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गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरव जन-जन को बताने संघर्ष कर रहे श्रीभगवान

जागरण संवाददाता रोहतक देश को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गुमनाम कहानी

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 11:55 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 11:55 PM (IST)
गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरव जन-जन को बताने संघर्ष कर रहे श्रीभगवान

जागरण संवाददाता, रोहतक

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देश को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गुमनाम कहानी को जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा श्रीभगवान फोगाट ने उठाया है। चरखी-दादारी निवासी एवं रेवाड़ी में रहकर नौकरी करने वाले फौगाट आजाद हिद ने फौज में रहकर देश सेवा करने वालों का ब्योरा मांगने के लिए हरियाणा के ज्यादातर जिलों में आरटीआइ लगाई। फिलहाल, सभी जिलों से रिकार्ड मांगने और उनका ब्योरा तैयार करा रहे हैं। एक निजी कंपनी में कार्यरत फौगाट जो भी ब्योरा मिलता है उसे संबंधित जिले के डीसी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्वजनों को सौंपते हैं।

श्रीभगवान ने बताया कि रोहतक के 22 जवानों का रिकार्ड गौरव गाथा इतिहास राष्ट्रीय अभिलेखागार आजाद हिद फौज मिला है, लेकिन उनका नाम स्वतंत्रता सेनानी रिकार्ड में नहीं है। इन्होंने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के स्वजन यह रिकार्ड मेरे पास से भी ले सकते हैं। अंग्रेजी सेनाओं ने जवानों का रिकार्ड दिया था, उसके आधार पर पहचान करना भी आसान नहीं था।

आवेदनकर्ताओं को भी अवगत कराया जाता था कि आजाद हिंद फौज में हिस्सा नहीं लिया था, इसलिए स्वतंत्रता सेनानी सम्मान व पेंशन अस्वीकार कर दिया जाता था। उस समय राष्ट्रीय अभिलेखागार आजाद हिद फौज का रिकार्ड ढूंढने का भी प्रावधान नहीं था। अब भी आश्रितों के लिए ढूंढ़ना आसान नहीं है। वह यह कार्य एक दशक से करते आ रहें हैं और उनको स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिलवाने का भी प्रयास करते रहेंगे।

रोहतक के इन 58 जवानों का राष्ट्रीय अभिलेखागार से पाया रिकार्ड

श्रीभगवान की मेहनत ही कहेंगे कि जिले के 58 जवानों का राष्ट्रीय अभिलेखागार में आजाद हिद फौज पाए जाने पर राज्य व जिला प्रशासन ने परिवारों तक यह रिकार्ड इतिहास गौरवगाथा स्वतंत्रता दर्जा पहुंचाने के लिए बार-बार फिर से आगामी कार्रवाई के लिए मांगा। पहले सोनीपत और झज्जर भी रोहतक में ही शामिल थे। इस दौरान इन्हें डिगल के बदलूराम, दुबलधन के बलवंत, डीघल बलेराम, खाचरौली के भगवान सिंह, बहु अकबरपुर के चंदगी राम, कुनजिया के गोपाल, मदीना हरनारायण, बोधाकला के हरद्वारी, डीघल के हरफूल, खानपुर खोजता के हंसराम, सांपला के मीर सिंह, सांपला मोहम्मद अली, कटेसरा के मातूराम, ढाकला के प्यारेलाल, माडौंदी के रणधीर, भूरास के राम कुमार, निदाना के राम स्वरूप, सुनारिया के राम, रेवाड़ी खेड़ा के श्री स्वरूप, सुनारिया के रामपत, खरमान के राम सिंह, खैर बहादुरगढ़ के रतन आदि शामिल हैं। इन्होंने बताया कि जो भी स्वजन हैं वह भी हमारे अभियान में मदद करें।

न्याय नहीं मिला तो शुरू किया अभियान

एक निजी कंपनी में कार्यरत फौगाट कहते हैं कि देश की आजादी में हजारों लोगों ने बलिदान दिया था। इनमें से कई का ब्योरा उपलब्ध है और शेष गुमनाम हैं। सरकार से कई परिवारों ने जब पेंशन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा व अन्य सुविधाएं पाने के लिए जब अनुरोध किया तो उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ। इसलिए राष्ट्रीय अभिलेखागार से ब्योरा जुटाया। कुछ जिलों से आरटीआइ से जवाब मांगा। इन्होंने कहा कि यहां शहीदों का आंकड़ा बड़ा है, इसलिए पूरी तरह से सफलता नहीं मिली। गुमनाम नायकों व घटनाओं का किया जा रहा डिजिटल संग्रहण : डीसी

उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने बताया कि आजादी की 75वीं वर्षगाठ के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को उचित सम्मान दिलवाने के उद्देश्य से जिला स्तर पर डिजिटल संग्रहण का कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से शुरू किए गए आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आजादी आंदोलन से जुड़े गुमनाम वीरों व स्थलों की जानकारी जुटाई जा रही है। जिलावासी ऐसे गुमनाम नायकों अथवा देश के स्वंतत्रता संग्राम से जुड़े स्थलों की जानकारी 30 नवंबर तक मांगी थी। फिलहाल यह अभियान इस साल 12 मार्च 2021 को शुरू किया गया था। जोकि 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेगा।


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