Move to Jagran APP

सीजीएसटी छापे में कुछ अधिकारियों से भी हो सकती है पूछताछ

केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर(सीजीएसटी) में कार्रवाई हो चुकी है। अभी तक फरार चल रहे तीनों अधिकारियों को सस्पेंड किया जा चुका है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 08:29 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 08:29 PM (IST)
सीजीएसटी छापे में कुछ अधिकारियों से भी हो सकती है पूछताछ

भागलपुर। मुल्लाचक में इमरान उर्फ कल्लू पर हुए हमले का तार तीन दशक पूर्व होने वाले अंसारी-सल्लन गिरोह की खुरेंजी जंग से जुड़ने लगा है। हमले में बुरी तरह जख्मी कल्लू का दिया फर्द बयान कुछ ऐसा ही इशारा कर रहा है। नामजद हमलावरों में रहमत कुरैशी, पाशा बादशाह, मुहम्मद आफताब और सद्दाम तो निमुछिये बदमाश हैं, पर शाबिर का नाम आते ही तस्वीर साफ होने लगी है। इलाके में दबी जुबान से लोग कहने लगे हैं कि राख के नीचे बदले की दबी चिंगारी कल्लू पर हुए हमले के बाद धधक गई है।

loksabha election banner

कहा जा रहा है कि कल्लू भी अपने पिता मुहम्मद इकबाल के नक्शे कदम पर चल निकला है। उसकी बैठकी रोज मियां साहब के मैदान में जरायम पेशेवरों संग होती थी। गांजा, स्मैक, रंगदारी या जमीन की खरीद-बिक्री का धंधा था ही। इलाके में किसी के विरोध में डटकर खड़े होने। अपने साथ कुछ लड़कों को लेकर चलने और रंग-ढंग उसके पिता के जमाने की दुश्मनी रखने वालों के कान खड़े कर दिए थे। कल्लू धीरे-धीरे अपने पास लड़कों को रखना शुरू कर दिया था। कहीं वह बदले की तैयारी में तो नहीं? करोड़ी बाजार के पास कल्लू के पिता की हुई थी हत्या

कल्लू के पिता इकबाल की हत्या भागलपुर दंगे से पूर्व करोड़ी बाजार के समीप पटवारी के घर के पास कर दी गई थी। इकबाल की हत्या से तब मुल्लाचक समेत मुफस्सिल इलाके में खलबली मच गई थी। इकबाल तब खौफ का दूसरा नाम था। उसकी हत्या में शाबिर का नाम भी चर्चा में आया था। इकबाल ने शाबिर के चाचा की हत्या की थी। उसकी हत्या बदले में की गई थी। शाबिर का तब पहला अपराध था। शाबिर ने हत्या के बाद मोगलपुरा में शरण ले लिया था। फिर भागलपुर दंगे में भी वहीं रहा था। करीब डेढ़ साल पूर्व रहमत कुरैशी को इलाके में दौड़ा पर पकड़ कर पुलिस के हवाले करने वाला शख्स का रहमत को गले लगाना चौंकाने वाला है। कल्लू पर हमला हाल में बदलते अपराध समीकरण को मुहर लगा दिया है। इसरार के कत्ल के बाद हुई थी इकबाल की हत्या

तीन दशक पूर्व तातारपुर के एक बड़े परिवार की रिश्तेदारी रखने वाले इसरार की हत्या कर दी गई थी। तब बरईचक निवासी सरगना इनायतुल्ला अंसारी के करीबी रहे इकबाल ने मोगलपुरा के जसीम उर्फ जस्सो, हबीबपुर के शब्बन के साथ मिलकर इसरार की हत्या कर दी थी। इसरार की हत्या ने अंसारी मियां को भी हिला दिया था। क्योंकि उसकी हत्या का फरमान उसने जारी नहीं किया था। उस हत्या से इकबाल की तूती बोलने लगी थी। मुफस्सिल में वह किसी से टकराने लगा था। कहा जाता है कि वह पाला बदल कर अंदर ही अंदर अंसारी के प्रतिद्वंद्वी सल्लन मियां गुट से जुड़ गया था। उसकी हरकत से अंसारी मियां अंदर ही अंदर तिलमिला उठा था। बदले की योजना बनाने वाले अंसारी मियां ने नये चेहरे शाबिर को मोहरा बनाया था। इसरार की हत्या के चंद दिनों बाद ही इकबाल की हत्या कर दी गई थी। पाला बदलने और उभरते चेहरे को मोहरा बनाने का सिलसिला

बदले का सिलसिला थमा नहीं है। पाला बदल मोहरे इधर उधर हो रहे हैं। धधकी बदले की आग में अब शाबिर गुट को घाव देने की ताक में हो सकता हे की बरईचक के टिंकू मियां गुट कल्लू को सहयोग करे। क्योंकि चर्चा है कि रहमत को 21 अगस्त की दोपहर मोगलपुरा में देखा गया था। अगर वह हमले में शामिल है तो उसके अन्य सहयोगी भी वहीं से तैयारी में पहुंचे होंगे। अंदेशा है कि फेकू मियां के बेटे टिंकू और अंसारी मियां के भतीजे टिंकू गिरोह भी जल्द आमने-सामने होंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.