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कम नहीं है अनुराधा का संघर्ष, जो मारते थे कभी ताने आज उन्हीं को है फख्र

चेस की अंतरराष्ट्रीय प्लेयर खेड़ी गांव की अनुराधा बेनीवाल ने सात समंदर पार बैठकर गांव में बेटियों की चेस टीम तैयार की।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 01:55 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 08:57 PM (IST)
कम नहीं है अनुराधा का संघर्ष, जो मारते थे कभी ताने आज उन्हीं को है फख्र
कम नहीं है अनुराधा का संघर्ष, जो मारते थे कभी ताने आज उन्हीं को है फख्र

रोहतक [विनीत तोमर]। छोरी की जात है, कै करेगी इतणा पढ़-लिखकै। ब्याह होण पै करना तो चूल्हा-चौका ही है। क्यों इतनी खुली छूट दे रखी। जिस बेटी के लिए पिता को ग्रामीणों के ऐसे ताने सुनने को मिलते थे, आज उसी बेटी पर पूरा खेड़ी गांव फख्र कर रहा है। करे भी क्यों न।

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गांव की बेटी अनुराधा बेनीवाल हैं चेस की अंतरराष्ट्रीय प्लेयर तो है ही, उसने सात समंदर पार लंदन में बैठकर न केवल गांव को गोद लिया, बल्कि गांव की 40 से अधिक बेटियों को ट्रेनिंग देकर चेस खिलाड़ी तैयार किया है। करीब तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद अब यह टीम जिला स्तर पर खेलने को तैयार है।

अनुराधा के पिता कृष्ण बेनीवाल रिटायर्ड शिक्षक हैं। 12वीं की पढ़ाई के बाद दिल्ली के मिरांडा हाउस से बीए ऑनर्स और पुणे से एलएलबी की। वह पहली बार 16 वर्ष की उम्र में 2001 में वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में भाग लेने स्पेन गई थीं। इसके बाद उन्होंने पेरिस, फ्रांस, पोलैंड, ब्राजील, हंगरी और स्विटजरलैंड समेत 10 से अधिक देशों में जाकर प्रतियोगिता खेली। फिलहाल वह लंदन में चेस एकेडमी चला रही हैं। करीब दो साल पहले अनुराधा ने 'आजादी मेरा ब्रांड' पुस्तक भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में लिखा था। साथ ही बेटियों को संदेश दिया कि घर से बाहर निकलकर ही सफलता की सीढिय़ां मिल सकती है।

रोहतक के खेड़ी महम के स्कूल में चेस खेलतीं छात्राएं।

तीन साल पहले 'जिओ बेटी' नाम से शुरू की मुहिम

अनुराधा ने करीब तीन साल पहले 'जिओ बेटी' नाम से मुहिम शुरू की थी। इसका उद्देश्य था कि गांव की बेटियों को सशक्त बनाना। इसके अंतर्गत अनुराधा ने अपने गांव के उसी स्कूल की बेटियों को चुना, जिसमें वह खुद पढ़ी थी। गांव के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बेटियों की पढ़ाई-लिखाई, ड्रेस और उन्हें चेस की ट्रेनिंग देनी भी शुरू कर दी।

अनुराधा के इस काम में करीब 11 लोगों की टीम लगी हुई है। अनुराधा जब भी गांव में आती हैं, तब वह खुद भी बेटियों को चेस के टिप्स देती हैं। उनके बाद महम कॉलेज के शिक्षक सुमेर ङ्क्षसह सिवाच टीम को बारीकियां सिखाते हैं। कुछ महीने पहले स्कूल में चेस कंपटीशन कराया गया था, जिसमें साक्षी, मुस्कान, आरजू समेत अन्य ने शानदार प्रदर्शन किया। अब ये बेटियां जिला स्तर पर खेलने को तैयार है।

जाट आरक्षण आंदोलन के बाद पोस्ट की गई वीडियो रही थी चर्चाओं में

वर्ष 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद अनुराधा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट की थी। इसमें अनुराधा ने अमन और भाईचारा बनाए रखने की मार्मिक अपील करने के साथ ही उन लोगों को नसीहत भी दी थी, जो दूसरों के घर जला रहे थे। अनुराधा की इस वीडियो को काफी सराहा गया था।

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