मणिपुर के एनआइटी हास्टल में फंसी हरियाणा की तीन बेटियां, बोलीं- रातभर सुनाई देती गोलियों की आवाज
Manipur Violence मणिपुर के हिंसाग्रस्त क्षेत्र में हरियाणा की 3 लड़कियां फंस गई हैं और तीनों सरकार से मदद मांग रही हैं। एक लड़की रीतू ने बताया कि उसकी गली में वाहनों को रोककर आग के हवाले किया जा रहा है।
विक्रम बनेटा, रोहतक। मणिपुर में दंगों के कारण हर चेहरे पर दहशत के भाव हैं। घर से 100 मीटर दूर चर्च को जला दिया गया। गली में वाहनों को रोककर आग के हवाले किया जा रहा था। डर के मारे अपने कमरे में छिप गई। इसी बीच रह-रहकर बम फटने की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
रातभर चली गोलियों की आवाज सिहरन पैदा कर रही थी। खौफ के इस मंजर में डर सता रहा था कि पता कब उन्मादी भीड़ घर में घुस जाए और हमला कर दे। मणिपुर के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के बारे में बताते हुए नरवाना (जींद) के हरिनगर निवासी रीतू की आवाज कांपने लगती है। वह एनआइटी मणिपुर में पीएचडी थर्ड ईयर की छात्रा है।
हरियाणा सरकार की ओर से कोई मदद नहीं
रीतू मणिपुर के हालात के बारे में बताकर परिवार को परेशान नहीं करना चाहती थी, लेकिन छह मई को उसने इसकी जानकारी दी। रीतू बताती है कि वह हास्टल से तीन किलोमीटर दूर छंगमई बंध में किराये पर कमरा लेकर रह रही थी, क्योंकि तब हास्टल की सुविधा नहीं थी।
रीतू के अनुसार, हालात में सुधार होते ही मकान मालिक उसे हास्टल तक किसी तरह छोड़ कर गए हैं। ओडिशा, असम व दूसरे राज्यों ने अपने छात्र वहां से रेसक्यू कर लिए हैं, लेकिन हरियाणा सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। वे उन्हें यहां से निकालने की गुहार लगा रही हैं।
हास्टल में भी नहीं कोई सुरक्षाकर्मी
रीतू सुरक्षा कारणों के चलते वह किराये के कमरे से एनआइटी हास्टल में आई थी लेकिन यहां पर भी कोई सुरक्षाकर्मी नहीं है। अगर कोई हास्टल में कोई घुस आए तो यहां मौजूद छात्राओं की सुरक्षा केवल भगवान के हाथ में है। तीन मई को दंगों ने ज्यादा उग्र रूप लिया था, उसके बाद से एनआइटी प्रशासन आफिस नहीं आ रहा है। वे किसी के सामने अपना डर भी व्यक्त नहीं कर पा रही हैं।
पानी व खाने का संकट पलवल की शिवानी, सिरसा की नेहा व जींद की रीतू के अनुसार हास्टल में ब्रेकफास्ट बंद कर दिया गया है। सात मई को तो डिनर भी शाम चार बजे ही करने के लिए कह दिया गया। अब पीने के पानी का भी संकट खड़ा हो गया है। नहाने के लिए तो उन्हें बिल्कुल पानी नहीं मिल रहा है। दूसरी दैनिक जरूरतों के लिए भी पानी का संकट वे झेल रहे हैं।