प्रस्ताव तो मांगा लेकिन फिर भी बुजुर्ग और दिव्यांग यात्रियों के लिए नहीं लगाई लिफ्ट
जागरण संवाददाता, रोहतक : रेलवे बोर्ड की ओर से ए और बी श्रेणी के रेलवे स्टेशन पर यात्रिया
जागरण संवाददाता, रोहतक : रेलवे बोर्ड की ओर से ए और बी श्रेणी के रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए लिफ्ट लगाने का प्रस्ताव तो मांगा, लेकिन अभी तक उस पर कोई अमल नहीं किया गया है। स्थिति यह है कि प्रस्ताव भेजने के बाद चार माह बाद भी अफसरों को इसकी जानकारी नहीं है कि प्रस्ताव पर आगे कार्रवाई हुई भी है या नहीं। विभाग की लापरवाही के चलते प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्रियों को जान जोखिम में डालकर प्लेटफार्म बदलना पड़ता है। बिना लिफ्ट के सामान्य यात्री तो सीढि़यों से चढ़कर प्लेटफार्म बदल लेते हैं, लेकिन दिव्यांग और बुजुर्ग यात्री पटरियों से होकर ट्रैक पार करने के लिए मजबूर हैं।
रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन तीन हजार से अधिक यात्री सफर करते हैं। इनमें 40 फीसदी यात्री या तो बुजुर्ग होते हैं या फिर दिव्यांग। यात्रियों की ट्रेन यदि प्लेटफार्म नंबर एक पर आती है तो समस्या नहीं है, लेकिन यदि ट्रेन प्लेटफार्म दो व तीन पर आती है तो इसके लिए उन्हें सीढि़यों से चढ़कर फुट ओवरब्रिज से होते हुए प्लेटफार्म पर जाना पड़ता है। दिव्यांग और बुजुर्ग यात्रियों को सीढि़यां चढ़ने में काफी परेशानी होती है, जिसके चलते अधिकतर यात्री फुट ओवरब्रिज पर जाने के बजाय जान को जोखिम में डालकर ट्रैक को पार करते हुए दूसरे प्लेटफार्म पर पहुंचते हैं। प्रदेश के एकमात्र ए ग्रेड रेलवे स्टेशन के लिए यूं तो रेलवे मुख्यालय द्वारा करीब चार माह पूर्व आटो लिफ्ट लगाने का प्रस्ताव अफसरों से मांगा था। बोर्ड के निर्देश पर अफसरों ने प्रस्ताव बनाकर भेज भी दिया, लेकिन अभी तक अफसरों को प्रस्ताव पर कार्रवाई के बारे में न तो जानकारी दी गई है और न ही प्रस्ताव पर कार्य करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की है। ऐसे में अभी भी यात्रियों को प्लेटफार्म बदलने के लिए ट्रैक पार करके ही जाना पड़ रहा है। अफसरों ने भेजा था दो आटो लिफ्ट लगाने का प्रस्ताव
बोर्ड के आदेश पर रेलवे अफसरों ने प्लेटफार्म एक व दो नंबर पर आटो लिफ्ट लगाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। बताया जा रहा है कि अफसरों ने दो प्लेटफार्म पर लिफ्ट लगाने के लिए करीब 50 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाया था। दोनों लिफ्टों को प्लेटफार्म एक से दो व तीन पर यात्रियों को पहुंचाने के लिए लगाया जाना था। प्रस्ताव पास होने के बाद भी करीब चार माह का समय आटो लिफ्ट के इंस्टॉलेशन में लगेगा। दिव्यांग और बुजुर्गो के साथ अन्य लोग भी करते हैं ट्रैक पार
न केवल सीढियां चढ़ने और चलने फिरने में असमर्थ यात्री ही जान जोखिम में डालकर ट्रैक पार करते हैं, बल्कि उनके साथ उनके परिजन और अन्य यात्री भी ट्रक पार करके ही प्लेटफार्म बदलते हैं। कई बार ट्रैक पर ट्रेन खड़ी होने के बाद भी अन्य कोई सुविधा न होने के चलते यात्री डिब्बों के बीच से या ट्रेन के नीचे से निकलकर प्लेटफार्म बदले हैं।
मुख्यालय द्वारा आटो लिफ्ट के लिए प्रस्ताव मांगा गया था। आदेशानुसार दो लिफ्ट का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेज दिया गया था। प्रस्ताव पर अमल हुआ है या नहीं इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। मुख्यालय के आदेशानुसार कार्रवाई की जाएगी।
महावीर ¨सह डागर, सीनियर सेक्शन इंजीनियर, पावर सप्लाई रोहतक