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मर्द-माणस इलेक्शन का जिक्र करै सै, इसतै ज्यादा ना बेरा, जित घर आले बोलैंगे वो बटन दबा देंगे

विनीत तोमर रोहतक लोकसभा चुनाव अब पूरी तरह से जोर पकड़ने लगा है। खेत-खलिहान से लेकर

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 12:23 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 06:38 AM (IST)
मर्द-माणस इलेक्शन का जिक्र करै सै, इसतै ज्यादा ना बेरा, जित घर आले बोलैंगे वो बटन दबा देंगे
मर्द-माणस इलेक्शन का जिक्र करै सै, इसतै ज्यादा ना बेरा, जित घर आले बोलैंगे वो बटन दबा देंगे

विनीत तोमर, रोहतक

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लोकसभा चुनाव अब पूरी तरह से जोर पकड़ने लगा है। खेत-खलिहान से लेकर पनघट तक चुनावी चर्चाओं का दौर है। बुधवार को दैनिक जागरण प्रतिनिधि ने बाइक से प्रदेश की सबसे हॉट सीट रोहतक लोकसभा के दो विधानसभा क्षेत्र गढ़ी-सांपला-किलोई और आरक्षित विधानसभा क्षेत्र कलानौर के दो गांव के मतदाताओं का मिजाज जाना। शाम तीन बजे तेज हवाओं के बीच आसमान में छाई काली घटा के कारण मौसम तो सुहाना था, लेकिन किसानों के माथे पर चिता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी। साल भर दिन-रात मेहनत कर गेहूं की फसल तैयार की और अब बेमौसमी बारिश की वजह से उसके बर्बाद होने का डर था। किसानों का तर्क था कि बोट-वोट बाद की बात सै, पहले खेत में पड़ा अनाज सुरक्षित करना है। वहीं पनघट पर पानी भरती महिलाओं को चुनावी चक्रम से कोई मतलब नहीं, उन्हें तो बस यह पता है कि जहां घर आले बोलेंगे वो बटन दबा देना है। गढ़ी-सांपला-किलोई विधानसभा क्षेत्र का गांव बोहर

रोहतक शहर से बाहर निकलते ही सोनीपत रोड पर लगा बोहर गांव का बोर्ड अपनी अलग पहचान दर्शा रहा था। गढ़ी-सांपला-किलोई हलके के इस गांव में करीब दस हजार वोटर हैं, जिसमें जाट, पंडित, अनुसूचित, वाल्मीकि और सैनी समेत सभी बिरादरी के लोग रहते हैं। गांव में पहुंचते ही रिपोर्टर ने सोनीपत रोड पर बाइक रोकी और वहां पर खड़े 65 वर्षीय बुजुर्ग रामकरण से पूछा, ताऊ गांव में चुनाव का कैसा माहौल है। बोला माहौल तो ठीक है पर हवा तो मोदी की चाल्लै सै। पहले इनेलो में ठोर-ठिकाना होता था, लेकिन घर की लड़ाई ऐसी हुई कि समझ ही नहीं आ रहा कि कहां पर जाएं। खैर कोई बात नहीं, हमें तो फिलहाल अपनी फसल की चिता है। भगवान बेरा ना कै करके छोड्डैगा। गेहूं की फसल खेतों में पड़ी है और रोजाना मौसम बदल रहा है। ताऊ को दिलासा देकर रिपोर्टर ने बाइक का रूख गांव के दूसरे छोर की तरफ किया। थोड़ा आगे चलते ही बरगद के पेड़ के नीचे पनघट पर महिलाएं पानी भर रही थी। उनके बीच पहुंचकर चुनाव को लेकर पूछा। तभी 40 वर्षीय विमलेश और करीब 44 वर्षीय कविता बोलती है, बेटा चुनाव का ज्यादा तो ना बेरा, फेर भी घर में मर्द-मानस जिक्र तो मोदी का भी होता है, लेकिन छोरा दीपेंद्र भी शरीफ सै। फेर भी जहां घरआले बोलेंगे वो बटन दबा देंगे। कलानौर विधानसभा क्षेत्र का गांव बलियाणा

बोहर गांव से रिपोर्टर ने बाइक दौड़ाई कलानौर हलके के गांव बलियाणा की तरफ। हल्की बूंदाबांदी में इंडस्ट्री एरिया से निकलते हुए करीब दो किलोमीटर चलने के बाद पहुंचे बलियाणा गांव में। गांव में करीब 6500 मतदाता हैं, जिसमें ब्राह्मण, अनुसूचित जाति व जाट शामिल हैं। कहने को यह गांव नगर निगम में शामिल है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ खास नहीं। गांव के बाहर 52 वर्षीय संतोष अपने पोते रोहित के साथ पैदल जा रही थी। रिपोर्टर ने उसके पास बाइक रोकी और पूछा, ताई कहां से आ रही हो। तभी ताई के चेहरे पर गुस्सा दिखाई देता है। अरे कहीं सै ना आरी, रोहतक गई थी बस आले ने आइएमटी में उतार दिया, गांव में बस आती कोनी, पैदल ही जाना पड़ रह्या सै घर। रिपोर्टर ने पूछा, ताई चुनाव का कैसा माहौल है। माहौल कै होगा गांव में बस चलवादो, योए ब्होत है। इसके बाद रिपोर्टर की बाइक आगे बढ़ती हुई पहुंच जाती है गांव के दूसरे छोर पर राजू की दुकान के पास। वहां पर भी राजेंद्र, योगेश और रणधीर बैठे होते थे। जिनके माथे पर चिता की लकीरे थे कि कहीं बारिश तेज आ गई तो उनकी फसल खराब हो जाएगी। चुनाव को लेकर उनका भी सीधा रूख था और बोले, देख भाई वोट उसे देंगे जो म्हारे काम करेगा। इतना कहने के बाद फिर से हुक्के की गुड़गुड़ाहट शुरू हो जाती है। चारों तरफ गांवों से घिरा है बलियाणा, नहीं है यातायात की सुविधा

बलियाणा गांव रोहतक मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित है। यूं तो इस गांव के कई रास्ते हैं, जो बोहर, भालौठ, खेड़ीसाध, पाकस्मा और नौनंद आदि से जाते हैं, लेकिन कोई भी रास्ता ऐसा नहीं है जहां पर यातायात की सुविधा हो। अपना वाहन हुआ तो ठीक, नहीं तो दो से तीन किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता है।


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