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फर्जीवाड़े का गजब तरीका, कंपनी ने 62 करोड़ के फर्जी बिल बनाए और ऐसे कमाए 11 करोड़

रोहतक में कागजों में चल रही एक स्‍क्रैप कंपनी ने गजब तरीके से फर्जीवाड़ा किया अौर 11 करोड़ रुपये कमाए। कंपनी ने 62 करोड़ रुपये के फर्जी बिल तैयार कर इस रकम इनपुट क्रेडिट लिया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 02:56 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 02:56 PM (IST)
फर्जीवाड़े का गजब तरीका, कंपनी ने 62 करोड़ के फर्जी बिल बनाए और ऐसे कमाए 11 करोड़
फर्जीवाड़े का गजब तरीका, कंपनी ने 62 करोड़ के फर्जी बिल बनाए और ऐसे कमाए 11 करोड़

रोहतक, [अरुण शर्मा]। यहां एक स्‍क्रैप कंपनी ने ठगी का नायाब तरीका अपनाया। कंपनी ने न कोई माल खरीदा और न ही बेचा। दरअसल यहां कोई माल भी तैयार नहीं हुआ। महज कागजों में संचालित इस कंपनी का फर्जीवाड़ा सामने आने पर अधिकारी भी भौंचक्‍के रह गए। इस कंपनी ने 62 करोड़ रुपये के फर्जी बिल तैयार किए और इनपुट क्रेडिट (आइटीसी) के नाम पर 11 करोड रुपये वसूल लिए।

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अक्टूबर 2017 से मई 2018 तक लिया इनपुट क्रेडिट, कुछ माह पहले गोपनीय शिकायत पर जांच हुई थी शुरू

माल एवं सेवाकर (जीएसटी) आयुक्त कार्यालय को शिकायत मिली कि शहर की जनता कॉलोनी व सिविल लाइन कॉलोनी से ही नौ से अधिक राज्यों में करोड़ों का कारोबार किया जा रहा है। जांच में पता चला कि अक्टूबर 2017 से मई 2018 तक विभिन्न राज्यों में 62 करोड़ के करीब 1000 फर्जी बिल बनाए गए है। इसके आधार पर 18 फीसद के हिसाब से करीब 11 करोड़ का इनपुट क्रेडिट(आइटीसी) वसूला गया है। कंपनी ने न कोई माल खरीदा और न ही बेचा। यहां कोई माल भी तैयार नहीं हुआ।

कागजों में चल रही इस कंपनी ने न माल बेच और न खरीदा, फर्जी बिलों से होता रहा कारोबार

कागजों में कंपनी के कार्यालय व गोदाम का जो पता दिया गया, वहां कंपनी के डायरेक्टर के घर मिले। इस मामले में कंपनी के दो डायरेक्टर पहले ही पकड़े जा चुके हैं। अब जिन लोगों के नाम फर्जी बिल जारी कर करोड़ों रुपये का क्रेडिट लिया गया, उनकी तलाश जारी है। कंपनी के करीब 180 करोड़ लेनदेन से जुड़े खाते सीज कर दिए गए हैं। यह लेनदेन भिवानी और जींद की एक-एक फर्म से हुआ है। जिन वाहनों से माल भेजने का दावा किया गया है, उन वाहनों के नंबरों की भी जांच शुरू की गई है।

हिसार-रोहतक के लिए जारी हुए थे बिल, तब शुरू हुई जांच

जीएसटी आयुक्त विजय मोहन जैन के मुताबिक ओम इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड ने स्टील की चादरें, बीम, सरिया, बैटरी, लोहे के गार्डर आदि के नाम से फर्जी बिल बनाए थे। इनमें से कुछ बिल हिसार और कुछ रोहतक के लिए भी बनाए गए थे। जनता कॉलोनी से  करोड़ों रुपये का कारोबार होने की सूचना पर विभाग की खुफिया टीम ने अगस्त में पड़ताल की। उसी दौरान दो डायरेक्टर नवीन व गौरव को पकड़ा गया था।

नौ राज्यों के 22 जीएसटी आयुक्तों से मांगी मदद

आयुक्त जैन का कहना है कि तेलंगाना, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश के आगरा, लखनऊ, हरियाणा के भिवानी, रोहतक, जींद, राजस्थान के जयपुर, गुजरात, मध्य प्रदेश के इंदौर, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि स्थानों के लिए फर्जी बिल जारी किए गए हैं। इसलिए संबंधित राज्यों के करीब 22 जीएसटी आयुक्तों को पत्र भेजकर सहयोग मांगा है।

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'' बीते साल से कुछ कंपनियों की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिली थी। हमने गोपनीय जांच करवाई तो पता चला कि फर्जी बिलों के माध्यम से क्रेडिट लिया जा रहा था।

                                                                                                 - विजय मोहन जैन, जीएसटी आयुक्त।


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