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बहन की शादी में न जाने का अफसोस, लील गया डा. ओमकार की जिदगी

जागरण संवाददाता रोहतक पंडित भगवत दयाल शर्मा स्नातकोत्तर स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान (पीजीआइएमएस)

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 09:15 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 09:15 PM (IST)
बहन की शादी में न जाने का अफसोस, लील गया डा. ओमकार की जिदगी
बहन की शादी में न जाने का अफसोस, लील गया डा. ओमकार की जिदगी

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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पंडित भगवत दयाल शर्मा स्नातकोत्तर स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान (पीजीआइएमएस) में पीजी चिकित्सक को बहन की शादी में जाने के लिए छुट्टी नहीं मिली, जिसका अफसोस ऐसा हुआ कि उसने फांसी का फंदा लगाकर अपनी जिदगी ही खत्म कर ली। शुक्रवार को पूरे दिन चिकित्सकों ने विरोध स्वरूप हड़ताल रखी तो शाम के परिजनों के पहुंचने पर माहौल और भी गरमा गया। शाम करीब छह बजे जब मृतक के परिजन पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो उनका रो-रोकर बुरा हाल था। इसके बाद परिजनों और चिकित्सकों ने आरोपित विभागाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया। हालांकि देर रात करीब 8.30 बजे परिजन शव को अपने साथ लेकर जाने के लिए तैयार हुए।

डा. ओमकार ने दो वर्ष पूर्व पीजीआइ के पीडियाट्रिक विभाग में एमडी कोर्स के लिए एडमिशन लिया था। मूल रूप से कर्नाटक निवासी डा. ओमकार को उनके परिजनों से बहुत उम्मीदें थी। रेलवे में कार्यरत मानिक की तीन संतानों में सबसे बड़े डा. ओमकार ने जब पीजीआइ में कदम रखा तो सबकुछ ठीक नहीं रहा। पहले चार माह के अंदर ही उपचार के दौरान एक बच्चे की मौत के मामले में उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई। जिसके बाद जांच कमेटी ने डा. ओमकार को जूनियर चिकित्सक होने के बाद भी दोषी ठहराया गया। बताया जा रहा है कि इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी किया था। शुरुआत में ही एफआइआर दर्ज होने के चलते डा. ओमकार तनाव में रहने लगा था। साथी चिकित्सकों से मिली जानकारी के अनुसार इसके बाद विभाग के अधिकारियों द्वारा उसका शोषण शुरू कर दिया गया था और उसे दिन प्रतिदिन प्रताड़ित किया जाता था। बताया जा रहा है कि एक वर्ष पूर्व प्रताड़ना से परेशान होकर उसने आत्महत्या की कोशिश भी की थी। जिसके बाद उसका इलाज पीजीआइ के साइकेट्री विभाग के चिकित्सक डा. राजीव गुप्ता ने किया था। जबकि अप्रैल माह में बहन की सगाई के लिए छुट्टी मांगने पर भी डा. ओमकार को छुट्टी बमुश्किल दी गई थी। बताया कि डा. ओमकार ने लगातार 48 घंटे ड्यूटी करते हुए सगाई के लिए बमुश्किल एक दिन का समय निकाला था। शादी पर नहीं पहुंचने का था गम

मृतक चिकित्सक के भाई मेहंताशी ने बताया कि 13 जून दोपहर 12 बजे उसकी आखिरी बार डा. ओमकार से बात हुई थी। मेहंताशी इन दिनों इंजीनियरिग की पढ़ाई कर रहा है। बातचीत के दौरान डा. ओमकार ने 12 जून को हुई बहन की शादी में शामिल न होने पर अफसोस भी जताया था। साथ ही कहा था कि शादी के लिए की गई शॉपिग पूरी तरह बेकार हो गई। हालांकि यह पता नहीं चल पाया कि आखिर कितनी और क्या शॉपिग मृतक ने अपनी बहन की शादी के लिए की थी। 10 से 24 जून तक थी छुट्टियां

डा. ओमकार ने छुट्टी के लिए आवेदन किया तो 10 से 24 जून तक के लिए छुट्टियों की अनुमति दे दी गई। मृतक के भाई के अनुसार वह छुट्टी पर जाने के लिए विभागाध्यक्ष डा. गीता गठवाला के पास पहुंचा तो उन्होंने थीसिस जमा करने का दवाब बनाया। बताया जा रहा है कि डा. ओमकार ने कहा था कि छुट्टियों से लौटकर 30 जून से पहले वह थीसिस जमा करा देगा, लेकिन विभागाध्यक्ष ने छुट्टी देने से इनकार कर दिया। जिससे परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली।

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