दीपेंद्र हुड्डा अमेरिका से एमबीए, डीयू से की एलएलबी, अब चौथी बार रोहतक से प्रत्याशी
जागरण संवाददाता रोहतक अमेरिका से एमबीए और दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल
जागरण संवाददाता, रोहतक :
अमेरिका से एमबीए और दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने वाले दीपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस पार्टी ने रोहतक लोकसभा क्षेत्र से लगातार चौथी बार प्रत्याशी घोषित किया है। हालांकि उनकी टिकट तो पहले से तय थी, लेकिन विधिवत रूप से पार्टी ने शनिवार को ऐलान किया है। उधर, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन प्रत्याशी को छोड़कर भाजपा सहित अन्य दलों ने अभी तक रोहतक में प्रत्याशी नहीं उतारा है। भाजपा से प्रत्याशी सामने आने के बाद ही इस सीट की रोचकता का अंदाजा लगाया जा सकेगा।
दीपेंद्र सिंह हुड्डा का जन्म चार जनवरी 1978 में हुआ। 41 साल की उम्र में वे रोहतक लोकसभा से तीन बार सांसद बन चुके हैं। अब चौथी बार किस्मत आजमाने जा रहे हैं। अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के राजनेता दीपेंद्र विपक्षी दलों के सामने रोहतक से बड़ी चुनौती बने हुए हैं। वहीं एक दिन पहले पूर्व सांसद डा. अरविद शर्मा का नाम सामने आ चुका है। लेकिन उनके प्रत्याशी तय होने की सूचना के बाद रोहतक से भाजपा के अन्य दावेदारों में विरोधी स्वर उठने की अटकलें भी लगने लगी। निजी होटल में गुप्त बैठक भी हुई, जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी अचानक से शुक्रवार रात को रोहतक पहुंचना पड़ा। बताया जाता है कि कई टिकट के दावेदारों से मुख्यमंत्री ने बंद कमरे में अलग से बातचीत भी की। सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि भाजपा राष्ट्रीय संगठन नेताओं से भी फोन पर बातचीत की गई थी।
गौरतलब है कि दीपेंद्र से पहले रोहतक लोकसभा सीट से उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा चार बार सांसद व उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी चौधरी रणबीर सिंह दो बार सांसद रह चुके हैं। दीपेंद्र का मजबूत मजबूत पक्ष
1. तीन बार सांसद रहना, पिता पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का चार बार सांसद रहना, दादा रणबीर सिंह हुड्डा भी दो बार सांसद रह चुके हैं।
2. रोहतक लोकसभा क्षेत्र में हुड्डा सरकार में राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट, जिसमें आइआइएम, एफडीडीआइ, फिल्म इंस्टीट्यूट, एम्स-2 व रेवाड़ी-रोहतक रेल लाइन, रोहतक-महम-हांसी रेल लाइन
3. पूर्व सीएम हुड्डा के पुत्र होना और पुस्तैनी गढ़ दीपेंद्र का कमजोर पक्ष
1. शहरी व गैर जाट वोटर का खिसकना
2. केंद्र व प्रदेश में कांग्रेस सरकार न होना
3. निकाय चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की हार होना