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चिकित्सक की आत्महत्या के मामले में शिकायतकर्ताओं को नहीं किया जा रहा पेश

जागरण संवाददाता रोहतक पीजीआइएमएस के पीडियाट्रिक विभाग के पीजी चिकित्सक की आत्महत्या क

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 01:47 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 06:38 AM (IST)
चिकित्सक की आत्महत्या के मामले में शिकायतकर्ताओं को नहीं किया जा रहा पेश
चिकित्सक की आत्महत्या के मामले में शिकायतकर्ताओं को नहीं किया जा रहा पेश

जागरण संवाददाता, रोहतक : पीजीआइएमएस के पीडियाट्रिक विभाग के पीजी चिकित्सक की आत्महत्या के मामले में विवि में जमकर राजनीति हो रही है। शिकायतकर्ताओं को सामने लाने के लिए पुलिस के पत्र का अभी तक विवि प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया है। जिसके चलते अभी भी प्रकरण में जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। बताया जा रहा है कि यदि जांच आगे बढ़ती है तो कई सीनियर और जूनियर चिकित्सकों की कुंडली खुलकर सामने आ जाएगी। साथ ही आरोपित डा. गीता गठवाला को भी विभाग से दूर रखने के लिए पुलिस के पत्र का जवाब न देने का दावा किया जा रहा है।

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13 जून की रात करीब 10 बजे पीजीआइ के पीडियाट्रिक विभाग के पीजी चिकित्सक डा. ओमकार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद चिकित्सकों ने विभागाध्यक्ष डा. गीता गठवाला पर थीसिस पूरी न होने, अवकाश न देने का आरोप लगाया था। बताया गया था कि मृतक चिकित्सक डा. ओमकार की 12 जून को शादी थी, जिसके लिए उन्हें छुट्टी चाहिए थी। बाद में चिकित्सकों ने हंगामा करते हुए आरोपित डा. गीता गठवाला के आवास पर पहुंचकर तोड़फोड़ करते हुए हाथापाई भी की थी। पूरे मामले में चिकित्सकों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने डा. गीता गठवाला पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था। साथ ही डा. गीता के खिलाफ चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने के बाद विवि प्रबंधन ने डा. गीता को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद में डा. गीता ने भी चिकित्सकों के खिलाफ शिकायत देकर घर में घुसकर मारपीट और तोड़फोड़ करने का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज कराई थी। अब पुलिस पूरे मामले में चिकित्सकों का पक्ष जानने के लिए विवि प्रबंधन को पत्र लिख रही है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि प्रबंधन चिकित्सकों को पुलिस के सामने आने से रोक रहा है। बताया जा रहा है कि प्रबंधन नहीं चाहता की पूरे मामले की गहनता से जांच हो। यदि गहनता से जांच होती है तो कई सीनियर व जूनियर चिकित्सकों की राजनीति की परतें खुलनी शुरू हो जाएंगी। दो विभाग की थी अध्यक्ष एक का चार्ज दिया एक का नहीं

डा. गीता गठवाला पीडियाट्रिक और न्यूनोटोलॉजी विभागों की अध्यक्ष थी। डा. गीता को सस्पेंड करने के बाद दोनों विभागों के अध्यक्ष का चार्ज अन्य चिकित्सक को दिया जाना था। विवि प्रबंधन ने पीडियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष का चार्ज तो दे दिया, लेकिन न्यूनोटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष का चार्ज अभी तक किसी चिकित्सक को नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने भी करीब दो माह पूर्व न्यूनोटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष का चार्ज हैंडओवर करने के आदेश दिए थे। इसके बाद भी प्रबंधन के कान पर अभी तक जूं नहीं रैंगी है। हुई निष्पक्ष जांच तो कई चिकित्सकों की राजनीति का होगा खुलासा

डा. ओमकार की आत्महत्या के बाद हुए बवाल में कई सीनियर चिकित्सकों ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए जी जान लगा दिया था। हालांकि उनकी रोटियां अच्छी तरह से पकी और डा. गीता को सस्पेंड किया गया। अब पुलिस यदि पूरे मामले में गहनता से जांच करती है तो ऐसे सीनियर चिकित्सकों का चिट्ठा खुलकर सामने आ जाएगा। जिसके चलते वह अब चिकित्सकों को पुलिस के सामने नहीं आने दे रहे हैं। ----------------------

प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। पुलिस के पत्र को वीसी दफ्तर भेज दिया गया है। अब वीसी के स्तर से मामले में आदेश जारी किए जाएंगे। --- डा. रोहताश यादव, निदेशक पीजीआइएमएस पूरे मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जांच के लिए वह हर समय तैयार हैं। पुलिस द्वारा प्रबंधन को पत्र लिखकर चिकित्सकों को सामने लाने के लिए कहा था, लेकिन अभी तक प्रबंधन ने इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया है। डा. ओमकार की आत्महत्या में मेरा कोई हाथ नहीं था। वह पहले भी आत्महत्या के प्रयास कर चुका था। निष्पक्ष जांच कराने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ----- डा. गीता गठवाला, पूर्व विभागाध्यक्ष, पीडियाट्रिक विभाग, पीजीआइएमएस


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