अन्नकूट पर्व पर तैयार होगा 1000 किलो कढ़ी-चावल का प्रसाद
जागरण संवाददाता, रोहतक : अन्नकूट पर्व आठ नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस पर्व की तैयारि
जागरण संवाददाता, रोहतक :
अन्नकूट पर्व आठ नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस पर्व की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। पर्व के लिए शहर के अलग-अलग आठ मंदिरों में 1000 किलो कढ़ी-चावल का प्रसाद तैयार किया जाएगा। बता दें कि यह त्योहार दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाता है। उसके उपरांत भक्तों को प्रसाद ग्रहण कराया जाता है। इस त्योहार का धार्मिक रूप से बहुत महत्व है। यह खुशियों का त्योहार है। अन्नकूट मनाने से मनुष्य को लंबी आयु व आरोग्य की प्राप्ति होती है। जनता कालोनी स्थित लाला सीताराम श्रीकृष्ण दास मंदिर के पुजारी रोहतास वशिष्ठ ने बताया कि अन्नकूट पर्व के दिन मंदिर में डेढ़ से दो ¨क्वटल कढ़ी, एक ¨क्वटल चावल, बाजरे की खिचड़ी, मिक्स सब्जी, कांजी के बडे आदि प्रसाद को श्रीकृष्ण को भोग लगाने के उपरांत भक्तों में बांटा जाएगा। वहीं, रामनगर काठमंडी के पंचायती शिव मंदिर के पुजारी अनिल कृष्ण दास ने बताया कि उनके मंदिर में करीबन 130 किलो कढ़ी व 70 किलो चावल व अन्य वस्तुओं का प्रसाद तैयार किया जाएगा। इसी तरह जनता कॉलोनी स्थित देवी मंदिर, नामदेव मंदिर, शिवाजी कॉलोनी स्थित दुर्गा मंदिर, रेलवे स्थित शिव मंदिर, नया पड़ाव स्थित खाटूश्याम मंदिर व अन्य मंदिरों में अन्नकूट का प्रसाद तैयार किया जाएगा। मंदिरों में सुबह 11 बजे से प्रसाद का भंडारा शुरू हो जाएगा। क्यों मनाया जाता है अन्नकूट पर्व :
अन्नकूट पर्व जिसे गोवर्धन पूजा भी कहा जाता है। यह त्योहार बृजवासियों को बारिश से बचाने के लिए श्रीकृृष्ण द्वारा लगातार सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत उठाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इंद्र देवता ने बृजवासियों पर क्रोधित होकर बृज पर मूसलाधार वर्षा कर दी। जिसपर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी तर्जनी उंगली पर उठा लिया। जिसकी छत्र छाया में सभी बृजवासी व पशुओं ने शरण ली। श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र के प्रभाव से किसी बृजवासी के ऊपर वर्षा की एक बूंद भी नहीं गिरने दी। लगातार सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत उठाने के बाद जब श्रीकृष्ण ने वर्षा बंद होने पर पर्वत को नीचे रखा तो बृजवासियों ने उनकी पूजा की व प्रसाद बांटा। तभी से यह पर्व मनाया जाता है। भगवान को पसंद है भात व भक्त :
रामनगर काठमंडी के पंचायती शिव मंदिर के पुजारी अनिल कृष्ण दास ने कहा कि भगवान भात व भक्त दोनों को पसंद करते हैं। श्रीकृष्ण ने सात दिनों बाद जब गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा तो उन्होंने बृजवासियों को अन्नकूट उत्सव मनाने के लिए कहा। भक्तगण सामूहिक रूप से कढ़ी-चावल व अन्य प्रसाद तैयार कर भगवान को भोग लगाने के उपरांत एक साथ ही प्रसाद को ग्रहण करते हैं। यह पर्व वर्ष भर के दुखों को भूल खुश रहने का संदेश देता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन खुश रहता है वह पूरे साल खुशी अनुभव करता है।