पीजीआइएमएस में डाक्टर से मारपीट के बाद हड़ताल, सीनियर डाक्टरों ने संभाले मरीज
पीजीआइएमएस के सर्जरी विभाग में रेजिडेंट डाक्टर के साथ मारपीट को लेकर हंगामा खड़ा हो गया। आरोप है कि शिकायत करने थाने पहुंचे डाक्टरों के साथ पुलिसकर्मियों ने भी अभद्रता की। जिसके बाद गुस्साए डाक्टरों ने एमएस आफिस के बाहर विरोध-प्रदर्शन करते हुए हड़ताल कर दी। जिससे सर्जरी विभाग समेत अन्य विभागों में इमरजेंसी सेवाएं ठप हो गई।
जागरण संवाददाता, रोहतक : पीजीआइएमएस के सर्जरी विभाग में रेजिडेंट डाक्टर के साथ मारपीट को लेकर हंगामा खड़ा हो गया। आरोप है कि शिकायत करने थाने पहुंचे डाक्टरों के साथ पुलिसकर्मियों ने भी अभद्रता की। जिसके बाद गुस्साए डाक्टरों ने एमएस आफिस के बाहर विरोध-प्रदर्शन करते हुए हड़ताल कर दी। जिससे सर्जरी विभाग समेत अन्य विभागों में इमरजेंसी सेवाएं ठप हो गई। सीनियर डाक्टरों ने किसी तरह व्यवस्था को संभाला और मरीजों का उपचार किया। डीएसपी सज्जन कुमार ने मौके पर पहुंचकर मारपीट करने वाली महिला पुलिसकर्मी के खिलाफ केस दर्ज कराने का आश्वासन दिया।
दरअसल, शाम के समय पीजीआइएमएस के वार्ड-पांच के सर्जरी विभाग में डाक्टर विजिट पर थे। जिस वजह से नियमों के तहत मरीजों के साथ रहने वाले उनके स्वजनों को बाहर भेजा जा रहा था। इसी बीच एक महिला ने जूनियर रेजिडेंट डाक्टर स्वर्ण सिंह के साथ अभद्रता शुरू कर दी। डाक्टर का कालर पकड़कर उनके साथ अभद्र बर्ताव और मारपीट तक की गई। इसके बाद सीनियर डाक्टर वहां पर पहुंचे। जिस पर महिला धमकी देकर वहां से चली गई। बाद में पता चला कि महिला मोखरा गांव की रहने वाली है, जो पुलिसकर्मी बताई जा रही है। इसके बाद काफी संख्या में जूनियर डाक्टर इकट्ठा होकर पीजीआइएमएस थाने पहुंचे। वहां पर उन्होंने पुलिस को शिकायत दी। आरोप है कि पुलिस ने भी उनके साथ अभद्र बर्ताव किया। उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। इससे गुस्साए डाक्टर एमएस आफिस के बाहर इकट्ठा हो गए। जिन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरीके से यह घटना हुई है उससे यहां पर काम करना भी मुश्किल हो जाएगा। आरोपित महिला पर कार्रवाई होनी चाहिए। बंद कमरे में चली अधिकारियों के साथ वार्ता
डाक्टरों ने हड़ताल की चेतावनी दे दी और अन्य डाक्टरों को भी ट्रामा सेंटर और अन्य स्थानों से बुला लिया। वहां पर मरीजों का उपचार करने वाला भी कोई नहीं बचा। मामला बढ़ता देख एमएस डा. पुष्पा दहिया समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी वहां पहुंचे। जिसके बाद करीब एक घंटे तक बंद कमरे में पांच डाक्टरों को बुलाकर वार्ता की गई। डीएसपी सज्जन कुमार भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने आश्वासन दिया कि आरोपित महिला के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया जाएगा। पीजीआइएमएस के अधिकारियों ने भी हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। देर रात तक डाक्टर इस मांग पर अडिग थे कि उन्हें एफआइआर दर्ज कर जब तक कापी नहीं मिलेगी तब तक काम पर नहीं लौटेंगे। उधर, ट्रामा सेंटर में मरीजों को उपचार की देखरेख के लिए तत्काल प्रभाव से सीनियर डाक्टरों को लगा दिया गया। जिससे उन्होंने किसी तरह व्यवस्था को संभाला। हालांकि गनीमत रही कि इस दौरान किसी मरीज की हालत ज्यादा नहीं बिगड़ी। गौरतलब है कि पीजीआइएमएस में इससे पहले भी कई बार इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। -------------