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सरकारी नौकरी नहीं मिली तो धर्मपाल ने बागवानी में आजमाया हाथ, कमा रहे मुनाफा

ज्यादातर शिक्षित युवाओं की तरह ही बारहवीं कक्षा पास धर्मपाल ने भी 2001 में सरकारी नौकरी करनी चाही। इसके लिए उन्होंने खूब आवेदन भी किए। लेकिन सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी। तीन साल तक वे सरकारी नौकरी के लिए ही मन बनाए रहे। इस बीच उनकी शादी सोनीपत जिला के लल्हेगी गांव में हो गई। जिसके बाद ससुराल पक्ष वालों ने सरकारी नौकरी न मिलने की सूरत में उनसे खेती में ही अच्छी तरह प्लानिग कर बागवानी करने की सलाह दी। धर्मपाल ने भी उनकी बात मानी और फिर बागवानी में ही मन लगाकर काम किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 06:11 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:20 AM (IST)
सरकारी नौकरी नहीं मिली तो धर्मपाल ने बागवानी में आजमाया हाथ, कमा रहे मुनाफा

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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ज्यादातर शिक्षित युवाओं की तरह ही बारहवीं कक्षा पास धर्मपाल ने भी 2001 में सरकारी नौकरी करनी चाही। इसके लिए उन्होंने खूब आवेदन भी किए। सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी। तीन साल तक वे सरकारी नौकरी के लिए ही मन बनाए रहे। इस बीच उनकी शादी सोनीपत जिला के लल्हेगी गांव में हो गई। जिसके बाद ससुराल पक्ष वालों ने सरकारी नौकरी न मिलने की सूरत में उनसे खेती में ही अच्छी तरह प्लानिग कर बागवानी करने की सलाह दी। धर्मपाल ने भी उनकी बात मानी और फिर बागवानी में ही मन लगाकर काम किया। रिश्तेदारों की सलाह के बाद रोहतक के समचाणा गांव निवासी धर्मपाल ने 2004 में खीरे की फसल लगानी शुरू की। पहले साल से ही बागवानी की इस फसल ने उनको मुनाफा देना शुरू कर दिया। धर्मपाल के मुताबिक वे करीब 15 साल से गांव में ही चार एकड़ में खीरे की खेती कर रहे हैं। खीरे की खेती किसानों के लिए मुनाफा देने वाली फसल है। हालांकि धर्मपाल का कहना है कि बागवानी की खेती में भाव का भी विशेष महत्व है। फसल का भाव अच्छा मिलने में किसानों का लाभ बढ़ता जाता है। वहीं, समय समय पर विभागीय अधिकारियों से आवश्यक जानकारी लेने से भी फायदा मिलेगा। उधर, बागवानी विभाग के अधिकारियों ने भी धर्मपाल के प्रयासों की सराहना की है।

तीन गुणा तक आय :

धर्मपाल के मुताबिक खीरे की खेती के लिए जुलाई में बिजाई करते हैं। सितंबर के अंतिम दिनों में या अक्तूबर की शुरुआत में ही खीरे का उत्पादन शुरू हो जाता है। खीरे का उत्पादन एक महीने से भी अधिक समय तक चलता है। एक एकड़ में खीरे की फसल में लगभग 15 हजार की लागत आती हैं जबकि इसके तीन गुणा यानी 40 हजार से अधिक रुपये की आय किसान को हो सकती है। भाव अच्छा मिले तो प्रति एकड़ आमदनी 50 हजार रुपये तक भी होने की उम्मीद है। धर्मपाल अब गांव के अन्य किसानों को भी बागवानी फसलों के लिए प्रेरित करते हैं।

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सरकार की ओर से बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके। धर्मपाल भी बागवानी में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। किसानों को बागवानी फसलें लगाकर मुनाफा बढ़ाना चाहिए।

- डा. हवा सिंह, जिला बागवानी अधिकारी, रोहतक।


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