किसानों ने खूब तोड़ा लॉकडाउन का लॉक, गेहूं के अवशेष जलाने के 2135 मामले
हरियाणा में लॉकडाउन में गेहूं के अवशेष खूब जले। हालांकि आंकड़ा पिछले साल से कम है लेकिन फिर भी आंकड़ा 2135 तक पहुंचा।
रोहतक [ओपी वशिष्ठ]। पराली व गेहूं के अवशेष जलाने को लेकर हरियाणा, दिल्ली व पंजाब राज्य की सरकारों में आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं। राज्य सरकार ने फसल अवशेष जलाने पर रोक लगाने के लंबे-चौड़े दावे किए। जागरूकता अभियान भी चलाए गए, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में गेहूं के अवशेष जलाने के एक माह में 2135 मामले सामने आए हैं।
सबसे ज्यादा मामले झज्जर में 324 तथा महेंद्रगढ़ में यह आंकड़ा शून्य है। हालांकि पिछले साल की अपेक्षा इस साल अवशेष जलाने के मामलों में कमी आई है। 2019 में गेहूं की फसल के अवशेष जलाने के मामले 5734 दर्ज किए गए थे। आंकड़े हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (HSAC) हरसेक करनाल ने सैटेलाइट से लिए हैं। हरियाणा के मुकाबले पंजाब में गेहूं के अवशेष जलाने के मामले कई गुना ज्यादा है। पंजाब में गेहूं के अवशेष जलाने के एक माह में 7681 मामले हुए हैं।
जिलावार आंकड़ा
जिला | मामले |
अंबाला | 26 |
भिवानी | 102 |
चरखी दादरी | 28 |
फरीदाबाद | 13 |
फतेहाबाद | 210 |
गुरुग्राम | 14 |
हिसार | 202 |
झज्जर | 324 |
जींद | 260 |
कैथल | 46 |
करनाल | 50 |
कुरूक्षेत्र | 29 |
महेंद्रगढ़ | 0 |
नूंह | 5 |
पलवल | 43 |
रोहतक | 228 |
पंचकूला | 1 |
पानीपत | 69 |
रेवाड़ी | 3 |
सिरसा | 234 |
सोनीपत | 225 |
यमुनानगर | 23 |
(नोट : आंकड़े हरसेक करनाल से उपलब्ध)
सैटेलाइट से पकड़ में आए मामले
हरसेक ने 15 अप्रैल से लेकर 14 मई तक सैटेलाइट से प्रदेश के विभिन्न जिलों में गेहूं के अवशेष खेत में जलाने को लेकर सर्वे किया था। गेहूं की फसल कटने के बाद मंडी में पहुंचना शुरू हो चुकी थी। इसके बाद ही खेतों में अवशेष जलाने का काम किसानों ने किया है। खास बात यह है कि सात जिले ऐसे हैं, जहां 200 से अधिक मामले सामने आए हैं। चार जिले ऐसे हैं, जहां पांच या इससे कम मामले हैं।
किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए
कृषि विभाग रोहतक के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रोहतास सिंह का कहना कि सरकार फसल अवशेष जलाने को लेकर गंभीर है। किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान भी चलाए हैं। किसानों को अवशेष का इस्तेमाल करने के लिए यंत्रों के बारे में भी जानकारी दी जाती है। पुलिस में एफआइआर दर्ज करने के साथ-साथ जुर्माना का भी प्रावधान है। किसानों में पहले से जागरूकता आई है, जिसके कारण आंकड़ों में कमी आई है।