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किसानों ने खूब तोड़ा लॉकडाउन का लॉक, गेहूं के अवशेष जलाने के 2135 मामले

हरियाणा में लॉकडाउन में गेहूं के अवशेष खूब जले। हालांकि आंकड़ा पिछले साल से कम है लेकिन फिर भी आंकड़ा 2135 तक पहुंचा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 01:00 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 01:00 PM (IST)
किसानों ने खूब तोड़ा लॉकडाउन का लॉक, गेहूं के अवशेष जलाने के 2135 मामले
किसानों ने खूब तोड़ा लॉकडाउन का लॉक, गेहूं के अवशेष जलाने के 2135 मामले

रोहतक [ओपी वशिष्ठ]। पराली व गेहूं के अवशेष जलाने को लेकर हरियाणा, दिल्ली व पंजाब राज्य की सरकारों में आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं। राज्य सरकार ने फसल अवशेष जलाने पर रोक लगाने के लंबे-चौड़े दावे किए। जागरूकता अभियान भी चलाए गए, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में गेहूं के अवशेष जलाने के एक माह में 2135 मामले सामने आए हैं।

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सबसे ज्यादा मामले झज्जर में 324 तथा महेंद्रगढ़ में यह आंकड़ा शून्य है। हालांकि पिछले साल की अपेक्षा इस साल अवशेष जलाने के मामलों में कमी आई है। 2019 में गेहूं की फसल के अवशेष जलाने के मामले 5734 दर्ज किए गए थे। आंकड़े हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (HSAC) हरसेक करनाल ने सैटेलाइट से लिए हैं। हरियाणा के मुकाबले पंजाब में गेहूं के अवशेष जलाने के मामले कई गुना ज्यादा है। पंजाब में गेहूं के अवशेष जलाने के एक माह में 7681 मामले हुए हैं।

जिलावार आंकड़ा

जिला मामले
अंबाला 26
भिवानी 102
चरखी दादरी 28
फरीदाबाद 13
फतेहाबाद 210
गुरुग्राम 14
हिसार 202
झज्जर 324
जींद 260
कैथल 46
करनाल 50
कुरूक्षेत्र 29
महेंद्रगढ़ 0
नूंह 5
पलवल 43
रोहतक 228
पंचकूला 1
पानीपत 69
रेवाड़ी 3
सिरसा 234
सोनीपत 225
यमुनानगर 23

(नोट : आंकड़े हरसेक करनाल से उपलब्ध)

सैटेलाइट से पकड़ में आए मामले

हरसेक ने 15 अप्रैल से लेकर 14 मई तक सैटेलाइट से प्रदेश के विभिन्न जिलों में गेहूं के अवशेष खेत में जलाने को लेकर सर्वे किया था। गेहूं की फसल कटने के बाद मंडी में पहुंचना शुरू हो चुकी थी। इसके बाद ही खेतों में अवशेष जलाने का काम किसानों ने किया है। खास बात यह है कि सात जिले ऐसे हैं, जहां 200 से अधिक मामले सामने आए हैं। चार जिले ऐसे हैं, जहां पांच या इससे कम मामले हैं।

किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए

कृषि विभाग रोहतक के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रोहतास सिंह का कहना कि सरकार फसल अवशेष जलाने को लेकर गंभीर है। किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान भी चलाए हैं। किसानों को अवशेष का इस्तेमाल करने के लिए यंत्रों के बारे में भी जानकारी दी जाती है। पुलिस में एफआइआर दर्ज करने के साथ-साथ जुर्माना का भी प्रावधान है। किसानों में पहले से जागरूकता आई है, जिसके कारण आंकड़ों में कमी आई है।


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