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खाली दर्शक दीर्घा, मुख्य अतिथि की गैर मौजूदगी, कलाकारों का कुछ ऐसा रहा विरोध का तरीका

सूने साज सुनो सरकार फोटो संख्या 6 - श्रीराम रंगशाला के बाहर रंगकर्मी वाद्य यंत्र वादक व अन्य कलाकारों ने किया सांकेतिक प्रदर्शन - कलाकारों के लिए अलग से आर्थिक मदद की मांग बोले- जिदगी कला को कर देते हैं समर्पित जागरण संवाददाता रोहतक मंच पर मायूस बैठे कलाकार मुख्य अतिथियों की गैर मौजूदगी। खाली पड़ी दर्शक दीर्घा। न कोई ताली बजाने वाला न शाबासी देने के लिए कोई पधारा है। किसी फिल्म सेट पर उदासी भरे ²श्य की शूटिग जैसा यह माहौल मंगलवार सुबह करीब 11 बजे शहर के सोनीपत रोड स्थित श्रीराम रंगशाला के बाहर देखने को मिला। कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन से तंगहाली झेल रहे कलाकारों ने रंगशाला के बाहर सांकेतिक प्रदर्शन कर रोष जाहिर किया। प्रशासन की ओर से आर्थिक मदद न मिलने से नाराज कलाकारों ने राहगीरों के सामने हाथ फैलाकर अपनी व्यथा सुनाई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 06:56 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 06:56 AM (IST)
खाली दर्शक दीर्घा, मुख्य अतिथि की गैर मौजूदगी, कलाकारों का कुछ ऐसा रहा विरोध का तरीका
खाली दर्शक दीर्घा, मुख्य अतिथि की गैर मौजूदगी, कलाकारों का कुछ ऐसा रहा विरोध का तरीका

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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मंच पर मायूस बैठे कलाकार, मुख्य अतिथियों की गैर मौजूदगी। खाली पड़ी दर्शक दीर्घा। न कोई ताली बजाने वाला, न शाबासी देने के लिए कोई पधारा है। किसी फिल्म सेट पर उदासी भरे ²श्य की शूटिग जैसा यह माहौल मंगलवार सुबह करीब 11 बजे शहर के सोनीपत रोड स्थित श्रीराम रंगशाला के बाहर देखने को मिला। कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन से तंगहाली झेल रहे कलाकारों ने रंगशाला के बाहर सांकेतिक प्रदर्शन कर रोष जाहिर किया। प्रशासन की ओर से आर्थिक मदद न मिलने से नाराज कलाकारों ने राहगीरों के सामने हाथ फैलाकर अपनी व्यथा सुनाई।

रंगकर्मी व मल्टी आर्ट कल्चर सेंटर के उपनिदेशक रह चुके विश्वदीप त्रिखा के बताया कि लॉकडाउन में कलाकारों की आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई है। दो जून की रोटी का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा है। पूरी जिदगी जिन लोगों ने प्रदेश की कला-संस्कृति को जिदा रखने में लगा दिया उनके हालात बिगड़े हैं। सरकार से मदद की आस में दो महीने बिता दिए। विभिन्न माध्यमों से सरकार तक पीड़ा पहुंचाई, लेकिन, किसी प्रकार की मदद नहीं की गई। मजबूरन कोरोना संकट के इस दौर में सड़क पर उतरना पड़ा है। जब तक सरकार की ओर से कलाकारों के लिए आर्थिक मदद की आधिकारिक घोषणा नहीं की जाती है, अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे। कलाकारों ने सांकेतिक तौर पर राहगीरों से भीख मांगने का अभिनय भी किया।

यह हैं मुख्य मांगें

- साठ साल से अधिक उम्र के कलाकारों को 10 हजार रुपये मासिक आर्थिक मदद की जाए

- अन्य कलाकारों को छह हजार रुपये महीने की मदद का प्रावधान जल्द से जल्द किया जाए

- जाति, धर्म व क्षेत्र के आधार पर भेदभाव किए बगैर कलाकारों का मान-सम्मान किया जाए

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दो महीनों का लॉकडाउन रहा। कलाकारों के अभिनय, गीत-संगीत, कविता, नृत्य के जरिए लॉकडाउन की बोरियत लोगों ने की। लेकिन, लोगों का मनोरंजन करने वाले इन कलाकारों को इन दिनों दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए। हर वर्ग के लिए घोषणाएं की गई लेकिन, कलाकारों को सरकार ने भुला दिया।

- कृष्ण नाटक, रंगकर्मी।

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एक कलाकार पूरी जिदगी कला को समर्पित कर देता है। सिर्फ कला ही उसकी आजीविका का एकमात्र साधन है। लॉकडाउन में लोक कलाकारों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। महामारी के कारण आने वाले दिनों में भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। सरकार से मांग है कि आर्थिक मदद की जल्द से जल्द घोषणा करें।

- विश्वदीप त्रिखा, रंगकर्मी।

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सरकार को समझना चाहिए कि कलाकार वह व्यक्ति है जो लोगों का न सिर्फ मनोरंजन करता है बल्कि समाज सुधार में बड़ा योगदान इनका होता है। कितने ही लोग कला से प्रभावित हो अच्छाई के पथ पर चलते हैं। कोरोना संकट काल में कलाकारों को मदद की जरूरत है।

- आनंद शर्मा, रंगकर्मी। सरकार हर वर्ग के लिए मदद की घोषणा कर रही है। सरकार की विभिन्न योजनाओं, देश-प्रदेश की संस्कृति के प्रचार-प्रसार करने वाले कलाकारों को सरकार दरकिनार कर रही है। जल्द से जल्द मांग पूरी होनी चाहिए।

- सतेंद्र सहरावत, डायरेक्टर-प्रोड्यूसर।


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