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किसान जमीन नहीं जमीर बचाने की लड़ रहे हैं लड़ाई : कांता आलडिया

भारतीय किसान यूनियन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कांता आलडिया ने कहा कि किसान जमीन नहीं अपना जमीर बचाने की लड़ाई लड़ रहे है और यह तीन काले कानून रद्द नहीं हुए तो देश पूंजीपतियों का गुलाम बन जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 07:25 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 07:25 AM (IST)
किसान जमीन नहीं जमीर बचाने की लड़ रहे हैं लड़ाई : कांता आलडिया
किसान जमीन नहीं जमीर बचाने की लड़ रहे हैं लड़ाई : कांता आलडिया

जागरण संवादाता, रोहतक : भारतीय किसान यूनियन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कांता आलडिया ने कहा कि किसान जमीन नहीं अपना जमीर बचाने की लड़ाई लड़ रहे है और यह तीन काले कानून रद्द नहीं हुए तो देश पूंजीपतियों का गुलाम बन जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों के प्रति गंभीर नहीं है, अगर गंभीर होती तो पिछले सात महीने से अपना परिवार छोड़कर किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता। वह बुधवार को एक निजी होटल में पत्रकारों से बातचीत कर रही थी।

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आलडिया ने कहा कि जब तक सरकार फसल खरीद पर एमएसएपी कानून नहीं बनाती और तीन कृषि काले कानूनों को वापिस नहीं लेती तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। साथ ही सिधु बोर्डर पर भी पक्का मोर्चा बना दिया गया है। उन्होंने सरकार से आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों को शहीद का दर्जा, एक करोड़ मुआवजा व आश्रितों को नौकरी देने की भी मांग की।

कांता आलडिया ने कहा कि किसानों की अनदेखी सरकार को भारी पड़ेगी और पश्चिमी बंगाल की तरह पूरे देश में जहां चुनाव होंगे भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। भाकियू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने राजस्थान के अलवर में मेडिकल कालेज में नर्सिंग भर्ती में हुए भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय में भी नियुक्ति पर सवाल उठाया और मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की। उन्होंने चेताया कि दस जुलाई तक अगर औघड़ पीर डेरे से सरकारी नियंत्रण नहीं हटवाया गया तो बड़ा आंदोलन होगा। इस अवसर पर मनीषा बोहत, महेन्द्र बांगडी, मंजीत मोखरा, राजपाल प्रजापति, प्रिस मल्होत्रा व नवीन मेहरा प्रमुख रूप से मौजूद रहे।


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