कैंसर मरीजों के साथ एड्स मरीजों को भी दिलवाते थे फर्जी तरीके से बीमा क्लेम
जागरण संवाददाता रोहतक कैंसर मरीजों का फर्जी तरीके से बीमा कराते हुए क्लेम लेने के
जागरण संवाददाता, रोहतक : कैंसर मरीजों का फर्जी तरीके से बीमा कराते हुए क्लेम लेने के मामले में अब नया खुलासा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि गैंग के सदस्य एचआइवी पीड़ित मरीजों को भी झांसे में लेकर उनका बीमा कराते थे और उनकी भी सड़क हादसे में मौत दिखाकर फर्जी तरीके से क्लेम लेते थे। पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए एसटीएफ की टीम बृहस्पतिवार को पीजीआइ पहुंची। एसटीएफ के पहुंचते ही पीजीआइ अधिकारियों में हड़कंप मच गया। फिलहाल एसटीएफ टीम ने फर्जीवाड़े के दौरान पीजीआइ में उपचाराधीन 54 मरीजों का ब्योरा पीजीआइ प्रबंधन से मांगा है। इसके लिए शुक्रवार शाम तक का समय दिया गया है।
एसटीएफ सोनीपत द्वारा तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर फर्जी तरीके से बीमा क्लेम लेने के फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। आरोपितों ने पूछताछ में बताया था कि वह कैंसर के अंतिम स्टेज वाले मरीजों का ब्योरा लेकर उनके परिजनों से संपर्क करते थे। इसके बाद उनके परिजनों को लाखों रुपये क्लेम देने का लालच देकर फर्जीवाड़ा करते हुए उनका बीमा कराते थे। इसके बाद मरीज की गाड़ियों से कुचलकर हत्या कर फर्जी तरीके से बीमा क्लेम लेते थे। मृतक का पोस्टमार्टम कराने के लिए चिकित्सकों को करीब दो लाख रुपये और पुलिस के जांच अधिकारी को 50 हजार रुपये की रिश्वत देते थे। बीमा क्लेम लेने के बाद आरोपित पीजीआइ के कैंसर वार्ड समेत अन्य अस्पतालों से मरीजों की फाइल निकलवाकर उन्हें जला देते थे। इसके लिए वह कर्मचारियों को 30 हजार रुपये प्रति फाइल देते थे। अब पूरे मामले बृहस्पतिवार को एसटीएफ एसआइ सुरेंद्र, एएसआइ तेजवीर सिंह, विकास समेत चार सदस्यीय टीम मौके पर पहुंची। शाम करीब 4.30 बजे टीम ने पीजीआइ के एमएस ऑफिस पहुंचकर जांच पड़ताल शुरू की। इसके बाद उन्होंने पीजीआइ प्रबंधन से फर्जीवाड़े के दौरान पीजीआइ में उपचार कराने वाले कैंसर के अंतिम स्टेज वाले मरीजों का ब्योरा मांगा। पीजीआइ प्रबंधन ने कुल 54 मरीजों की सूची एसटीएफ को सौंपी है। हालांकि इनकी फाइल देने के लिए एसटीएफ ने पीजीआइ को शुक्रवार शाम चार बजे तक का समय दिया है। एचआइवी पॉजिटिव मरीजों को भी बनाता था निशाना
गिरोह के सदस्य कैंसर के अंतिम स्टेज वाले मरीजों के साथ एचआइवी पॉजिटिव मरीजों को भी निशाना बनाते थे। अंतिम स्टेज होने के चलते उनके परिजनों को भी लाखों रुपये क्लेम देने का लालच दिया जाता था। बताया जा रहा है कि कई बार मरीज की मौत होने पर परिजन टीम के सदस्यों को फोन करते थे। इसके बाद सदस्य गाड़ी से मृतक के शव को लेने जाते और रास्ते में अपनी ही एक अन्य गाड़ी से एक्सीडेंट दर्शाते हुए उसका पोस्टमार्टम कराकर फर्जी रिपोर्ट लगाते और क्लेम के लिए आवेदन करते थे। आठ फाइलें गायब होने की चर्चा
दावा किया जा रहा है कि पीजीआइ अधिकारियों ने कैंसर के मरीजों के रिकॉर्ड का मिलान किया तो सामने आया है कि फिलहाल आठ मरीजों का रिकॉर्ड नहीं मिला है। रिकॉर्ड रूम व अन्य स्थानों पर इन मरीजों के उपचार की पुष्टि तो हुई है, लेकिन वार्ड में इन मरीजों का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। जिसके चलते अब संशय है कि और भी कैंसर मरीजों की फाइलें वार्ड से गायब हैं। ऐसे में विभाग के बड़े व छोटे चिकित्सकों के साथ कर्मचारियों का फंसना तय माना जा रहा है। कंप्यूटर डाटा समेत कई अन्य फाइलों को खंगालेगी टीम
मरीजों का ब्योरा लेने के बाद टीम अब कैंसर व एड्स पीड़ित मरीजों का भी फाइलों को खंगालेगी। बताया जा रहा है कि टीम कंप्यूटर में फीड डाटा का एनालिसिस करने की भी तैयारी कर रही है। वहीं पीजीआइ प्रबंधन मामले में कुछ भी साफ तौर पर कहने से बच रहा है।