मिट्टी में घट रही आर्गेनिक कार्बन की मात्रा, विशेषज्ञों की बढ़ी चिता
मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा घटी हुई है। जिससे विशेषज्ञों की चिता बढ़ रही है। मिट्टी में फास्फोरस पोटाशियम जिक लोहा व सल्फर आदि विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा में गिरावट दर्ज की जा रही है।
रतन चंदेल, रोहतक
जिले की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा घटी हुई है। जिससे विशेषज्ञों की चिता बढ़ रही है। इसके अलावा मिट्टी में फास्फोरस, पोटाशियम, जिक, लोहा व सल्फर आदि विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2017 से 2019 में मिट्टी परीक्षण के कुल 49239 सैंपल लेकर जांच की गई। जिनमें से 96 फीसद में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम पाई गई। जबकि 84 फीसद में फास्फोरस की, 93 फीसद में पोटाशियम की, 57 फीसद में जिक की, 38 फीसद में लोहे की और 15 फीसद में सल्फर की मात्रा कम पाई गई। अधिकारियों के मुताबिक मिट्टी आर्गेनिक की मात्रा 0.75 फीसद होनी चाहिए लेकिन जिला की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा 0.2 या 0.3 तक भी पाई गई है। जो बेहद चिता की बात है। विशेषज्ञों की मानें तो रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग भूमि को बीमार बना रहा है। हालांकि विभाग का दावा है कि भूमि की शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। समय समय पर शिविर भी लगाए जा रहे हैं। इसमें किसानों का सहयोग अपेक्षित है। जिला कृषि उपनिदेशक डा. रोहताश सिंह ने बताया कि भूमि में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए विभाग की ओर से फार्मर ट्रेनिग कैंप लगाए जाते हैं। पिछले महीने भी जिला के विभिन्न गांवों में जागरूकता कैंप लगाए गए हैं।
ये हैं मुख्य कारण :
- फसलों में रसायनिक खाद का असंतुलित प्रयोग
- गोबर आदि पारंपरिक खाद से किसानों का मुंह मोडना
- जैविक खाद का कम से कम प्रयोग करना
- किसानों का फसल चक्र को न अपनाना
- फसल अवशेषों का जलाना किसान ये करें उपाय
- फसल अवशेषों का खेत में ही उचित प्रबंधन कर मिट्टी में मिलाएं
- मृदा विशेषज्ञों की सलाह अनुसार किसान फसल चक्र अपनाएं
- गोबर आदि पारंपरिक खाद का प्रयोग बढ़ाया जाए
- फसलों में रसायनिक खाद को संतुलित मात्रा में प्रयोग करें
- जैविक खाद का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए भूमि में आर्गेनिक कार्बन काफी कम होती जा रही है। जोकि चिता का कारण है। हालांकि इसे बढ़ाने के लिए विभाग की ओर से शिविर लगाए जाते हैं। जिनमें किसानों को जागरूक किया जाता है।
- डा. रविद्र मलिक, भूमि परीक्षण अधिकारी, कृषि विभाग रोहतक।