दुष्कर्म के एक मामले पर कोर्ट ने की टिप्पणी, कहा- सहमति से बना संबंध इस श्रेणी में नहीं आता
अंतरंग फोटो देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि सहमति से बना संबंध दुष्कर्म नहीं है। यह कहते हुए कोर्ट ने आरोपित को बरी कर दिया।
जेएनएन, रोहतक। ''आरोपित के साथ जिस तरीके से पीडि़ता के अंतरंग फोटो हैं, उन्हें देखकर नहीं लगता है कि यह दुष्कर्म का मामला है। सहमति से दोनों के बीच संबंध बने हैं। ऐसे में दुष्कर्म का केस नहीं बनता। केस खारिज किया जाता है।" बिजली निगम के एक ठेकेदार के खिलाफ पहली ही सुनवाई में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए आरोपित को बरी कर दिया।
मामले के अनुसार, जुलाई 2018 में शहर की रहने वाली एक युवती ने शिवाजी कालोनी थाने में शिकायत दी थी। इसमें बताया कि अगस्त 2013 में बिजली निगम के एक ठेकेदार ने उसे अपने ऑफिस में नौकरी दी थी। इसके बाद ठेकेदार कभी सरकारी नौकरी के बहाने तो कभी अन्य बहाने से उसे अपने घर पर बुलाता और उसके साथ दुष्कर्म करता।
वर्ष 2016 में खरखौदा के एक रिसोर्ट में बड़े अधिकारियों से मिलवाने के बहाने ले गया। वहां पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। विरोध करने पर उसे जाने से मारने की धमकी दी गई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया था।
25 लाख नहीं दिए, तब कराया था केस दर्ज
बचाव पक्ष के अधिवक्ता सन्नी सिंह अत्री ने बताया कि पुलिस की तरफ से पेश की गई चार्जशीट पर शनिवार को पहली सुनवाई हुई। पुलिस की तरफ से कुछ फोटो भी पेश किए गए जो शिकायतकर्ता और आरोपित के अंतरंग फोटो थे। इन्हीं फोटो को आधार मानते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
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