शिक्षा में सिरमौर बनेगा एमडीयू, केंद्र सरकार ने मंजूर की 50 करोड़ ग्रांट
फोटो संख्या 1 - रिसर्च इनोवेशन और क्वालिटी इंप्रूवमेंट पर होगा काम - विवि शोधार्थियों
फोटो संख्या : 1 - रिसर्च, इनोवेशन और क्वालिटी इंप्रूवमेंट पर होगा काम
- विवि शोधार्थियों के लिए सीआइएल की सौगात जागरण संवाददाता, रोहतक : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) शिक्षा में सिरमौर बनने की ओर अग्रसर है। देश के टॉप 100 विश्वविद्यालयों में शुमार एमडीयू को ए-प्लस ग्रेड के बाद नई सौगात मिली है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान योजना (रूसा) के तहत केंद्र सरकार ने विवि को 50 करोड़ की ग्रांट मंजूर की है। रिसर्च, इनोवेशन, क्वालिटी इम्प्रूवमेंट कॉम्पोनेंट के लिए प्राप्त राशि से विवि विज्ञान एवं उद्योग जगत के नए आयामों की ऊंचाइयों छू सकेगा। विवि में गुणवत्तापरक शिक्षा व शोध के लिए नई योजनाओं पर काम हो रहा है। रूसा से ही प्राप्त फंड से अत्याधुनिक सेंट्रल इंस्टूमेंटेशन लैब (सीआइएल) भी परिसर में तैयार हो चुकी है। करीब नौ करोड़ रुपये के उपकरणों से सुसज्जित लैब से शोधर्थियों को काफी लाभ मिलेगा।
एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने बताया कि रूसा परियोजना अनुमोदन बोर्ड की बैठक में विवि के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। पहली बार योजना के तहत इतनी बड़ी राशि ग्रांट के रूप में स्वीकृत की गई है। केंद्र व राज्य सरकार ने जो भरोसा विवि पर जताया है उसे पूरा करने के लिए विवि का हर कर्मचारी व विद्यार्थी सहयोग करेगा। विवि को इसी वर्ष राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) ने ए-प्लस ग्रेड प्रदान की है। विवि की नजर नैक के अगले ग्रेडिग साइकल में ए-प्लस प्लस ग्रेड हासिल करने पर टिकी है। तीन साल में 17 करोड़ से अधिक की ग्रांट मिली
विवि को साल 2016 से अभी तक 17 करोड़ रुपये से अधिक की ग्रांट रूसा के तहत मिल चुकी है। फिलहाल इतिहास विभाग में म्यूजियम कम लैब का निर्माण कराया जा रहा है। विवि सचिवालय के पास सीआइएल की नई इमारत का निर्माण भी रूसा ग्रांट से हुआ है। इस पर करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। छह करोड़ रुपये के उपकरण सीआइएल में उपलब्ध हैं और तीन करोड़ रुपये के नए उपकरण खरीदने का प्रस्ताव पास हो चुका है। आन्त्रप्रोनियरशिप और कॅरियर हब स्थापित किया जाएगा
एमडीयू के रूसा डायरेक्टर प्रो. प्रदीप अहलावत ने बताया कि इनोवेशन, रिसर्च एवं क्वालिटी इम्प्रूवमेंट के तहत प्रोजेक्ट तैयार किया गया। प्रोजेक्ट को दो भागों में बांटा गया। एक भाग में मल्टी डिसिप्लिनरी सेंटर स्थापित किया जाएगा। इसमें कृषि अपशिष्ट प्रबंधन, जैव-सुरक्षा में उन्नत अनुसंधान व अन्य कार्य किए जाएंगे। दूसरे भाग में उद्यमिता विकास और ऊष्मायन केंद्र (सीईडीई) स्थापित होना है। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए आन्त्रप्रोनियरशिप और कॅरियर हब भी स्थापित किया जाएगा।