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क्रिटिकल केयर में नई तकनीकों और शोध से रूबरू हुए डाक्टर

जागरण संवाददाता, रोहतक : गंभीर चिकित्सीय स्थितियों के प्रबंधन में क्रिटिकल केयर चिकित्सीय

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 06:00 PM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 06:00 PM (IST)
क्रिटिकल केयर में नई तकनीकों और शोध से रूबरू हुए डाक्टर

जागरण संवाददाता, रोहतक : गंभीर चिकित्सीय स्थितियों के प्रबंधन में क्रिटिकल केयर चिकित्सीय प्रबंधन की बारीकियों पर फोकस करते हुए रविवार को पुलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसन (पीसीसीएम)-एमएमई-2018 का समापन हो गया। इस दौरान क्रिटिकल केयर में नई तकनीकों और शोध से चिकित्सक रूबरू हुए। इससे मरीजों को कम समय में बेहतर इलाज मुहैया कराने में विशेषज्ञा हासिल होगी। इस दो दिवसीय चिकित्सीय संगोष्ठी में क्रिटिकल केयर में पुलमोनोलोजिस्ट, रियुमेटोलोजिस्ट, पौथोलोजीकल, नेफ्रोलोजिस्ट समेत अन्य विधाओं के व्यू पाइंट्स का समावेश रहा।

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पंडित भगवत दयाल शर्मा स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. नित्यानंद, प्रतिष्ठित चिकित्सक एवं पूर्व निदेशक प्रो. एससी श्रीवास्तव, प्रो. एसबी सिवाच, प्रो. टीडी चुघ समेत अन्य चिकित्सकों ने दीप प्रज्ज्वलन किया। पुलमोनरी एवं क्रिटीकल केयर मेडिसिन और चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में नवीनतम रूझानों एवं चिकित्सीय परि²श्य पर वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. हरप्रीत ¨सह ने प्रकाश डाला। लेक्चर थियेटर पांच में आयोजित की जा रही इस संगोष्ठी में मेट्रो अस्पताल ग्रुप के निदेशक, क्रिटीकल केयर डा. दीपक तलवार ने हाइपरसेंसिटीबिटी न्यूमोनाटिस के चिकित्सीय प्रबंधन के बारे में बताया। मेदांता अस्पताल के डा. राजीव गुप्ता ने चिकित्सीय प्रबंधन में रेयुमोलोजिस्ट ²ष्टिकोण के बारे में जानकारी दी। चंडीगढ़ स्थित पीजीआईएमआर के प्रो. एसके ¨जदल ने क्लीनिकों- पैथोलोजीकल परि²श्य पर प्रकाश डाला। डा. उमा नाहर सैकिया ने पैथोलोजीकल मुद्दों की चर्चा की। चंडीगढ़ स्थित पीजीआई के प्रो. डी. बेहेरा ने सेल लंग कैंसर के प्रबंधन की स्ट्रैटजी पर चर्चा की। --डा. नीतू जैन की समीक्षा ने गागर में भरा सागर इस दौरान डा. मोहन गुर्जर और डा. राजकुमार ने मैनजमेंट ऑफ सेप्टिक शोक के बारे में बताया। डा. सुरेश रमा सुब्बन ने आईसीयू में एक्यूट किडनी इंजरी में इंटेंसीविस्ट व्यू के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। मेजर जनरल डा. रश्मि दत्ता ने क्लिीनकल पल्स - वी¨नग (ए केस बेस्ड एप्रोच) की जानकारी साझा की। जयपुर से आए डा. नरेन्द्र रूंगटा ने फीवर विद एआरडीएस के बारे में बताया। दयानंद मेडिकल कालेज, जालंधर के डा. विवेक गुप्ता ने एक्ट्राकारपोरियल थैरेपिज इन टॉक्सीलोजी की जानकारी दी। डा. नीतू जैन की समीक्षा ने गागर में सागर भरने का काम किया। उन्होंने पुलमोनरी एंड क्रिटीकल केयर क्षेत्र में डेवलपमेंट्स की समीक्षा प्रस्तुत की। ---क्रिटिकल केयर में मरीज को संभालने व स्थिर करने में हासिल होगी विशेषज्ञता इस संगोष्ठी के आयोजक पुलमोनरी एंड क्रिटीकल केयर मेडिसन के विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुव चौधरी ने आभार जताया। उन्होंने बताया कि संगोष्ठी ने विद्यार्थियों व शोधार्थियों को क्रिटीकल केयर और आपातकालीन चिकित्सीय क्षेत्र के प्रबंधन के लिए नए-नए शोधों, नवीनतम प्रौद्योगिकी प्रयोग व नई तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान की है। पीसीसीएम-सीएमई समन्वयक डा. मंजूनाथ बीजी समेत आयोजन समिति के सभी सदस्य, पीजीआईएमएस के चिकित्सक व प्राध्यापक, शहर के चिकित्सक के अतिरिक्त बाहर से आए मेडिकल विशेषज्ञ एवं डेलीगेट्स मौजूद रहे।


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