रोहतक, जागरण संवाददाता : जोगेंद्र शर्मा उर्फ जोगी अपने बड़े भाई को खेलते देख क्रिकेटर बनें। हालांकि इससे पहले फुटबाल, हाकी व अन्य खेलों में भी हाथ आजमाए थे। लेकिन करियर क्रिकेट में ही बनाया। जब क्रिकेट की समझ हुई तो जहन में कपिल देव, वसीम अकरम और जैक्स कैलिस रहते थे और उनके जैसा ही ऑलराउंडर बनना चाहते थे। दिल की इच्छा खुद की अलग पहचान थी, जो 2007 में टी-20 विश्व कप में पूरी हो गई।
जोहानिसबर्ग क्रिकेट ग्राउंड में टी-20 विश्व कप का फाइनल मैच में पाकिस्तान के बल्लेबाज मिस्बाह-उल-हक का विकेट लेकर भारत को चैंपियन बनाने वाले गेंदबाज जोगेंद्र शर्मा उर्फ जोगी को अब कौन नहीं जानता है। जोगेंद्र शर्मा को तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में क्रिकेट उपलब्धियों को देखते हुए डीएसपी के पद पर नौकरी दी। वर्तमान में अंबाला में पोस्टिंग हैं।
क्रिकेट से संन्यास की बात पर भावुक हुए जोगेंद्र
रोहतक की जनता कालोनी निवासी जोगेंद्र शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने पर दैनिक जागरण प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए फोन पर भावुक हो गए। उन्होंने अपने क्रिकेट के सफर को साझा किया। उन्होंने बताया वह करीब दस वर्ष के होंगे, जब बड़े भाई अश्वनी शर्मा को क्रिकेट खेलते देखते थे। भाई के साथ-साथ खेलने लगा। पहले घर के बाहर ही गली में लकड़ी के पट्टी और प्लास्टिक की गेंद से खेलता था। धीरे-धीरे स्कूल और कॉलेज के मैदान में जाना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे खेल में सुधार हुआ। वैश्य कालेज की टीम में खेलने लगा। मेरे खेल को देखते हुए स्थानीय मैचों में मांग बढ़ गई। जब क्रिकेट की समझ हुई तो जहन में कपिल देव, वसीम अकरम और जैक्स कैलिस रहते थे। उनके जैसे ही ऑलराउंडर बनना चाहता था। इसलिए मध्यम तेज गेंदबाजी के साथ बल्लेबाजी पर फोकस किया। टीम में ऑलराउंडर की भूमिका में ही चयन किया जाने लगा।
2007 टी20 वर्ल्ड कप से मिली पहचान
बकौल, जोगेंद्र 2002-03 में हरियाणा की रणजी टीम में पहला मैच खेला। टीम इंडिया में चयन 2004-05 में हो गया। लेकिन सही पहचान 2007 टी20 वर्ल्ड कप में हुई, जब टीम इंडिया फाइनल में पाकिस्तान को हराकर चैंपियन बनी। संयोग से फाइनल ओवर मैंने ही फेंका था। वर्ल्ड कप के फाइनल में 13 रन की जरूरत प्रतिद्वंद्वी टीम को थी और कप्तान एमएस धोनी ने गेंद मेरे हाथ में थमा दी। एक बार तो समझ ही नहीं आया, लेकिन फिर सोचा, अपना बेस्ट करना है और हम जीत गए।
सड़क हादसे ने करियर पर लगाए ब्रेक
जोगेंद्र शर्मा का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर छोटा ही रहा। बेशक, चार वनडे, चार टी20 और 12 आईपीएल मैच खेले थे। 2007 वर्ल्ड कप के बाद जोगी में खेल बचा था। लेकिन 2011 में भयंकर सड़क हादसा हो गया, जिसमें जोगी के सिर में गंभीर चोट लगी। एक बार तो बचने की संभावना कम बताई गई। लेकिन उसने जल्दी रिकवरी करते हुए वापसी की। 2013 में सचिन तेंदुलकर के आखिरी रणजी मैच में हरियाणा की टीम में जोगेंद्र शर्मा ने वापसी की। इतना ही नहीं इस मैच में पहली बार में जोगेंद्र शर्मा ने पांच विकेट लेकर सनसनी फैला दी और मुंबई को हार के कगार पर पहुंचा दिया। लेकिन सचिन ने दूसरी पारी में नाबाद पारी खेलते हुए मुंबई को जिताने में अहम भूमिका निभाई। 2017 में पिता ओमप्रकाश पर भी लूट के इरादे से बदमाशों ने चाकू से हमला कर घायल कर दिया था।
क्रिकेट मैदान से दूर हूँ लेकिन क्रिकेट से हमेशा जुडा रहूँगा
डीएसपी एवं क्रिकेटर जोगेंद्र शर्मा ने बताया कि क्रिकेट ने मुझे खास पहचान दी। बीसीसीआई, हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन ने मान-सम्मान दिया। जिन भी खिलाड़ियों के साथ खेला, उनसे प्यार मिला। वरिष्ठ खिलाड़ियों ने आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। परिवार ने हमेशा सहयोग दिया। बेशक, क्रिकेट मैदान से दूर हो रहा हूं। लेकिन क्रिकेट से हमेशा जुड़ा रहूंगा। बीसीसीआई, हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन और हरियाणा सरकार जो भी जिम्मेदारी देंगी, उसे निभाने का प्रयास करूंगा।