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धोखाधड़ी के आरोपित दो सगे भाई दिल्ली में गिरफ्तार

वित्तीय धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के मामले में दिल्ली पुलिस ने रोहतक के दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया है। वी इंस्पायर फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड पालम विहार गुरुग्राम के मुख्य आरोपित विकास ढुल और अरुण ढुल मूल रूप से सनसिटी सेक्टर 35 रोहतक के निवासी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 07:09 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 07:09 AM (IST)
धोखाधड़ी के आरोपित दो सगे भाई दिल्ली में गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, रोहतक : वित्तीय धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के मामले में दिल्ली पुलिस ने रोहतक के दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया है। वी इंस्पायर फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड, पालम विहार गुरुग्राम के मुख्य आरोपित विकास ढुल और अरुण ढुल मूल रूप से सनसिटी सेक्टर 35, रोहतक के निवासी हैं। जिन्हें द्वारका से गिरफ्तार किया गया है। एबीपी ट्रेवल्स एंड फैसिलिटी मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के जयप्रकाश की ओर से स्वरूप नगर थाने में दर्ज एफआइआर के आधार पर मुख्य आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश रचने और कई कंपनियों की भारी मात्रा में फर्जी रसीद जारी कर वित्तीय धोखाधड़ी, फर्जी फैसिलिटी और बिजनेस मैनेजमेंट कंपनी स्थापित करके फर्जी टेंडर्स, फर्जी बिल और भुगतान के आरोप में कार्रवाई की है। आरोपितों पर आइपीसी की धारा 409, 420, 467,468, 471, 120 बी और 25/30 आ‌र्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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छह दिन के पुलिस रिमांड पर आरोपित

आरोपितों को पुलिस ने छह दिन के रिमांड पर लिया है। जांच के अनुसार, लगभग 500 फर्जी कर्मचारियों का पता चला है। जिन्होंने भारी मात्रा में फर्जी बैंक खाते खोले थे। आरोपितों की ओर से चलाई जा रही कंपनी में पहले ही 34 करोड़ रुपये की जीएसटी धोखाधड़ी की सूचना मिली है और जीएसटी विभाग की ओर से कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। पुलिस अन्य आरोपितों निमेश वशिष्ठ, अनिल शर्मा, दीपिका ढुल और अन्य की तलाश कर रही है। इनके खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा में वित्तीय धोखाधड़ी की प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।

यह है मामला

एफआइआर के अनुसार मुख्य आरोपित अन्य लोगों के साथ मिलकर कंपनियों को धोखा देने और वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए एक फर्जी फैसिलिटी मैनेजमेंट कंपनी चला रहा था। आरोपित पर बैंक खातों को संभालने, ग्राहकों के चालान, विक्रेता चयन और अन्य सहित अनधिकृत दिन-प्रतिदिन के संचालन करने का आरोप लगाया गया है। उन पर कई फर्जी विक्रेताओं को नियमित भुगतान करने का भी आरोप लगाया गया है। जो कंपनी के आंतरिक आडिट के दौरान पता चला था।


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