ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही मौतें, लोगों को उनके हाल पर छोड़ा
ग्रामीण क्षेत्र बीमारी की चपेट में आ गए हैं। लगातार मौतें हो रही हैं। गांवों में तो अब शायद ही कोई घर बचा होगा जिसमें बीमार न हो। कोरोना संक्रमण इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि अधिकतर लोग टेस्ट नहीं करवा रहे। जिन ग्रामीणों की मौतें हुई हैं उनमें भी अधिकतर के सैंपल नहीं लिए गए थे। लेकिन अधिकतर मौत का कारण बुखार सामने आया है जो कोरोना महामारी का लक्षण है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : ग्रामीण क्षेत्र बीमारी की चपेट में आ गए हैं। लगातार मौतें हो रही हैं। गांवों में तो अब शायद ही कोई घर बचा होगा, जिसमें बीमार न हो। कोरोना संक्रमण इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि अधिकतर लोग टेस्ट नहीं करवा रहे। जिन ग्रामीणों की मौतें हुई हैं, उनमें भी अधिकतर के सैंपल नहीं लिए गए थे। लेकिन अधिकतर मौत का कारण बुखार सामने आया है, जो कोरोना महामारी का लक्षण है। निवर्तमान सरपंच व अन्य जनप्रतिनिधि सरकार से मदद मांग रहे हैं ताकि गांवों में होने वाली मौतों का सिलसिला किसी तरह थम सके। हालांकि शासन-प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों की सुध लेना शुरू कर दिया है, जो अभी तक नाकाफी है।
गांव टिटौली के अलावा, लाखनमाजरा, घिलोड़ कलां, किलोई, भालौठ, रिठाल, खरावड़, मोखरा, बलंभा, निदाना सहित कई ऐसे गांव हैं, जहां ग्रामीण बुखार व अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं। बीमारी से लगातार मौत भी हो रही है। कई गांवों में तो लगातार होने वाली मौतों ने ग्रामीणों में डर व खौफ पैदा कर दिया है। कई गांवों तो ऐसे हैं, जहां किसी दिन मौत नहीं होती तो राहत की सांस लेते हैं। उदाहरण के तौर पर गांव टिटौली और खरावड़ हैं, जहां लगातार मौतें हो रही हैं। खरावड़ में मंगलवार को भी एक मौत हो गई। इसी तरह किलोई में भी मंगलवार को दौ लोगों की मौत हुई, जिनको बुखार था। इस तरह अन्य गांवों से भी मौत होने की सूचनाएं लगातार आ रही हैं।
किसान आंदोलन से भी संक्रमण फैलने की संभावना
ग्रामीणों का कहना है कि कई गांवों के लोग किसान आंदोलन को लेकर सक्रिय रहे हैं। वे लगातार टीकरी बार्डर और अन्य धरनास्थलों पर आते-जाते रहे हैं। खरावड़ और लाखनमाजरा में तो ग्रामीणों की तरफ से किसानों के लिए लंगर सेवा भी दी गई थी। जहां पर पंजाब व हरियाणा के किसान, जो धरनास्थल पर जाते थे, उनके लिए चाय नास्ता व भोजन की व्यवस्था रहती है। इससे भी संक्रमण होने की बात सामने आई है, लेकिन यह केवल ग्रामीणों के बीच चर्चा है, इसकी कोई पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।
वर्जन
पंचायत का कार्यकाल पूरा हो चुका है। गांवों की बागडोर बीडीपीओ को सौंपी जा चुकी है। गांवों में लगातार लोग बीमार हो रहे हैं। न तो गांव में सैनिटाइजेशन किया जा रहा है और न ही दवाएं लोगों को मिल पाती। कोरोना के टेस्टिग गांव में होनी चाहिए ताकि लोगों को मरने से बचाया जा सके। हवन-यज्ञ करके ही संक्रमण को रोकने का प्रयास किया रहा है। लेकिन लगातार हो रही मौतें, चिता पैदा कर रही है।
विजेंद्र सिंह मलिक, निवर्तमान सरपंच, खरावड़
वर्जन
एक माह में करीब 20 लोगों की मौत हो चुकी है। शायद ही कोई घर बचा होगा, जिसमें कोई बीमार न हो। मंगलवार को भी दो लोगों की मौत हो गई। सरकार और प्रशासन से मांग है कि गांव में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाएं ताकि लोगों की जिदगी बचाई जा सके। ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। ग्रामीणों को भी अपनी जांच के लिए आगे आना चाहिए ताकि बीमारी का पता लगाया जा सके।
राकेश किलोइया, निवर्तमान सरपंच, किलोई दोपाना
वर्जन
गांव में एक बार तो लगातार मौतों ने डरा दिया था। ग्रामीणों में खौफ पैदा हो गया था। इसके बाद दैनिक जागरण ने गांवों में बीमारी को लेकर मामला उठाया तो प्रशासन से मदद मिलना शुरू हो गई। अब कई दिन से गांव में मौत नहीं हो रही है। टेस्टिग, सैंपलिग व सैनिटाइजेशन का काम भी निरंतर जारी है। सैंपल लिए गए थे, जिनमें 150 लोगों में मात्र पांच की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है।
बलवान रंगा, निवर्तमान सरपंच, घिलौड़ कलां
वर्जन
ग्रामीण क्षेत्रों में जिला प्रशासन द्वारा सर्वे कराया गया है। जिन गांवों में मौत ज्यादा हुई है, उनको चिन्हित किया गया है। वहां पर स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाई गई है और सैनिटाइजेशन के साथ टेस्टिग व सैंपलिग शुरू करवा दी है। अन्य गांवों में भी लगातार निगरानी रखी जा रही है। जिलाधीश की तरफ से ठीकरी पहरा के आदेश भी जारी किए गए है। गांवों में स्थिति नियंत्रित होती जा रही है।
राजपाल चहल, बीडीपीओ, रोहतक