्जा मिला हुआ था। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में सबका साथ-सबका विकास और सभी का जीवन सुखमय और खुशहाल हो, हमारे देश की संस्कृति ही हमारी जीवन पद्धति है।
नायडू ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के युग में हमें विश्व स्तर की भाषा और संस्कृति का ज्ञान अवश्य होना चाहिए लेकिन हमें हमारे देश की मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में किसी भी तरह की भावना का व्याख्यान करना आसान है, इसलिए हमें सदैव अपनी मातृभाषा को प्रमोट करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए उन्हें संस्कृति से ओतप्रोत बनाना चाहिए। यह समय की आवश्यकता भी है। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं को और ज्यादा मान सम्मान देना चाहिए, यह हमारे देश की प्राचीन सभ्यता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं को अग्र स्थान देने के लिए कार्य करना चाहिए।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक धीरज शर्मा ने संस्थान की उपलब्धियों पर बखान करते हुए बताया कि संस्थान में 500 से अधिक विद्यार्थियों एवं शिक्षकों का भव्य कैम्पस है। आगामी वर्ष में कई और प्रशिक्षण शुरू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि खेल स्नात्तकोत्तर में डिग्री प्रदान करने वाला यह एकमात्र संस्थान है, जिसमें इस वर्ष प्रशिक्षण शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी बैच में लड़कियों की संख्या 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दीक्षांत समारोह में 23 राज्यों के विद्यार्थियों के अभिभावकों ने भाग लिया।
इस अवसर पर वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु, शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर, संस्थान के चेयरमैन रविकान्त, राज्यसभा सांसद डीपी वत्स, आयुक्त रोहतक मंडल पंकज यादव, उपायुक्त डॉ. यश गर्ग, पुलिस अधीक्षक पंकज नैन, नगराधीश महेंद्रपाल, एसडीएम अरविन्द मल्हाण सहित संस्थान के अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।
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